खाद्य मुद्रास्फीति की दर 39 महीनों के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। गुरुवार को आए इन आंकड़ों से वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इतने उत्साहित हुए कि उन्होंने संसद में महंगाई पर बहस में विपक्ष को ललकारते हुए दावा किया कि गेहूं, चावल व दाल समेत विभिन्न खाद्य वस्तुओं की कीमतें दो साल पहले की तुलना में कम हुई हैं। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दरऔरऔर भी

पिछले 52 हफ्तों की खाद्य मुद्रास्फीति का औसत भले ही 10.52 फीसदी हो, लेकिन सरकार के लिए सुकून की बात है कि इसकी दर 19 नवंबर को खत्म सप्ताह में ठीक 8 फीसदी पर आ गई है। इससे पिछले हफ्ते खाद्य वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित यह दर 9.03 फीसदी थी। मुद्रास्फीति को अभी के हफ्ते के थोक मूल्य सूचकांक और साल पहले के हफ्ते के थोक मूल्य सूचकांक के अंतर के प्रतिशत के रूपऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति में एक अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान मामूली गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन प्रमुख खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी के कारण यह अब भी 9.32 फीसदी के ऊंचे स्तर पर है। थोक मूल्यों पर निकाली जानेवाली इस खाद्य मुद्रास्फीति की दर 24 सितंबर को खत्म सप्ताह में 9.41 फीसदी पर थी। वैसे, हमारे नियामक इस बात पर संतोष जताते हैं कि पिछले साल के समान सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 17.14 फीसदी थी।औरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति का बढ़ना और हमारे वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का चिंतित होना लगता है जैसे अब अनुष्ठान बन गया है। 24 सितंबर को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 9.41 फीसदी पर पहुंच गई। इसके जारी होने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि यह निश्चित तौर पर चिंता का कारण है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक फल, सब्जी, दूध व अंडा, मांस-मछली की कीमत में तेजी के चलते 24औरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 10 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान गिरकर 8.84 फीसदी पर आ गई। यह हफ्ते भर पहले 9.47 फीसदी दी। लेकिन आंकड़ों में इस कमी से आम आदमी को कोई राहत नहीं मिली क्योंकि मुख्य जिंसों की कीमतें अब भी ऊंची बनी हुई हैं। सरकार द्वारा गुरुवार को जारी थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मुताबिक गेहूं को छोड़कर ज्यादातर जिंसों की कीमतें एक साल पहले की तुलना में महंगीऔरऔर भी

दाल व गेहूं की कीमतों में क्रमशः 2.45 फीसदी व 2.03 फीसदी की कमी आने से तीन सितंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 9.47 फीसदी  पर आ गई। हालांकि इस दौरान अन्य खाद्य वस्तुएं महंगी हुईं। इससे पहले 27 अगस्त को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति 9.55 फीसदी  थी, जबकि साल भर पहले 2010 की समान अवधि में यह 15.16 फीसदी  थी। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों केऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 27 अगस्त को खत्म सप्ताह में थोड़ा घटकर 9.55 फीसदी पर आ गई। हालाकि सप्ताह के दौरान दाल और गेहूं को छोड़कर अन्य सभी प्राथमिक खाद्य वस्तुओं के दाम एक साल पहले की तुलना में ऊंचे रहे। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 10.05 फीसदी थी जबकि पिछले साल 2010 के इसी सप्ताह में यह 14.76 फीसदी थी। असल में कुछ सप्ताह तक नरम रहने के बाद 20 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्यऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति एक बार दहाई के खतरनाक आंकड़े की तरफ बढ़ने लगी है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 30 जुलाई 2011 को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर 9.90 फीसदी दर्ज की गई है। इससे पिछले सप्ताह यह 8.04 फीसदी और उससे पहले पिछले सप्ताह 7.33 फीसदी ही थी। वैसे तसल्ली की बात यह है कि साल भर पहले इसी दौरान मुदास्फीति की दर 16.45औरऔर भी

देश जबरदस्त विरोधाभास से जूझ रहा है। खाद्यान्नों के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर थमने का नाम नहीं ले रही। 16 जुलाई को खत्म हफ्ते में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2009 से बाद के सबसे न्यूनतम स्तर 7.33 फीसदी पर थी। लेकिन 23 जुलाई को खत्म हफ्ते मे यह फिर से बढ़कर 8.04 फीसदी पर पहुंच गई है। वैसे साल भर पहले तो और भी भयंकर स्थिति थीऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 25 जून को खत्म सप्ताह में घटकर सात हफ्तों के न्यूनतम स्तर 7.61 फीसदी पर आ गई। लेकिन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का कहना है कि अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का काफी दाब अभी बाकी है। गुरुवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति 25 जून को खत्म सप्ताह में 7.61 फीसदी रही है। यह इससे एक हफ्ते पहले 7.78 फीसदी और एक साल पहले जून 2010औरऔर भी