सिर्फ बाजार भाव से नहीं पता चलता है कि कोई शेयर सस्ता है या नहीं। भाव बढ़ जाने के बावजूद वह सस्ता हो सकता है या महंगा। इसका पता इससे चलता है कि उसके मूल्यांकन का स्तर क्या है। और, मूल्यांकन का पैमाना है पी/ई अनुपात। यानी, बाजार भाव को उसके सालाना ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) से भाग देने पर निकला अनुपात। आप कहेंगे कि यह तो अलग-अलग कंपनियों की बात हुई। कंपनियों के किसी सेट काऔरऔर भी

एमसीएक्स और एमसीएक्स एसएक्स की प्रवर्तक कंपनी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज में एक तरंग-सी उड़ी है। इसके बारे में एक साथ कई सकारात्मक खबरें आ रही हैं। उसका शेयर कल बीएसई (कोड – 526881) में 2.85% बढ़कर 857.95 रुपए और एनएसई (कोड – FINANTECH) में 2.50% बढ़कर 856.55 रुपए पर बंद हुआ है। बीएसई व एनएसई में इसमें क्रमशः 2.19 लाख व 3.44 लाख शेयरों के सौदे हुए। हालांकि ए ग्रुप के इस शेयर में डिलीवरी वाले सौदों काऔरऔर भी

बॉम्बे डाईंग के साथ ऐसा क्या बुरा हो गया जो उसे इस सेटलमेंट में ठोंककर 575 रुपए से 458.75 रुपए तक पहुंचा दिया गया? आज भी यह 525.90 और 510.10 रुपए के बीच झूला  है। 2 दिसंबर से 10 दिसंबर के बीच तो इसे  575 रुपए से गिराकर 458.75 रुपए पर पटक दिया गया। इसके डेरिवेटिव के साथ भी यही हरकत हुई है। इस दरम्यान कंपनी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो उसके स्टॉक कोऔरऔर भी

आज बात बाजार की उठापटक से थोड़ा हटकर। कारण, आखिरी डेढ़-दो घंटों में कुछ ऐसा हो गया जो सचमुच आकस्मिक था। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस से लेकर तीन सरकारी बैंकों के अधिकारियों का रिश्वतखोरी में लिप्त होना हमारे वित्तीय तंत्र की बड़ी खामी को उजागर करता है। यह बड़ा और बेहद गंभीर मसला है जो अगले कुछ दिनों तक हमारे नियामकों व बाजार के जेहन को मथता रहेगा। इसलिए आज कुछ स्थाई किस्म की बात जो हो सकताऔरऔर भी

तमाम अखबार, पत्र-पत्रिकाएं और बिजनेस चैनल भारतीय शेयर बाजार को लगी 1200 अंकों से ज्यादा की चपत की वजह वैश्विक कारकों में तलाश रहे हैं। लेकिन हमारा मानना है कि असली बात यह नहीं है। लेहमान ब्रदर्स के डूबने का मसला हो या उसके बाद के तमाम वैश्विक कारक हों, उन्होंने यकीकन कमजोर बाजारों को चोट पहुंचाई, लेकिन इनके बीच भारतीय बाजार ने पुरानी ऊंचाई फिर से हासिल कर ली और यही नहीं, दूसरी अर्थव्यवस्थाओं ने हमाराऔरऔर भी

बाजार पिछले दिनों दीवाली पर 21,000 अंक तक ऊंचा जाने के बाद से खुद को जमा रहा है। लेकिन कोरिया में ब्याज दरों के बढ़ने और आयरलैंड सरकार के 69 अरब डॉलर के डिफॉल्ट ने रिटेल निवेशकों के बीच कुछ हद तक अनिश्चितता पैदा कर दी है। फिर, राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले, टेलिकॉम घोटाले और आदर्श घोटाले जैसे राजनीतिक मामलों के साथ ही एलआईसी को 14,000 करोड़ रुपए के नुकसान की खबर ने भी निवेशकों के दिमागऔरऔर भी

कभी हिंदुस्तान यूनिलीवर की किरकिरी बन चुके कर्सनभाई पटेल ने अपनी कंपनी निरमा लिमिटेड (बीएसई कोड – 500308, एनएसई कोड – NIRMA) को शेयर बाजार से डीलिस्ट कराने का फैसला कर लिया है। कंपनी की तरफ से आधिकारिक सूचना मिलते ही यह शेयर कल 52 हफ्ते के शिखर 264.85 रुपए पर जा पहुंचा। हालांकि बंद हुआ 7.15 फीसदी की बढ़त के साथ 240.50 रुपए पर। तेजी के पीछे भागनेवाले निवेशक हो सकता है इसे लपकने की कोशिशऔरऔर भी

अफवाहें तो उड़ती हैं, उड़ाई जाती हैं। लेकिन बाजार के लिए रत्ती-रत्ती खबर भी कीमती होती है। कंपनी के अंदर की खबर बाहर निकले तो सबको एक साथ पता चले ताकि बाजार में कोई भेदभाव न हो सके। इसीलिए इनसाइडर ट्रेडिंग का नियम बना हुआ है। जाहिर है अंदर की बातें निकालकर ट्रेड करना बाजार के स्वस्थ विकास के लिए अच्छा नहीं है। ऐसे में अपने निवेश के जोखिम को कम करने का सबसे सही तरीका हैऔरऔर भी