भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) दूसरे चरण के तहत 40 करोड़ लोगों को आधार नंबर देने के लिए पंजीकरण का काम इसी अप्रैल महीने से शुरू कर रहा है। इस संदर्भ में रजिस्‍ट्रार, पंजीकरण एजेंसियों और अन्‍य भागीदारों के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तरीय कार्यशाला मंगलवार को विज्ञान भवन में शुरू की गई। लोगों को आधार नंबर देने के लिए पंजीकरण करने का काम धीरे-धीरे पूरे देश में शुरू होने की उम्‍मीद है। यूआईडीएआई को आशा है कि अपनेऔरऔर भी

जल्दी ही एक हज़ार रुपए से ज्यादा के सारे सरकारी लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जाने लगेंगे। यही नहीं, स्कूल अध्यापकों, आंगनवाड़ी कर्मियों और आशा (एक्रिडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट) कर्मचारियों की तनख्वाह भी सीधे उनके बैंक या पोस्ट ऑफिस खाते में जमा की जाएगी। यह कुछ सिफारिशें हैं आधार से जुड़े एकीकृत भुगतान तंत्र पर बने टास्क फोर्स की। टास्क फोर्स का मानना है कि इससे सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी को काफी हद तक खत्मऔरऔर भी

हर देशवासी को उसकी उंगलियों के निशान से लेकर पुतलियों की अलग बुनावट के आधार पर अलग नबंर देने की आधार परियोजना अधर में लटक गई है। वित्त मंत्रालय की संसदीय स्थाई समिति ने नेशनल आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया बिल को खारिज कर दिया है। इस समिति के अध्यक्ष बीजेपी नेता व पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा हैं। यूं तो सरकार के लिए इस समिति की सिफारिशों को मानना जरूरी नहीं है। लेकिन अभी-अभी रिटेल में एफडीआईऔरऔर भी

अब यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) की हिंदी वेबसाइट भी शुरू हो गई है। हिंदी दिवस इस वेबसाइट का उद्घाटन नंदन नीलेकणि ने किया। उन्‍होंने कहा कि यह वेबसाइट काफी व्‍यापक है और यूआईडीएआई पोर्टल का पूर्ण हिंदी अनुवाद है। उनका दावा है कि यह हिंदी पोर्टल मास्‍टर वेबसाइट का वाजिब अनुवाद है और यह हिंदी में अनूदित अन्‍य वेबसाइटों से भिन्न है। बता दें कि देश के हर नागरिक को अलग पहचान देने की इसऔरऔर भी

रसोई गैस, केरोसिन और उर्वरक पर दी जानेवाली सब्सिडी तीन चरणों में सीधे लक्षित व्यक्ति के बैंक खाते में पहुंचा दी जाएगी। लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेंच है कि सब्सिडी पानेवाले व्यक्ति के पास बैंक खाता तो हो। इसलिए लोगों तक सीधे सब्सिडी पहुंचाने के लिए वित्तीय समावेश कार्यक्रम को तेज करना अपरिहार्य है। यह बात कही है सारे देशवासियों को अलग पहचान देने के काम में लगी संस्था यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के प्रमुखऔरऔर भी

देश के सभी नागरिकों को अलग पहचान देने की परियोजना, आधार में किसी भी व्यक्ति के धर्म और जाति का उल्लेख नहीं होगा। इसमें व्यक्ति को उसकी उंगलियों के निशान और आंख की पुतलियों के स्वरूप से पहचाना जाएगा। इस परियोजना की संचालक यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के चेयरमैन नंदन निलेकणी के अनुसार उनकी संस्था देशवासियों के लिए अलग नंबर जारी करेगी, कार्ड नहीं। यह नंबर पूरी जिंदगी के लिए होगा। इसमें व्यक्ति के नाम,औरऔर भी