हर देशवासी को उसकी उंगलियों के निशान से लेकर पुतलियों की अलग बुनावट के आधार पर अलग नबंर देने की आधार परियोजना अधर में लटक गई है। वित्त मंत्रालय की संसदीय स्थाई समिति ने नेशनल आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया बिल को खारिज कर दिया है। इस समिति के अध्यक्ष बीजेपी नेता व पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा हैं।
यूं तो सरकार के लिए इस समिति की सिफारिशों को मानना जरूरी नहीं है। लेकिन अभी-अभी रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर उसने जिस तरह का राजनीतिक तनाव झेला है, उसमें प्रेक्षकों को नहीं लगता कि वह विपक्ष के साथ कोई नया पंगा मोल लेगी। संसद का शीतसत्र नौ दिन के गतिरोध के बाद बड़ी मुश्किल से बुधवार को शुरू हो सका है। सरकार के सिर पर वैसे ही लोकपाल विधेयक को लेकर अण्णा हज़ारे की तलवार लटकी हुई है।
लेकिन यह भी सच है कि संसदीय समिति द्वारा यूनीक आईडी से संबंधित विधेयक को ठुकराना यूपीए सरकार के लिए गहरा धक्का है क्योंकि सरकार इसे तमाम सामाजिक योजनाओं में भ्रष्टाचार को खत्म करने से लेकर सही व्यक्ति तक सब्सिडी पहुंचाने का जरिया बता रही थी। विधेयक का ठुकराया जाना योजना आयोग के साथ ही यूनीक आईडी प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के अध्यक्ष नंदन निलेकणी के लिए भी भयंकर परेशानी की बात है।
बता दें कि निलेकणी की अध्यक्षता वाला यह प्राधिकरण अभी तक देश भर में 57.50 लाख यूआईडी नंबर जारी कर चुका है। आधार परियोजना की शुरुआत साल 2009 में हुई थी। सरकार ने वित्त वर्ष 2010-11 और वित्त वर्ष 2011-12 के लिए इस परियोजना को 1660 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इसमें से प्राधिकरण 556 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है।
संसदीय स्थाई समिति ने इस विधेयक पर बहुत सारे एतराज जताए हैं और कहा है कि इसे पूरी तरह फिर से बनाया जाना चाहिए। पिछले महीने गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी आपत्ति उठाई थी कि आधार परियोजना के लिए तहत की जा रही बायोमेट्रिक जनगणना सुरक्षा के मानक को पूरा नहीं करती है। गृह मंत्रालय की तरफ से यहां तक कहा गया कि यूआईडी नंबर बगैर जरूरी दस्तावेजों की पुष्टि किए जारी किए जा रहे हैं। इसके अलावा रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त की तरफ से भी गुहार लगाई गई थी कि बायोमेट्रिक डाटा इकट्ठा करने का काम उन पर छोड़ देना चाहिए। वित्त मंत्रालय व योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी दबे स्वर में यूनीक आईडी परियोजना का विरोध कर चुके हैं।
गुरुवार को स्थाई समिति की रिपोर्ट संसद में पेश की गई है तो कांग्रेस सांसद राशिद अल्वी और बीजेपी सांसद एस एस अहलूवालिया में तकरार की नौबत आ गई। अल्वी ने आरोप लगाया कि बीजेपी सांसद ने कुछ पत्रकारों को पहले ही रिपोर्ट लीक कर दी है। दोनों नेताओं में इस बात पर भी असहमति थी कि निवासी और नागरिक में अंतर किया जाए। बीजेपी सांसद का कहना था कि निवासी होने का मतलब भारतीय नागरिक होना नहीं होता। आधार का नंबर दिए जाते वक्त इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए।
यह भी नोट करने की बात है कि कई एनजीओ आधार परियोजना का विरोध करते रहे हैं। बैंगलोर के सिटिजंस एक्शन फोरम के रिटायर्ड कर्नल मैथ्यू थॉमस और ग्राहक शक्ति के संस्थापक ट्रस्टी वी के सोमशेखर यूनीक आईडी प्राधिकरण के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर चुके हैं। इसमें प्राधिकरण के साथ ही केंद्र सरकार और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह अहलूवालिया को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि आधार परियोजना के तहत देशवासियों की निजी जानकारी हासिल करना लोगों के लिए ही नहीं, देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है।