रसोई गैस, केरोसिन और उर्वरक पर दी जानेवाली सब्सिडी तीन चरणों में सीधे लक्षित व्यक्ति के बैंक खाते में पहुंचा दी जाएगी। लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेंच है कि सब्सिडी पानेवाले व्यक्ति के पास बैंक खाता तो हो। इसलिए लोगों तक सीधे सब्सिडी पहुंचाने के लिए वित्तीय समावेश कार्यक्रम को तेज करना अपरिहार्य है। यह बात कही है सारे देशवासियों को अलग पहचान देने के काम में लगी संस्था यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के प्रमुख नंदन निलेकणी की अध्यक्षता में बने कार्यदल ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में।
कार्यदल ने अपनी 70 पन्नों की रिपोर्ट मंगलवार को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सौंप दी। बता दें कि वित्त मंत्रालय ने इस कार्यदल का गठन इस साल फरवरी में बजट पेश होने से पहले किया था और इसे जून तक अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप देनी देनी थी, जो इसने पांच दिन बाद कर दिया। अब इसकी सिफारिशों के आधार पर प्रायोगिक स्तर पर काम शुरू किया जाएगा, जिसके नतीजों को देखते हुए कार्यदल अपनी अंतिम रिपोर्ट दिसंबर तक सौंप देगा। इन पर पूरा अमल मार्च 2012 तक कर देना है।
कार्यदल की अंतरिम रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए वित्त मंत्री मुखर्जी ने कहा कि एलपीजी, उर्वरक और केरोसिन की सब्सिडी सीधे लक्ष्य तक पहुंचने से धन की बरबादी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। उन्होंने कहा कि पेट्रोल पंपों और एलपीजी दुकानों के जरिए सोलर कूकर व लालटेन बांटने पर विचार किया जाना चाहिए। लेकिन उनका कहना है कि केरोसिन की सब्सिडी सीधे गरीब तक पहुंचाने के लक्ष्य की सफलता राज्य सरकारों पर निर्भर करती है क्योंकि इसका वितरण राज्य सरकारें ही करती हैं। उनके मुताबिक केरोसिन की सब्सिडी को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के सुधारों के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
फिलहाल कार्यदल की अंतरिम रिपोर्ट की सिफारिशों के हिसाब से अगले छह महीनों में पायलट शुरू किए जाएंगे जिनके अनुभव के आधार पर अंतिम रिपोर्ट इस साल दिसंबर अंत तक तैयार कर ली जाएगी। एलपीजी के बारे में कार्यदल का सुझाव है कि पहले चरण में प्रति सिलेंडर सब्सिडी की ऊपरी सीमा तय की जानी चाहिए। दूसरे चरण में ग्राहक से पूरा दाम लेकर सब्सिडी उसके बैंक खाते में डाल दी जाए। तीसरे चरण में देखा जाए कि कौन-से ग्राहक सचमुच इसके हकदार हैं। कार्यदल ने कहा है कि तीनों सरकारी तेल व गैस मार्केटिंग कंपनियों – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम को अपने सभी ग्राहकों का एक ट्रांसपैरेंसी पोर्टल बनाना चाहिए। इस तरह के पोर्टल से सारे ग्राहकों की सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
उर्वरक के बारे में कार्यदल की सिफारिश है कि पहले चरण में रिटेल स्तर तक पूरी सप्लाई चेन की साफ जानकारी जुटाई जानी चाहिए। दूसरे चरण में सब्सिडी को रिटेल दुकानदार के बैंक खाते में डाल दिया जाए। और, तीसरे चरण में उर्वरक सब्सिडी सीधे किसान के बैंक खाते में पहुंचा दी जाए। यहां भी उर्वरक के स्टॉक और आवाजाही की पूरी जानकारी के लिए एक ट्रांसपैरेंसी पोर्टल बनाने की सिफारिश की गई है।
केरोसिन के बारे में कार्यदल ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि इस पर राज्य सरकारों के साथ व्यापक विचार-विमर्श जरूरी है। केरोसिन सब्सिडी का सीधे नीचे तक पहुंचना पीडीएस के सुधारों पर निर्भर करता है। कार्यदल का कहना है कि पहले चरण में यह सब्सिडी राज्य सरकारों/संघशासित राज्यों के प्रशासन तक पहुंचाया दी जाए। दूसरे चरण में इसे सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में डाल दिया जाए।
कार्यदल ने पूरी सब्सिडी व्यवस्था की निगरानी के लिए कोर सब्सिडी मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म (सीएसएमएस) बनाने का सुझाव दिया है जो सारे लाभार्थियों का पूरा ब्योरा अपने पास रखे। साथ ही उसका काम उपलब्धता की पूरी स्थिति को पारदर्शी तरीके से पेश करना होगा। लेकिन कार्यदल का कहना है कि सब्सिडी का लक्षित व्यक्ति तक पहुंचना इस बात पर निर्भर है कि लाभार्थी के पास अपना बैंक खाता है कि नहीं और इसके लिए देश में पूर्ण वित्तीय समावेश का लक्ष्य हासिल करना जरूरी है। इसके लिए बैंकों के बिजनेस करेंसपॉन्डेंट का जाल देश भर में फैलाना जरूरी है। इसमें अलग पहचान के आधार अंकों का मिलना मददगार साबित होगा। बता दें कि इस समय देश में 40 फीसदी लोगों के पास ही बैंक खाते हैं।