आधार में धर्म या जाति का जिक्र नहीं

देश के सभी नागरिकों को अलग पहचान देने की परियोजना, आधार में किसी भी व्यक्ति के धर्म और जाति का उल्लेख नहीं होगा। इसमें व्यक्ति को उसकी उंगलियों के निशान और आंख की पुतलियों के स्वरूप से पहचाना जाएगा। इस परियोजना की संचालक यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के चेयरमैन नंदन निलेकणी के अनुसार उनकी संस्था देशवासियों के लिए अलग नंबर जारी करेगी, कार्ड नहीं। यह नंबर पूरी जिंदगी के लिए होगा। इसमें व्यक्ति के नाम, जन्मदिन व जन्म स्थान जैसी डेमोग्राफिक जानकारियों के साथ उंगलियों के निशान व पुतलियों की बुनावट जैसी बायोमेट्रिक सूचनाएं होंगी। लेकिन इसमें जाति या धर्म जैसी जानकारियां नहीं होंगी। बच्चों या नाबालिग विद्यार्थियों को उनके अभिभावक की पहचान से जोड़ा जाएगा। 15 साल उम्र तक आंखों की पुतलियों के आकार को आधार बनाया जाएगा क्योंकि उंगलियों के निशान तो वयस्क होने पर बदल जाते हैं।

नंदन निलेकणी ने सितंबर 2009 में पहली बार इस परियोजना का खाका पेश करते समय ही साफ कर दिया था कि इसमें व्यक्ति के जाति या धर्म के लिए कोई कॉलम नहीं होगा। सोमवार को दिल्ली में एक सम्मेलन में निलेकणी ने बताया कि अलग पहचान के पहले नंबर अगस्त 2010 से फरवरी 2011 के बीच जारी कर दिए जाएंगे और चार साल के भीतर 60 करोड़ भारतीयों को ये नंबर दे देने का लक्ष्य है। नंबरों का पूरा डाटाबेस ऑनलाइन होगा और व्यक्ति की पहचान को देश में कहीं भी जाने पर पुष्ट किया जा सकेगा।

आधार नाम की इस परियोजना का मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा के कहीं ज्यादा सरकार की सामाजिक योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकना है। यही वजह है कि आगे से राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) के हर कार्ड पर यूनीक आईडी नंबर दर्ज रहेगा।

यूआईडीएआई सारे देशवासियों को अलग पहचान देने के इस काम में राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों, बीमा कंपनियां और बैंकों की मदद ले रही है। इसमें राज्य सरकारों के शिक्षा, पंचायत व खाद्य आपूर्ति जैसे विभाग भी सहयोग करेंगे। निलेकणी के मुताबिक यूनीक आईडी नंबर मांग के आधार पर दिए जाएंगे। अथॉरिटी की तरफ से इसके लिए कोई बाध्यता नहीं होगी। लेकिन बैंक, बीमा कंपनियां या सरकारी संस्थाएं अपने स्तर पर यह नंबर लेना अनिवार्य बना सकती हैं। इसका मकसद देश की गरीब आबादी को अलग पहचान देना है क्योंकि अमीरों के पास पैन कार्ड, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस पहले से हैं।

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  1. इस योजना को अच्छी तरह और गहन विचार के साथ लागू किया गया तो अकेली योजना भारत के की रोगों की दवा बन सकती है।

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