चींटियों से चलने से घास भी नहीं हिलती, जबकि हाथी सूखी ज़मीन तक पर छाप छोड़ जाते हैं। लेकिन, चींटी खट से मुड़ जाती है, जबकि हाथी को वक्त लगता है। जो लोग घड़ी-घड़ी शेयरों की चाल देखकर रुख समझने का शगल पालते हैं, वे अक्सर गच्चा खाते हैं। शेयर बाज़ार में ‘हाथियों’ के ऑर्डर पांच-सात दिन लगाते ही हैं। इसलिए उनके रुख को पकड़ने का टाइमफ्रेम बड़ा होना चाहिए। वैसे, कल ढाई बजे क्या हमला हुआ!…औरऔर भी

इंसान की फितरत है कि वो हमेशा सही होना चाहता है। गलत होने से घनघोर घृणा करता है। लेकिन यह फितरत ट्रेडिंग और निवेश की दुनिया में नहीं चलती। यहां का अकाट्य सत्य है कि नुकसान हर किसी को उठाना पड़ेगा। चार ही बातें हो सकती हैं: बड़ा लाभ, छोटा लाभ, बड़ा नुकसान, छोटा नुकसान। इसमें हमें बस बड़े नुकसान से बचने का तरीका खोजना है। बाकी तो वक्त का फेरा है। उतरते हैं आज के मैदानऔरऔर भी

कहा जा रहा है कि एफआईआई दुखी हैं। फंड मैनेजर परेशान हैं। हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। गार (जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल) और वोडाफोन जैसे सौदों पर पिछली तारीख से टैक्स लगाने से उनको भ्रमित कर दिया है। इस साल जनवरी से मार्च तक हर महीने भारतीय शेयर बाजार में औसतन तीन अरब अरब डॉलर लगानेवाले एफआईआई ठंडे पड़ने लगे हैं। सेबी के मुताबिक उन्होंने अप्रैल में अभी तक इक्विटी बाजार में 10.69 करोड़ डॉलर काऔरऔर भी

साल भर में करीब 25,500 करोड़ रुपए का धंधा। करीब डेढ़ लाख लोगों को सीधा रोजगार। अभी सितंबर तिमाही में करीब 7500 करोड़ रुपए की आय पर 1822 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ। मौजूदा बाजार पूंजीकरण 1.65 लाख करोड़ रुपए। इनफोसिस है तो देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी। उसका नंबर टाटा समूह की कंपनी टीसीएस के बाद आता है जिसकी सालाना आय करीब 30,000 करोड़ और मौजूदा बाजार पूंजीकरण 2.34 लाख करोड़ रुपए है।औरऔर भी

हमने अपनी सारी लॉन्ग कॉल्स शुक्रवार को ही बंद कर दी थीं क्योंकि हमें पूरा अहसास था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस सितंबर तिमाही के नतीजों से बाजार को निराश करेंगी। इसके ऊपर से दुनिया के बाजारों ने आग में घी डालने का काम कर दिया। कुछ बाजार सूत्रों का कहना है कि आज दो प्रमुख एफआईआई ने निफ्टी में अपनी लांग पोजिशन काटी है। लेकिन मैं पक्की तरह जानता हूं कि यह सब ड्रामा है। गिरावटऔरऔर भी

टाटा समूह इस वक्त न केवल ब्रिटेन का सबसे बड़ा निर्माता है, बल्कि उसने वहां सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है। उसकी फैक्ट्रियों में सीधे-सीधे 40,000 लोग काम करते हैं। सर्विस स्टाफ को जोड़ दें तो यह संख्या 45,000 के पार चली जाती है। हालांकि टाटा और अंग्रेजों का रिश्ता गुलामी के दौर का है। टाटा ने लंदन से माल मंगवाने के लिए 1907 में वहां पहला दफ्तर खोला था। 1975 में उसने टीसीएस केऔरऔर भी

रूप तात्कालिक है, गुण स्थाई है। शरीर नश्वर है, आत्मा स्थाई है। आईटी सेक्टर अगस्त महीने का सबसे बुरा सेक्टर रहा जिसकी अहम वजह है डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट का अभाव। यह स्टॉक एक्सचेंजों के लिए ड्रैकुला या वैम्पायर बना हुआ है। मेरे पास इसके लिए कोई शब्द नहीं है क्योंकि यह स्थिति सचमुच सभी ट्रेडरों व निवेशकों का खून चूसे जा रही है। इसके चलते आज 95 फीसदी निवेशक लगभग अपनी सारी पूंजी गंवा चुकेऔरऔर भी

तिरुपति के मशहूर मंदिर तिरूमाला तिरूपति देवस्थानम की प्रतिष्ठित श्री सेवा परियोजना को हासिल करने के लिए टीसीएस और विप्रो जैसी तीन कंपनियां दौड़ में लगी हैं। ये कंपनियां सूचना प्रौद्योगिकी सेवा उपलब्ध कराएंगी जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सेवा मिल सकेगी। फिलहाल मंदिर श्रद्धालुओं को ई-सेवा, ई-एकोमोडेशन, ई-सुदर्शनम और ई-हुंडी जैसी चार प्रमुख ई-सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। श्री सेवा परियोजना मंदिर प्रशासन को कमरा व लड्डू जैसी सेवा उपलब्ध कराने में मदद करेगी। तिरूमाला तिरूपति देवस्थानमऔरऔर भी

टीसीएस और इनफोसिस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली यानी जून तिमाही में कंसोलिडेटेड आधार पर 1334.9 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है जो जून 2010 की तिमाही के शुद्ध लाभ 1318.6 करोड़ रुपए से 1.24 फीसदी ज्यादा है। लेकिन इसी दौरान उसकी आय 18.35 फीसदी बढ़कर 7236.4 करोड़ रुपए से 8564 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। अगर स्टैंड-एलोन नतीजों की बात करें तो जूनऔरऔर भी

शुक्रवार की सुबह-सुबह देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बीएसई में कमाल हो गया। टीसीएस का शेयर गुरुवार के बंद भाव 1125.25 रुपए से एकबारगी 20 फीसदी बढ़कर 52 हफ्ते के शिखर 1350.20 रुपए पर जा पहुंचा। फिर अचानक 20 फीसदी का गोता लगाकर 900.25 रुपए पर चला गया। इसी तरह रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) एकबारगी 20 फीसदी गिरकर 693.55 रुपए पर पहुंच गया, जो 52 हफ्ते का उसका न्यूनतम स्तर है। फिर पलक झपकते ही 20 फीसदीऔरऔर भी