सेंसेक्स हो, निफ्टी हो या हो म्यूचुअल फंड, जोखिम से जुड़े हुए इन बाजार आधारित निवेश विकल्पों ने इस साल जून से ही दिल गार्डन-गार्डन कर रखा है। अब आगे बाजार क्या रुख ले रहा है, इसकी खलबली, भविष्यवाणी सब चल रही है एक साथ। अगले कुछ महीनों में बाजार क्या रहेगा? खलबली क्यों है, बाजार आधारित इस जोखिम भरे स्टॉक या शेयर बाज़ार में निवेश के सुखद अवसर बना रहे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करतेऔरऔर भी

युद्ध जारी है। रूस यूक्रेन में अपनी समर्थक सरकार बनाए बिना पीछे नहीं हटनेवाला। नाटो ने भी टैंक भेजने शुरू कर दिए हैं। अब शेयर बाज़ार का क्या होगा? पहले दिन जमकर गिरा। अगले दिन उठ गया। अब क्या होगा? गिरेगा या उठेगा! लेकिन हां या ना, सही या गलत और कंप्यूटर की भाषा में कहें तो शून्य व एक की बाइनरी अलावा भी दुनिया में बहुत होता है। सोचने की आसानी से लिए यकीनन यह तरीकाऔरऔर भी

आज 14 नवंबर 2020 को पड़ रही दीवापली से शुरू हो रहा है नया साल, सम्वत 2077। इस मौके पर बीएसई और एनएसई में शाम को 6.15 बजे से 7.15 बजे तक मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र हो रहा है। इससे पहले 8 मिनट का प्री-ओपन सत्र होगा जिसमें 6 बजे से 6.08 बजे तक ऑर्डर इकट्ठा और मैच किए जाएंगे। ब्लॉक सौदों का सत्र शाम 5.45 बजे से 6 बजे तक चलेगा। बाज़ार में कवर और ब्रैकेट ऑर्डरोंऔरऔर भी

एक सरकार ही है जो मानने को तैयार नहीं। वरना आम से लेकर खास तक, हर कोई मान चुका है कि हमारी अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। रिजर्व बैंक तक ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की विकास दर का अनुमान अप्रैल के 7.2% से घटाकर अब 6.1% कर दिया है। ऐसे माहौल में शेयर बाज़ार पर सरकार की कोई जुगत काम नहीं कर रही। आखिर ऐसे में निवेश का नया तरीका क्या हो सकता है?औरऔर भी

केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र को अब तक का सबसे बड़ा उपहार दिया है, वह भी बजट से बाहर। शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की राजधानी दिल्ली नहीं, बल्कि गोवा की राजधानी पणजी में शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में इस तोहफे या प्रोत्साहन उपाय की घोषणा की। इसके तहत कॉरपोरेट क्षेत्र को कुल 1.45 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया है। मकसद साफ है कि अर्थव्यवस्था में छाई निराशा और शेयर बाज़ारऔरऔर भी

शेयर बाज़ार में कामयाब लोगों की एक-एक हरकत सोची-समझी, जानी-बूझी होती है। यहां अनायास कुछ नहीं होता। हां, पूरी सृष्टि में अनिश्चितता है तो यहां भी कोई उसे मिटा नहीं सकता। लेकिन उसे साधने की पुरजोर कोशिश जरूर होती है। यहां दो तरह के लोग होते हैं। एक वे, जो जानते हैं कि क्या कर रहे हैं। दूसरे वे, जो सिर उठाकर रातोंरात अमीर बनने चले आते हैं। पहले बराबर कमाते हैं, जबकि दूसरे बराबर पिटते हैं।औरऔर भी

विदेशी निवेशक (एफआईआई) हमारे बाज़ार के गुब्बारे में हवा भर चुके हैं। करीब महीने पर पहले इकनॉमिक टाइम्स ने एक अध्ययन किया था। सेंसेक्स से ज्यादा एफआईआई हिस्से वाले स्टॉक्स निकाल दिए तो वो 16000 पर आ गया और कम हिस्से वाले स्टॉक्स निकाल दिए तो वो 41000 पर चला गया। घरेलू संस्थाओं से लेकर कंपनियों के प्रवर्तक तक बेच रहे हैं, विदेशी खरीदे जा रहे हैं। आखिर क्यों? जवाब जटिल है। अब इस हफ्ते की चाल…औरऔर भी

आपने भी देखा होगा कि किसी स्टॉक के बजाय लोगों की आम दिलचस्पी इसमें होती है कि बाज़ार कहां जा रहा है। जैसे कोई मिलने पर पूछता है कि क्या हालचाल है, उसी तरह शेयर बाज़ार से वास्ता रखनेवाले छूटते ही पूछ बैठते हैं कि सेंसेक्स या निफ्टी कहां जा रहा है। चूंकि सेंसेक्स में शामिल सभी तीस कंपनियां निफ्टी की पचास कंपनियों में शामिल हैं। इसलिए हाल-फिलहाल बाज़ार कहां जा रहा है, का मतलब होता हैऔरऔर भी

मशहूर विश्लेषक मार्क फेबर का मानना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था इस समय साल 2008 से भी बदतर अवस्था में है। जबरन कम रखी ब्याज दरों का विस्तार अमेरिका से लेकर यूरोप तक हो चुका है। हर महीने 85 अरब डॉलर के नोट झोंकने के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था संतोषजनक स्थिति में नहीं आ पाई है। भारत व चीन जैसे उभरते देश भी सुस्त पड़ते दिख रहे हैं। ऐसे माहौल में ऐसी कंपनी, जिसका आधार बड़ा मजबूत है…औरऔर भी