शेयर बाज़ार के संजीदा निवेशकों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वे यहां ट्रेडिंग पर दांव लगाने नहीं, बल्कि धैर्य से दौलत बनाने आए हैं। ट्रेडिंग का टेम्परामेंट अलग होता है और निवेश का अलग। दोनों का घालमेल नहीं करना चाहिए। किसी भी शेयर को अपना अंतर्निहित मूल्य हासिल करने के लिए दो-तीन साल देने ही पड़ते हैं। दूसरे, शेयर बाज़ार में दौलत सटीक व शानदार अनुमान से नहीं, बल्कि बड़ी गलतियों से बचकर समझदार फैसले करनेऔरऔर भी

गिरते चाकू को पकड़ने की कोशिश न करें। नहीं तो हाथ कट जाएगा। लगातार गिरते शेयर बाज़ार में किसी दिन 8-10 कंपनियां ही 52 हफ्ते के उच्चतम स्तर पर होती हैं, जबकि 500-600 कंपनियां 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर होती हैं। तलहटी तक गिरी कंपनियों को देखकर सहज लालच होता है कि इनके शेयर खरीद लें तो दो-चार साल में अच्छा फायदा हो सकता है, खासकर तब इस लिस्ट में आरती ड्रग्स, ऑलकार्गो, एस्ट्रल, बालाजी अमीन्स,औरऔर भी

शेयर बाजार में निवेश की सलाह देनेवाले बहुत-से जमूरे सक्रिय हैं। चढ़े हुए बाज़ार में भी कहते हैं कि उनके पास इतनी सलाहें हैं कि आप खरीदते-खरीदते थक जाओगे, तब भी कम नहीं पड़ेंगी। आगे पूछो तो ब्रोकरों की तरह उन्हीं कंपनियों के शेयर खरीदने को कहते हैं जो पहले से चढ़े हुए हैं। लालच में पड़कर अगर आप इनके झांसे में आ गए तो सालों तक पछताते रह जाएंगे। ये तो दलाली खाकर दूर निकल जाएंगेऔरऔर भी

हमेशा ध्यान रखें कि जिन भी 15-20-25 कंपनियों में निवेश कर रखा है, उनमें या दूसरे शब्दों में पोर्टफोलियो में कोई कमज़ोर कंपनी न हो। फिर बाज़ार कितना भी गिरता जाए, चिंता की बात नहीं। मूलभूत रूप से मजबूत कंपनियों के शेयर गिर जाएं तो उन्हें और ज्यादा खरीदते जाएं। गिरते बाज़ार का लाभ उठाने का यही तरीका है। गिरावट के माहौल में घबराकर बेचने लगे तो भविष्य में बहुत पछताएंगे। सोशल मीडिया के ‘विद्वानों’ को ज़रा-सीऔरऔर भी

गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ पर आप सभी को अनंत बधाइयां। गणतंत्र में सबसे अहम है जन या गण। हम सभी जनगण शारीरिक के साथ ही आर्थिक, मानसिक व बौद्धिक, हर दृष्टि से सशक्त हो जाएं तो देश खुद-ब-खुद मजबूत हो जाएगा। बतौर ट्रेडर या निवेशक खुद को सशक्त व समझदार बनाने की प्राथमिक जिम्मेदारी हमारी अपनी है। इधर सितंबर में शिखर पकड़ने के बाद चार महीने में ही हमारा शेयर बाज़ार करीब 12% गिर गया है तोऔरऔर भी

निवेश और युद्ध में वही सफल होता है जो रणनीति व योजना बनाकर चलता है। सबसे सफल निवेशक वो बनता है जो संकट का पहला संकेत मिलते ही घबराता नहीं। वो बाज़ार की हर तरह की स्थिति के लिए पहले से योजना बनाकर चलता है। साथ ही अड़ियल नहीं, बल्कि बाज़ार की स्थिति के अनुरूप लचीला रुख अपनाने को तैयार रहता है। यह भी जान लें कि बाज़ार में केवल जानकर या सटीक ज्ञान से भी नहींऔरऔर भी

न जीवन, न समाज और न ही निवेश की दुनिया फॉर्मूलों में बंधकर चलती है। इसलिए सार्थक जीवन जीने और सफल निवेश के लिए हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। यह भी जान लें कि पढ़े-लिखे होने का मतलब वित्तीय साक्षरता नहीं। केरल देश का सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य है। लेकिन वहां के सबसे ज्यादा लोग लॉटरी खेलते हैं जो शुद्ध रूप में गंवाने का उपक्रम है, कमाने का नहीं। जिस दिन सभी लोग लॉटरी जीतने लगेंगे, उसऔरऔर भी

शेयर बाज़ार धन के लिए मारा-मारी कर रहे सतत युद्ध का मैदान है। इसमें घुसते वक्त हमें छोटे सामान्य रिटेल निवेशक व ट्रेडर होने की अपनी हैसियत याद रखनी चाहिए। याद रखना चाहिए कि इसमें हम जैसे कम पूंजी व पहुंच वाले लोग ही नहीं, एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) या बेहद धनवान लोग और देशी-विदेशी सस्थाएं, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड व बैंक जैसे दिग्गज तक दांव लगाते हैं। ट्रेडिंग में तो हम यकीनन ऐसे बड़ों की राहऔरऔर भी

जब हर तरफ सोशल मीडिया पर निवेश के गुर सिखानेवाले घंटालों की बाढ़ आई हो, तब हमेशा एक बात याद रखनी चाहिए कि अपना अनुभव ही हमारा सबसे बड़ा शिक्षक या गुरु होता है। यही प्रज्ञा या प्रत्यक्ष ज्ञान है। हर साल हमें कुछ न कुछ प्रज्ञा देकर जाता है। वित्तीय बाज़ार पर आई हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में म्यूचुअल फंडों की एसआईपी स्कीम निवेशकों की पहली पसंद रही है। इस दौरान 62%औरऔर भी