शेयर बाज़ार में कुछ भी किसी भी भाव पर खरीद लेने का कोई मतलब नहीं। हालांकि ब्रोकर और जानेमाने निवेश सलाहकार अक्सर हम से यही करवाते हैं। जिन शेयरों में चाल आ गई होती है और वे किसी वजह से बढ़ रहे होते हैं, वे फटाक से उन्हें उठाकर कहते हैं कि खरीद लो। वे निवेशकों की लालच का फायदा उठाते हैं और जब किसी वजह से बाज़ार या वो शेयर गिरता है तो निवेशकों के डर को हवा देते हुए कहते हैं कि बेचकर निकल लो। ऐसे ब्रोकर और तमाम सलाहकार निवेश के लिए बेहद हानिकारक हैं। हमें अच्छी से अच्छी और नामी कंपनी तक के शेयर कभी भी महंगे भाव या ज्यादा पी/ई पर नहीं खरीदने चाहिए। कोई शेयर 40-45 से ज्यादा पी/ई पर ट्रेड हो रहा है तो उसमें घुसने से पहले हज़ार बार सोच लें क्योंकि उससे कोई खास रिटर्न मिलने की संभावना बहुत कम होती है। अगर आपने सही भाव पर कायदे के शेयर खरीद लिये तो समझिए कि आधा मोर्चा तो शुरू में ही जीत लिया। औसत से कम पी/ई पर खरीदे गए शेयर लम्बे समय में एफडी व पीपीएफ वगैरह से ज्यादा रिटर्न देते हैं। बाज़ार के गिरने पर वे ज्यादा गिरते भी नहीं। इसलिए कंपनी अच्छी लगे, तब भी उसके शेयर वाजिब भाव पर ही खरीदें। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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