शेयर बाज़ार कभी सीधी रेखा में नहीं चलता। गिरते-गिरते उठ जाना और उठते-उठते गिर जाना उसका स्वभाव है। 25 मार्च को निफ्टी ऊपर में 23,750 से 7 अप्रैल को नीचे में 21750 तक गिर गया। फिर उठा तो 15 मई को 25,115 तक जाने के बाद नीचे उतर गया। ठीक उस वक्त जब अच्छे-खासे निवेशक व ट्रेडर एक दिशा पकड़ चुके होते हैं, तभी बाज़ार दूसरी दिशा पकड़ लेता है। बाज़ार की ऐसी हरकत अनायास नहीं। इसके पीछे कुछ न कुछ कारण ज़रूर होते हैं, बराबर हमें जिनका पता लगाते रहना चाहिए। चूंकि वित्तीय बाज़ार ग्लोबल हो चुका है, इसलिए इसकी वजह भीतर ही नहीं, बाहर भी हो सकती हैं। मसलन, पिछले हफ्ते अमेरिकी सरकार को ट्रेजरी बॉन्ड बेचने में दिक्कत आई। इससे पता चला कि बाज़ार में बॉन्डों की मांग कमज़ोर है। नतीजतन बॉन्डों के भाव गिर गए तो उन पर मिलनेवाली यील्ड बढ़ गई। यील्ड बढ़ने से शेयर बाज़ार पर नकारात्मक असर पड़ा क्योंकि धन शेयरों से निकल सस्ते हो चुके बॉन्डों की तरह भागने लगा। यह थी बीते शेयर बाज़ार के गिरने की खास वजह। लेकिन जो निवेशक लम्बे समय के लिए अच्छे स्टॉक्स वाजिब भाव पर खरीद लेते हैं, उन्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं होती। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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