फिर वही हाल। लेकिन कल का उल्टा। दोपहर तक मामला सुस्त चल रहा था। फिर यूरोपीय बाजार से सकारात्मक रुझान मिला तो हमारा बाजार भी तेजी से बढ़ गया। लगातार चार दिन की बढ़त के बाद सेंसेक्स अब 17503.71 और निफ्टी 5332.40 पर है। सेंसेक्स आज 0.64 फीसदी तो निफ्टी 0.61 फीसदी बढ़ा है। अप्रैल के निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5364 रहा है। 5370 से बस छह अंक पीछे। जानकार बताते हैं कि अगर बाजार कोऔरऔर भी

स्ट्राइड्स आर्कोलैब है तो 1990 में बनी और बैंगलोर में जमी भारतीय फार्मा कंपनी, लेकिन इसका तंत्र विश्व स्तर पर फैला हुआ है। अमेरिका, ब्राजील, मेक्सिको, इटली, पोलैंड व सिंगापुर में उत्पादन संयंत्र हैं तो करीब 70 देशों में मार्केटिंग नेटवर्क। देश में इसकी उत्पादन इकाइयां बैंगलोर, मैंगलोर, भरुच (गुजरात) और बोइसर (ठाणे, महाराष्ट्र) में हैं। बनाती तो जेनेरिक से लेकर ब्रांडेड फार्मा उत्पाद है। लेकिन ज़ोर स्टेराइल इंजेक्टेबल्स पर है। वह दुनिया के सबसे बड़ी सॉफ्टऔरऔर भी

कहने को अलेम्बिक लिमिटेड 104 साल पुरानी 30 जुलाई 1907 को बनी भारतीय दवा कंपनी है। ललित मोदी की जगह आईपीएल के चेयरमैन व कमिश्नर बने चिरायु अमीन इसके सीएमडी हैं। एक संयंत्र वडोदरा (गुजरात) तो दूसरा संयंत्र बड्डी (हिमाचल प्रदेश) में है। दुनिया के लगभग 75 देशों में उसकी पहुंच है। कल उसने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। इनके मुताबिक जून 2011 में खत्म तिमाही में उसने 39.55 करोड़ रुपएऔरऔर भी

21 की मौत, 150 से ज्यादा घायल। आज इनसे जुड़े हजार-दो हजार लोगों की ज़िंदगी यकीनन ठहर गई होगी। लेकिन मुंबई के बाकी करीब 205 लाख लोंगों की ज़िंदगी की जंग चलती रहेगी। आतंकवाद की यही सीमा है। यह हमारे जीवन में इतना खलल भी इसीलिए डाल पाता है क्योंकि इसके पीछे खास किस्म की राजनीति काम करती है। इसे सिर्फ खुफिया व सुरक्षा तंत्र की कमजोरी मानना गलत होगा। खैर, इस तरह के पत्थर फेंकने सेऔरऔर भी

कंपनियां भी हमारे-आप जैसे इंसान ही चलाते हैं तो जिस तरह अनागत का भय हमें कभी ज्योतिष तो कभी न्यूमेरोलॉजी के चक्कर में खींच ले जाता है, वैसा बहुत सारी कंपनियों के साथ भी होता है। जैसे, नाम सीधा-सा है एस डी एल्यूमीनियम। इसे पढ़ेंगे और हिंदी में लिखेंगे भी ऐसे, लेकिन अंग्रेजी में इसे कर दिया – Ess Dee Aluminium। खैर, हमें नाम से क्या, हमें तो काम से काम है। एस डी एल्यूमीनियम का शेयरऔरऔर भी

झीलों के शहर उदयपुर (राजस्थान) में आजादी के साल 1947 में गठित कंपनी पी आई इंडस्ट्रीज के साथ इस समय कहीं कुछ तो है, जो ठीक नहीं है। कंपनी अपनी वर्किंग कैपिटल या कार्यशील पूंजी जरूरतों के लिए पॉलिमर इकाई बेचने के साथ-साथ अपनी अचल संपत्तियां भी गिरवी रख रही है। इसके लिए उसने अपने शेयरधारकों के लिए पोस्टल बैलट 12 जनवरी को तैयार किया था। इसे 17 फरवरी तक शेयरधारकों ने मंजूरी दे दी है। इसऔरऔर भी

बायोकॉन लिमिटेड दवा व्यवसाय से ज्यादा अपनी चेयरमैन व प्रबंध निदेशक किरण मजुमदार शॉ के नाम से जानी जाती है। बीते शुक्रवार, 21 जनवरी को उन्होंने बैंगलोर में कंपनी के दिसंबर 2010 तिमाही के नतीजे पेश करते हुए कहा था, “बायोकॉन ने अब तक का सबसे ज्यादा कर-बाद लाभ घोषित किया है और यह 100 करोड़ के पार चला गया है। कंपनी का परिचालन लाभ मार्जिन भी इस तिमाही में 24 फीसदी बढ़ गया है। यह हमारेऔरऔर भी

शुरू में ही एक बात साफ कर दूं कि आपके लिए फैसले हम नहीं ले सकते। आपको खुद फैसला करना है कि किस स्टॉक में निवेश करना है या नहीं क्योंकि शेयर बाजार में निवेश ताजिंदगी चलनेवाली लंबी चीज है, दीपावली की फुलझड़ी या अनार नहीं। हम आपको सही स्टॉक चुनने में मदद भर कर सकते हैं। शेयर बाजार की गलियों में निवेश की गाड़ी को ड्राइव करना आपको सीखना ही पड़ेगा। तो, आज चर्चा जुबिलैंट लाइफऔरऔर भी

कोरेक्स, बीकासूल व जेलुसिल बनानेवाली बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी फाइजर का नाम शायद आप सबको पता ही होगा। इसके कुछ अन्य ब्रांड हैं डोलोनेक्स और मिनीप्रेस-एक्सएल। ये सभी ब्रांड बाजार से ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहे हैं। कंपनी का वित्त वर्ष दिसंबर से नवंबर तक का है। नवंबर 2010 में खत्म वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी की आय 29 फीसदी बढ़कर 203 करोड़ रुपए से 261 करोड़ रुपए हो गई है, जबकि इस दौरान दवा उद्योगऔरऔर भी

ग्रेन्यूल्स इंडिया के बारे में तकनीकी विश्लेषक बताते हैं कि उसमें लंबी व मध्यम अवधि (तीन महीने से लेकर साल भर) का ‘बुलिश’ रुख है और यह बढ़कर 121 रुपए तक जा सकता है। कल यह 1.97 फीसदी बढ़कर 103.30 रुपए पर बंद हुआ है। ग्रेन्यूल्स इंडिया हैदराबाद स्थित दवा कंपनी है। पहले कंपनियों को दवाओं के अवयव (एपीआई) और फॉर्मूलेशन के मध्यवर्ती उत्पाद (पीएफआई) ही बनाकर सप्लाई करती थी। अब पूरी तरह तैयार दवाएं भी बनानेऔरऔर भी