इतना बुरा तो नहीं जुबिलैंट लाइफ

शुरू में ही एक बात साफ कर दूं कि आपके लिए फैसले हम नहीं ले सकते। आपको खुद फैसला करना है कि किस स्टॉक में निवेश करना है या नहीं क्योंकि शेयर बाजार में निवेश ताजिंदगी चलनेवाली लंबी चीज है, दीपावली की फुलझड़ी या अनार नहीं। हम आपको सही स्टॉक चुनने में मदद भर कर सकते हैं। शेयर बाजार की गलियों में निवेश की गाड़ी को ड्राइव करना आपको सीखना ही पड़ेगा।

तो, आज चर्चा जुबिलैंट लाइफ साइसेंज की। इसका शेयर (बीएसई – 530019, एनएसई – JUBILANT) नए साल में 13 जनवरी को 246 रुपए की तलहटी पर जा पहुंचा और अब भी उसी के आसपास डोल रहा है। कल बीएसई में 248.10 रुपए पर बंद हुआ है। शेयर एक रुपए अंकित मूल्य का है और इसकी बुक वैल्यू 149.62 रुपए है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर शुद्ध लाभ) 20.37 रुपए है। इस तरह उसका शेयर 12.22 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि इसी टक्कर की कंपनियों में कैडिला का पी/ई अनुपात 26.07, सिप्ला का 25.96 और ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन फार्मा का पी/ई अनुपात 33.92 चल रहा है।

जुबिलैंट लाइफ साइसेंज 1978 में बनी तो इसका नाम वैम ऑर्गेनिक केमिकल्स था। लकड़ी वगैरह को चिपकानेवाला वैमिकोल ब्रांड इसने 1988 में लांच किया। लेकिन फिर यह धीरे-धीरे फार्मा व लाइफ साइसेंज के बिजनेस में उतरती गई है। आज यह भारत में क्रैम्स (कस्टम रिसर्च एंड मैन्यूफैक्चरिंग सर्विसेज) की सबसे बड़ी कंपनी है। वह देश के प्रमुख डीडीडीएस (ड्रग डिलीवरी एंड डेवलपमेंट सोल्यूशंस) प्रोवाइडर में गिनी जाती है। दुनिया में अमेरिका, कनाडा, यूरोप व चीन समेत 65 से ज्यादा देशों के ग्राहकों को अपनी सेवाएं देती है।

इसी वित्त वर्ष में नवंबर 2010 से उसने अपने एग्री व परफॉर्मेंस पॉलिमर बिजनेस को अलग नई कंपनी जुबिलैंट इंडस्ट्रीज में डाल दिया है ताकि फार्मा व लाइफ साइंसेज बिजनेस पर स्पष्ट ध्यान दे सके। अपने शेयरधारकों को उसने एक रुपए अंकित मूल्य के 20 शेयरों के एवज में जुबिलैंट इंडस्ट्रीज का 10 रुपए अंकित मूल्य का एक शेयर दिया है। इस डीमर्जर के बाद कोटक महिंद्रा कैपिटल व एसबीआई कैपिटल मार्केट्स ने उसके द्वारा पहले जारी किए गए 14.2 करोड़ डॉलर के एफसीसीबी (विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड) का नए सिरे से मूल्यांकन किया। उन्होंने बांड को शेयरों में बदलने का मूल्य 413.45 रुपए से घटाकर 379 रुपए कर दिया। इस तरह अलग किए गए एग्री व परफॉर्मेंस पॉलिमर बिजनेस का मूल्य पूरे मूल्य का 8.3 फीसदी ही आंका गया है। जाहिर-सी बात है कि जिस शेयर का मूल्यांकन 379 रुपए हो और वह 248-250 रुपए पर चल रहा हो तो उसे सस्ता ही माना जाएगा। वैसे भी इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 395.43 रुपए का है जो इसने 8 जून 2010 को हासिल किया था।

कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 2460.34 करोड़ रुपए की आय पर 363.10 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। इस वित्त वर्ष 2010-11 की सितंबर तिमाही में उसकी आय 672.66 करोड़ और शुद्ध लाभ 97.65 करोड़ रुपए है, जबकि परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 21.69 फीसदी रहा है। कंपनी की इक्विटी 15.88 करोड़ रुपए है। दिसंबर 2010 की ताजा स्थिति के अनुसार इसका 47.18 फीसदी प्रवर्तकों (43.68 भारतीय, 3.50 विदेशी) के पास है, जबकि एफआईआई के पास इसके 28.36 फीसदी और डीआईआई के पास 3.85 फीसदी शेयर हैं।

दिसंबर तिमाही में जहां डीआईआई ने कंपनी के शेयर बेचे हैं, वहीं एफआईआई ने खरीदे हैं। सितंबर तिमाही में एफआईआई के पास कंपनी के 25.45 फीसदी और डीआईआई के पास 7.63 फीसदी शेयर थे। कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक श्याम भरतिया हैं जिनके एक जमाने में कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी से बड़े नजदीकी रिश्ते हुआ करते थे। इस समय का पता नहीं।

अंत में बस इतना कि चाय कंपनियों के शेयरों पर नजर रखिए। इस बार के बजट में इस उद्योग के लिए खास कुछ अच्छा-अच्छा होनेवाला है।

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