उद्योग से तेज रफ्तार फाइजर

कोरेक्स, बीकासूल व जेलुसिल बनानेवाली बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी फाइजर का नाम शायद आप सबको पता ही होगा। इसके कुछ अन्य ब्रांड हैं डोलोनेक्स और मिनीप्रेस-एक्सएल। ये सभी ब्रांड बाजार से ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहे हैं। कंपनी का वित्त वर्ष दिसंबर से नवंबर तक का है। नवंबर 2010 में खत्म वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी की आय 29 फीसदी बढ़कर 203 करोड़ रुपए से 261 करोड़ रुपए हो गई है, जबकि इस दौरान दवा उद्योग की विकास दर 19 फीसदी के आसपास रही है। इस तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 46 फीसदी बढ़कर 30.2 करोड़ रुपए से 43.9 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।

कंपनी की आय में फार्मा बिजनेस का हिस्सा 79 फीसदी, एनिमल हेल्थकेयर का 12 फीसदी और क्लिनिकल ट्रायल्स का हिस्सा 9 फीसदी है। चौथी तिमाही में उसकी क्लिनिकल ट्रायल्स की आय 274 फीसदी बढ़ी है, जबकि फार्मा बिजनेस 20 फीसदी और एनिमल हेल्थकेयर 19 बढ़ा है। इस दौरान कंपनी ने कर्मचारियों की लागत और अन्य खर्चे घटाए हैं, जिससे उसका सकल लाभ मार्जिन 15 फीसदी से बढ़कर 18.5 फीसदी हो गया है।

कंपनी का शेयर (बीएसई – 500680, एनएसई – PFIZER) अभी 1247 रुपए पर चल रहा है। कल ही इसमें 1.28 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। पिछले हफ्ते जारी एचडीएफसी सिक्यूरिटीज की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक यह जल्दी ही 1351 रुपए तक जा सकता है। इसका पिछले 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 1310 रुपए का है जो इसने 21 जुलाई 2010 को हासिल किया था।

कंपनी ने बीते साल 8 नए उत्पाद बाजार में उतारे। इनमें से हर उत्पाद की बिकी 4 से 5 करोड़ रुपए रही है और कंपनी की कुल बिक्री या आय में इनका योगदान करीब 3 फीसदी का है। वह भारतीय बाजार में अपने इंसुलिन से जुड़े उत्पाद भी उतारने की संभावनाएं तलाश रही है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज का कहना है कि नए उत्पाद कंपनी के भावी विकास को और आगे ले जाएंगे।

आपको पता ही होगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फाइजर में वयेथ का विलय हो चुका है। नतीजतन भारत में भी वयेथ फाइजर में मिल जाएगी। इस विलय के बाद फाइजर भारत में एब्बट और ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन फार्मा के बाद तीसरी सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी बन जाएगी। फाइजर व वयेथ के छह खास ब्रांड अभी देश में दवा बाजार के शीर्ष 300 ब्रांडों में शामिल हैं।

एक बात और नोट करने की है कि फाइजर पूरी तरह ऋण-मुक्त कंपनी है। इसलिए उसे ब्याज पर कुछ खर्च नहीं करना पड़ता। कंपनी निकट भविष्य में कोई बड़ा पूंजी खर्च भी नहीं करनेवाली है। हालांकि भारतीय बाजार में वह कुछ कंपनियां या ब्रांड खरीदने की कोशिश में है। इस समय उसके पास 847 करोड़ रुपए का कैश है जो प्रति शेयर 284 रुपए निकलता है।

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