संख्याएं चलाती हैं हमारी जिंदगी। क्या करेंगे, क्या पाएंगे – सारा हिसाब करती हैं संख्याएं। समय तक को बांधती हैं संख्याएं। हम इनसे भाग नहीं सकते। हां, उन्हें उंगलियों के पोरों पर जरूर रख सकते हैं।और भीऔर भी

भारतीय शेयर बाजार में बाजार के शातिर उस्तादों और राजनेताओं का क्या खेल हो सकता है? उनके बीच क्या कोई दुरभिसंधि है? वह भी तब जब पूरा बाजार, खासकर डेरिवेटिव सेगमेंट बेहद खोखले आधार पर खड़ा है? शेयर बाजार में होनेवाले कुल 1,70,000 करोड़ रुपए के कारोबार में से बमुश्किल 15,000 करोड़ कैश सेगमेंट से आता है। इस कैश सेगमेंट से अरबों डॉलर का बाजार पूंजीकरण एक झटके में उड़ जाता है, जबकि वास्तविक स्थिति यह हैऔरऔर भी