व्हर्लपूल ऑफ इंडिया का शेयर पिछले एक महीने में 18.87 फीसदी बढ़ा है। 21 मार्च को यह 243 रुपए था और 21 अप्रैल को 288.85 रुपए पर बंद हुआ है। साल भर पहले 22 अप्रैल 2010 को यह 172.55 रुपए पर था। उससे पहले 8 फरवरी 2010 को यह इससे भी नीचे 128 रुपए था। असल में यह शेयर 9 सितंबर 2010 को 338.50 रुपए का उच्चतम स्तर हासिल करने के बाद 2 फरवरी 2011 तक बराबरऔरऔर भी

सिर्फ बाजार भाव से नहीं पता चलता है कि कोई शेयर सस्ता है या नहीं। भाव बढ़ जाने के बावजूद वह सस्ता हो सकता है या महंगा। इसका पता इससे चलता है कि उसके मूल्यांकन का स्तर क्या है। और, मूल्यांकन का पैमाना है पी/ई अनुपात। यानी, बाजार भाव को उसके सालाना ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) से भाग देने पर निकला अनुपात। आप कहेंगे कि यह तो अलग-अलग कंपनियों की बात हुई। कंपनियों के किसी सेट काऔरऔर भी

चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक इंटरनेशनल के बैंक रिसर्च प्रमुख पॉल शुल्टे ने ईटी नाऊ को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारतीय बैंकों के स्टॉक्स दुनिया में सबसे महंगे हैं। भारतीय बैंक औसतन 15 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे है, जबकि इंडोनेशिया के बैंक 13 और चीन के बैंक 9 के पी/ई अनुपात पर। पॉल शुल्टे ने एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई को महंगा बताया और एक्सिस बैंक के बारे में कहा कि जो लोगऔरऔर भी

बालाजी अमीन्स स्मॉल कैप कंपनी है। बीएसई के बी ग्रुप में है। उसका कुल बाजार पूंजीकरण 162 करोड़ रुपए है। कंपनी की कुल इक्विटी 6.48 करोड़ रुपए है जो पहले 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी थी, लेकिन 18 नवंबर 2010 से इन्हें 2 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बांट दिया गया है। इसका 53.88 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों और 46.12 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास है। उसका शेयर शुक्रवार को बीएसई (कोड – 530999)औरऔर भी

भविष्य को न देख सिर्फ वर्तमान को देखो तो चूक हो जाती है। खासकर शेयर बाजार में तो ऐसा ही होता है। मुझे 25 मार्च को ही डेवलमेंट क्रेडिट बैंक (डीसीबी) के बारे में लिखना था। इसका आगा-पीछा पता लगा लिया था। तब इसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 44 रुपए पर चल रहा था। लेकिन लगा कि जो बैंक लगातार दो साल से घाटे में हो, जिसका इक्विटी पर रिटर्न ऋणात्मक हो, उसके बारे मेंऔरऔर भी

मूलभूत रूप से मजबूत कंपनियों के शेयर बढ़ते ही हैं। हमने इसी कॉलम में 1 जुलाई 2010 को वी-गार्ड इंडस्ट्रीज की चर्चा की थी। तब उसका भाव 102 रुपए था। नौ महीनों में यह बढ़कर 190 रुपए पर पहुंच गया है। इस बीच 11 नवंबर 2010 को यह 215 रुपए की ऊंचाई भी छू चुका है। रिटर्न की गणना आप खुद कर लीजिए। इसलिए बाजार से चुन-चुनकर मजबूत शेयर पकड़ते रहना चाहिए। वक्त के साथ वे अच्छाऔरऔर भी

सुप्रीम इंडस्ट्रीज विशाल घरेलू बाजार के दम पर टिकी कंपनी है। देश के प्लास्टिक उद्योग की अग्रणी कंपनी है। गठन आजादी से पहले 1942 में किया गया। खुद की अपनी आर एंड डी सुविधाएं हैं। 18 संयंत्र हैं। क्रॉस लैमिनेटेड फिल्म, पीपी मैट व एसडब्ल्यू पाइपिंग सिस्टम जैसे कई उत्पाद देश में पहली बार लाने का श्रेय कंपनी को जाता है। मोल्डेड फर्नीचर, स्टोरेज व मैटीरियल हैंडलिंग उत्पाद, एक्सएफ फिल्म, इंडस्ट्रियल मोल्डेड उत्पाद, पैकेजिंग व प्लास्टिक पाइपिंगऔरऔर भी

मैथन एलॉयज 1995 में बनी 16 साल पुरानी कंपनी है। देश में मैंगनीज एलॉय की सबसे बड़ी निर्माता है। इसकी 45 फीसदी कमाई यूरोप व एशिया को किए गए निर्यात से होती है। इसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 45.52 रुपए है। इसका शेयर कल बीएसई (कोड – 590078) में 2.93 फीसदी बढ़कर 144.25 रुपए पर बंद हुआ है। इस तरह यह शेयर मात्र 3.17 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।औरऔर भी

बाजार में ऐसा बहुत कुछ अजब-गजब चलता रहता है जिस पर हम ध्यान नहीं देते, जबकि ध्यान देते रहना चाहिए। हालांकि ध्यान देने का असली काम तो स्टॉक एक्सचेंजों और सेबी का है। वे ध्यान देंगे, तभी हालात सुधर सकते हैं। हम तो ध्यान देकर बस ‘विचित्र, किंतु सत्य’ का आनंद ही ले सकते हैं। जैसे, कल बीएसई में एनसीसी लिमिटेड (कोड – 500294) के 8.02 लाख शेयरों का कारोबार हुआ, लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे किऔरऔर भी

जेके पेपर। दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532162) में 46.20 रुपए और एनएसई (कोड – JKPAPER) में 46.15 रुपए पर बंद हुआ है। शेयर की बुक वैल्यू है इसकी लगभग डेढ़ गुनी 70.78 रुपए। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीने (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 14.13 रुपए है। यानी, यह शेयर अभी ट्रेड हो रहा है मात्र 3.27 के पी/ई अनुपात पर। वह भी तब, जब कंपनी पुरानी है, समूह जानामानाऔरऔर भी