सुप्रीम इंडस्ट्रीज विशाल घरेलू बाजार के दम पर टिकी कंपनी है। देश के प्लास्टिक उद्योग की अग्रणी कंपनी है। गठन आजादी से पहले 1942 में किया गया। खुद की अपनी आर एंड डी सुविधाएं हैं। 18 संयंत्र हैं। क्रॉस लैमिनेटेड फिल्म, पीपी मैट व एसडब्ल्यू पाइपिंग सिस्टम जैसे कई उत्पाद देश में पहली बार लाने का श्रेय कंपनी को जाता है। मोल्डेड फर्नीचर, स्टोरेज व मैटीरियल हैंडलिंग उत्पाद, एक्सएफ फिल्म, इंडस्ट्रियल मोल्डेड उत्पाद, पैकेजिंग व प्लास्टिक पाइपिंग सिस्टम और पेट्रो-रसायन तक बनाती है।
लेकिन इतना सब कुछ के बावजूद निवेशकों की नजरों में उतनी चढ़ी नहीं है। उसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर अभी 155 रुपए पर चल रहा है। ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 13.36 रुपए है। इसके आधार पर शेयर (बीएसई – 509930, एनएसई – SUPREMEIND) अभी 11.6 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसलिए बढ़ने की गुंजाइश तो है। लेकिन कितनी और कब, कहा नहीं जा सकता। वैसे, यह मिड कैप कंपनी है और इधर आप ही देख रहे होंगे कि मिड कैप व स्मॉल कैप कंपनियों में लगातार अच्छी-खासी तेजी देखी जा रही है। कंपनी का मौजूदा बाजार पूंजीकरण (शेयर का भाव और कुल जारी शेयरों की संख्या का गुणनफल) 1972 करोड़ रुपए का है।
लेकिन कंपनी का शेयर तुरत-फुरत में बढ़ जाए, इसकी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। इसी तरह की अन्य कंपनी सिंटेक्स इंडस्ट्रीज का शेयर पिछले तीन महीनों से कमोबेश एक ही स्तर पर अटका हुआ है। हालांकि इधर सुप्रीम इंडस्ट्रीज में वाजिब निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती दिख रही है। शुक्रवार, 8 अप्रैल को बीएसई में बिना किसी बल्क या ब्लॉक डील के उसके 1.64 लाख शेयरों में करोबार हुआ जिसमें से 99.38 फीसदी शेयर डिलीवरी के लिए थे। इससे पहले बीएसई में इसका पिछले दो हफ्ते का औसत वोल्यूम करीब 30,000 शेयरो का रहा है। हालांकि एनएसई में शुक्रवार को इसमें हुआ वोल्यूम मात्र 8036 शेयरों का था, जिसमें से 86.87 फीसदी या 6981 शेयर डिलीवरी के लिए थे। असल में निवेशक दोनों एक्सचेंजों के भावों के जरा से अंतर पर खेल जाते हैं। दिन के किसी वक्त बीएसई में भाव 5 पैसे भी कम हो तो निवेशक वहीं से सौदे करते हैं।
कंपनी का कामकाज एकदम दुरुस्त चल रहा है। दिसंबरर 2010 की तिमाही में उसने 585.21 करोड़ रुपए की आय पर 41.21 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। साल भर पहले इसी अवधि में उसकी आय 488.28 करोड़ और शुद्ध लाभ 35.91 करोड़ रुपए था। इस तरह सालाना तुलना में कंपनी की आय 19.85 फीसदी और शुद्ध लाभ 14.76 फीसदी बढ़ा है। पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी ने 2014.88 करोड़ की आय पर 144.83 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था।
कंपनी ने अपने शेयरों को आम निवेशकों के लिए ज्यादा सुलभ बनाने के वास्ते उसे बीते साल 19 अक्टूबर 2010 से पांच भागों में बांट दिया है। पहले इसका अंकित मूल्य 10 रुपए का था। अब दो रुपए है। वैसे शेयर का 52 हफ्तो का उच्चतम स्तर 169.90 रुपए का है जो उसने स्टॉक स्प्लिट के दिन 19 अक्टूबर 2010 को हासिल किया था। इसलिए इसमें कम से कम दो साल के निवेश की सोच रखनेवालों को ही ठीकठाक रिटर्न मिल सकता है।
कंपनी की चुकता पूंजी 25.41 करोड़ रुपए है। इसका 50.38 फीसदी हिस्सा पब्लिक और बाकी 49.62 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। पब्लिक के हिस्से में से एफआईआई के पास इसके 4.21 फीसदी और डीआईआई के पास 1.11 फीसदी शेयर हैं। एफआईआई व डीआईआई दोनों ने कंपनी में दिसंबर तिमाही के दौरान अपना निवेश बढ़ाया है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 32,767 है। उसके बड़े शेयरधारकों में नालंदा इंडिया फंड (3.35 फीसदी), सुदर्शन सिक्यूरिटीज (2.98 फीसदी), अमृत पेट्रोलियम (1.52 फीसदी), जसवंतलाल शांतिलाल शाह (1.97 फीसदी) और अनुज ए शेठ (1.47 फीसदी) शामिल हैं।
अंत में एक बात फिर दोहरा दूं कि कोई कंपनी जब अच्छी तरह में समझ में आ जाए, उसमें भावी विकास की गुंजाइश नजर आए, तभी उसके शेयरों में निवेश करें। हमारे या किसी और के कहने पर नहीं। इसके लिए खुद रिसर्च व तहकीकात जरूरी है। अगर यह नहीं कर सकते तो आपको शेयर बाजार में निवेश से दूर ही रहना चाहिए। लॉटरी या जुआ खेलने की मानसिकता से शेयर बाजार में निवेश नहीं हो सकता।