कुशल खिलाड़ी वही है जो सामनेवाले को अपने अगले दांव का भान न होने दे। वह अक्सर वो करता है जिसका सहज अनुमान लगाना मुश्किल हो। सो, बराबर वो अपनी चाल बदलता रहता है। इसी तरह शेयर बाज़ार के उस्ताद भी अपनी रणनीति बदलते रहते हैं। ट्रेडिंग में कमाई चूंकि उस्तादों व संस्थाओं की रणनीति को पकड़ने का खेल है। इसलिए हमें भी बराबर अपनी रणनीति को अपडेट करते रहना चाहिए। करते हैं अब शुक्र का वार…औरऔर भी

आंकड़े अतीत के। विश्वास कि अतीत खुद को भविष्य में दोहराएगा। फिर भविष्य का अनुमान। इसी से हम शेयर, कमोडिटी या विदेशी मुद्रा की भावी चाल का आकलन करते हैं। लेकिन जब वशिष्ट जैसे मुनि की गणना का हश्र यह हो कि सीता हरण, मरण दशरथ को, वन में विपति परी, तब औरों की क्या बिसात! सो, ट्रेडिंग में घाटा लगना अवश्यसंभावी है। यह इस धंधे की वर्किंग कैपिटल है, लागत है। परखें अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

एनएसई में हर दिन 1500 से ज्यादा कंपनियों में ट्रेडिंग होती है। इनमें से 135 कंपनियों में फ्यूचर्स व ऑप्शंस ट्रेडिंग की इजाजत है। सबसे बड़ी मुश्किल यह कि ट्रेडिंग के लिए चुनें किस-किस को चुनें? अलग-अलग उद्योग के स्टॉक्स का स्वभाव अलग और एक ही सेगमेंट के शेयरों तक की चाल अलग। चुनने के लिए उनके स्वभाव का पता लगाना होता है। स्वभाव जानने के लिए देखनी पड़ती है सालों-साल की चाल। अब बुधवार की दिशा…औरऔर भी

ट्रेडिंग करते वक्त भावनाओं पर नियंत्रण की बात बार-बार कही जाती है। इसकी एकमात्र वजह यह है कि भावनाओं में बहकर हम सच नहीं देख पाते। और, आप जानते ही हैं कि द्रोणाचार्य जैसा गुरु व महारथी भी भावनाओं में बहता है तो धृष्टद्युम्न जैसा सामान्य योद्धा तक उसे मार देता है। यह भी सच है कि घाटा लगते ही बड़े-बड़े धैर्यवान भावना में बह जाते हैं। इसीलिए बना है 2-6% का नियम। अब मंगलवार की मानसिकता…औरऔर भी

मुहूर्त बीता। अब सम्वत 2071 की पहली ट्रेडिंग। इस मौके पर हर ट्रेडर को पांच बातें गांठ बांध लेनी चाहिए। पहली, ट्रेडिंग पर कभी भावनाओं को हावी न होने दें। दूसरी, हर हाल में अपनी ट्रेडिंग पूंजी संभालें। तीसरी, घाटा लगे तो उसे सीखने/ट्रेनिंग का खर्च मानें। चौथी, चंद हफ्तों या महीनों नहीं, बल्कि कई सालों के आंकड़ों की थाह लें। पांचवीं बात, हर ट्रेडिंग सिस्टम को अपग्रेड करते रहना पड़ता है। फिलहाल, नए सप्ताह का श्रीगणेश…औरऔर भी

ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर वही, चार्ट वही, वही सारे इंडीकेडर। पर कामयाब ट्रेडरों के तरीके भिन्न होते हैं। उसी तरह जैसे एक ही परिवार के चार भाई एक-सा भोजन करने के बावजूद अलग अंदाज़ में बढ़ते हैं। हर किसी को अपने व्यक्तित्व के हिसाब से ट्रेडिंग सिस्टम बनाना पड़ता है। एसएमए व ईएमए, आरएसआई, कैंडल का पैटर्न, संस्थाओं की खरीद व बिक्री का संतुलन। कुछ तो बस इन्हीं से बाज़ार पीट डालते हैं। अब नब्ज़ मंगल के बाज़ार की…औरऔर भी

शेयरों में ट्रेडिंग और निवेश में सफलता इससे नहीं मिलती कि कितनी तेज़ सूचनाएं आप तक पहुंचती हैं या आपने कितनी पोथियां बांच रखी हैं। यहां सफलता इस बात से तय होती है कि वाजिब सूचनाएं और शिक्षा आप तक पहुंची है या नहीं। मेरे एक मित्र हैं। कुछ दिनों पहले तक फेसबुक पर निवेश व ट्रेडिंग की सलाहें खटाखट मुफ्त में दिया करते थे। लेकिन फालतू-निरर्थक निकला तो एकाउंट बंद कर दिया। अब शुक्रवार की ट्रेडिंग…औरऔर भी

फाइनेंस बाज़ार में बुल्स और बियर्स की तरह कई जानवरों के नाम चलते हैं। इनमें से एक है हॉग्स/पिग्स या हिंदी में बोलें तो सुअर। इसका अभिप्राय उन निवेशकों/ट्रेडरों से होता है जो बेहद लालची व अधीर होते हैं, ब्रोकर या वेबसाइट की ‘हॉट’ टिप पर बल्लियों उछलते हैं और रिसर्च करना या जानकारी जुटाना क्लेश समझते हैं। सुअर भले ही मुश्किल से मरे, लेकिन ‘पिग्स’ निवेशक आसानी से कुर्बान हो जाते हैं। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

लोग अक्सर सोचते हैं क्योंकि कम लोग ही ट्रेडिंग में कामयाब होते हैं इसलिए इससे पैसे कमाने की कोई बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती होगी। तमाम दुस्साहसी लोग खुद आजमाने और जमकर घाटा खाने के बाद यह राय बनाते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि हम समझ जाएं तो ट्रेडिंग एकदम सीधी-सरल चीज है। उलझने के लिए बहुत सारे जाल ज़रूर है। पर भाव ही सारा रहस्य खोलकर बहुत कुछ कह जाता है। अब मंगल की विजय…औरऔर भी

15 सितंबर से लेकर 10 अक्टूबर तक के 17 ट्रेडिंग सत्रों में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट में 7847.23 करोड़ रुपए (1.28 अरब डॉलर) की शुद्ध बिकवाली की, निफ्टी 2.26% गिर गया। क्या इसका मतलब यह कि मोदी प्रभाव से साल 2014 में अब तक करीब 25% बढ़ा बाज़ार ठंडा होने लगा है और विदेशी निवेशकों में निराशा घर करने लगी है? दरअसल, यह करेक्शन है बस। अब नए हफ्ते की दस्तक…औरऔर भी