मैथन एलॉयज में दम है, पर ठंडा है

मैथन एलॉयज 1995 में बनी 16 साल पुरानी कंपनी है। देश में मैंगनीज एलॉय की सबसे बड़ी निर्माता है। इसकी 45 फीसदी कमाई यूरोप व एशिया को किए गए निर्यात से होती है। इसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 45.52 रुपए है। इसका शेयर कल बीएसई (कोड – 590078) में 2.93 फीसदी बढ़कर 144.25 रुपए पर बंद हुआ है। इस तरह यह शेयर मात्र 3.17 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह शेयर नवंबर 2010 में 211 रुपए तक जाने के बाद लगातार गिर रहा है। 28 फरवरी 2011 को यह 106 रुपए पर चला गया था जो इसका 52 हफ्तों का न्यूनतम स्तर है।

इसके इस तरह गिरते जाने की कोई वजह नहीं समझ में आती क्योंकि कंपनी पुख्ता आधार पर खड़ी है और उसका धंधा व मुनाफा लगातार बढ़ रहा है। 2009-10 में उसने 477.99 करोड़ रुपए की आय पर 30.24 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 14.56 फीसदी था। अभी दिसंबर 2010 की तिमाही में उसने 147.94 करोड़ की आय पर 16.63 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है और उसका ओपीएम 18.07 फीसदी है। इस तिमाही में कंपनी की आय साल भर पहले की तुलना में 10.12 फीसदी और शुद्ध लाभ 84.57 फीसदी बढ़ा है।

इसलिए शेयर के गिरने की वजह उसका वित्तीय कामकाज नहीं हो सकता। वैसे भी कंपनी शेयरधारकों का पूरा ख्याल रखती है। पिछले तीन सालों से लगातार लाभांश दे रही है। यही नहीं, जून 2010 में उसने अपने शेयरधारकों को हर दो पर एक शेयर का बोनस भी दिया है। इसके बाद कंपनी की इक्विटी 9.70 करोड़ रुपए से बढ़कर 14.56 करोड़ रुपए हो गई। यह 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है। इसका 25.48 फीसदी हिस्सा पब्लिक और बाकी 74.52 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है।

एफआईआई व डीआईआई के पास इसके कोई शेयर नहीं हैं। कुल शेयरधारकों की संख्या मात्र 3269 है, जिसमें से एक लाख रुपए से कम निवेश करनेवाले छोटे निवेशकों की संख्या 2974 है। उसके पांच बड़े शेयरधारक व्यक्ति नहीं, बल्कि फर्में हैं जिनके पास इसके 13.47 फीसदी शेयर हैं। शायद कंपनी की शेयरधारिता का यह पैटर्न उसके शेयर के ठंडा पड़े रहने की वजह हो। आम पब्लिक के पास तो इसके केवल 12.01 फीसदी शेयर ही हैं। वैसे, बी ग्रुप के इस शेयर में वोल्यूम खास बुरा नहीं है। दो हफ्ते का औसत रोजाना 5553 शेयरों का है। कल इसके 3245 शेयरों में ट्रेडिंग हुई जिसमें से 77.44 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।

कंपनी की उत्पादन इकाइयां कल्याणेश्वरी (पश्चिम बंगाल) और बिरनीहाट (मेघालय) में हैं। इस उद्योग में बिजली की खपत काफी ज्यादा होती है तो कंपनी ने मेघालय में खुद की 15 मेगावॉट क्षमता की इकाई लगा रखी है, जबकि पश्चिम बंगाल में वह बिजली दामोदर वैली कॉरपोरेशन से खरीदती है। कंपनी विज़ाग (आंध्र प्रदेश) में नया संयंत्र लगा रही है जिसके बाद उसकी मैंगनीज ओर उत्पादन क्षमता दोगुनी हो जाएगी। बता दें कि मैंगनीज एलॉय फेरो एलॉय की एक किस्म है जिसकी मुख्य खपत स्टील उत्पादन में होती है।

सभी सकारात्मक व नकारात्मक पक्षों की गणना के बाद क्रिसिल इक्विटी रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में मैथन एलॉयज के शेयर का उचित मूल्य 195 रुपए निकाला है। यह इस आधार पर कि 2012-13 यानी अगले वित्त वर्ष में कंपनी का शुद्ध लाभ 49.10 करोड़ रुपए और ईपीएस 33.7 रुपए रहेगा। क्रिसिल का कहना है कि उसने EV/EBITDA की पद्धति से 195 रुपए का मूल्य निकाला है। लेकिन उसने स्पष्ट किया है कि यह कोई खरीद, बिक्री या होल्ड करने की सलाह नहीं है। बस एक संभावना है कि यह शेयर 144 के मौजूदा स्तर से बढ़कर साल भर के भीतर 195 रुपए तक जा सकता है। साल भर में कितना रिटर्न बनता है, आप गिन लो।

यूं तो क्रिसिल पर हमारा यकीन नहीं, लेकिन कंपनी की जो वित्तीय व आर्थिक स्थिति है, उसे देखते हुए यकीनन इस शेयर को बढ़ना चाहिए, बशर्ते निवेशकों की दिलचस्पी इसमें बन जाए। टीटीएम ईपीएस को देखते हुए अगर इसका पी/ई 5 भी हो जाए तो यह शेयर तुरंत 225 रुपए तक चला जाना चाहिए। लेकिन अंकगणित के सरल गुणा-भाग हमारे शेयर बाजार में नहीं चलते। यहां तो बहुत सारे समीकरणों के बीजगणित और त्रिकोणमिति से भी आगे की कोई चीज है, वह चलती है। मैथन एलॉयज के सामने जो चुनौती व जोखिम है, वो यह कि मध्य-पूर्व के देशों में इस तरह की कई इकाइयां आ रही है जो उसके अंतरराष्ट्रीय धंधे को प्रभावित कर सकती हैं। दूसरे, कंपनी बहुत सारी उत्पादन सामग्री बाहर से आयात करती है। इसलिए विदेशी मुद्रा की विनिमय दरों को उस पर पर्याप्त असर पड़ता है।

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