देश के मुख्य सांख्यिकीविद् टी सी ए अनंत के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें देश की आर्थिक विकास दर को प्रभावित कर सकती हैं और चालू वित्त वर्ष में यह 8.5 फीसदी रह सकती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मानसून सामान्य रहने की स्थिति में अगस्त-सितंबर तक सकल मुद्रास्फीति की दर आठ फीसदी के आंकड़े से नीचे आ जाएगी। प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की के एक समारोह के दौरान अनंत ने कहा, ‘‘तेल कीऔरऔर भी

मार्च में देश का औद्योगिक उत्पादन उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर रफ्तर से बढ़ा है। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रही किसी भी धीमेपन के डर को दरकिनार कर दिया है। इससे उन आलोचनाओं पर भी लगाम लग सकती है जिनमें कहा जा रहा है था कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को थामने के उत्साह में आर्थिक विकास को दांव पर लगा दिया है। मार्च 2011 में फैक्ट्रियों, खदानों व सेवा क्षेत्र में उत्पादन साल भर पहलेऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने महीने पर पहले ही मौद्रिक नीति की समीक्षा में कहा था कि मार्च 2011 में मुद्रास्फीति की दर 8 फीसदी रहेगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से लेकर मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु तक कहते रहे थे कि मार्च अंत तक मुद्रास्फीति पर काबू पा लिया जाएगा और यह 7 फीसदी पर आ जाएगी। लेकिन शुक्रवार को आए असली आंकड़ों के मुताबिक मार्च में मुद्रास्फीति की दर 8.98 फीसदी रही है। यह फरवरी महीने केऔरऔर भी

कृषि और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के बूते चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 फीसदी रही है। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह दर 7.3 फीसदी रही थी। बजट वाले ही दिन सोमवार को योजना आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, तीसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 8.9 फीसदी रही है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाहीऔरऔर भी

अपने अलग विचारों के लिए अक्सर विवादों में घिरे रहनेवाले पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने एक नया विवादास्पद बयान दिया है। उनका कहना है कि अगर आर्थिक तरक्की के कारण पर्यावरण को पहुंचे नुकसान को गिना जाए तो देश की आर्थिक वृद्धि दर आठ या नौ फीसदी नहीं, बल्कि साढ़े पांच से छह फीसदी के बीच आंकी जाएगी। रमेश की इस टिप्पणी से पहले वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बीते सोमवार कहा था कि वित्त वर्ष 2009-10औरऔर भी

कौशल या स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के 8.7 फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की संभावना है और वर्ष 2020 तक यहां 3.75 करोड़ रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा। कंसल्टेंसी फर्म एक्सेंचर ने दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के समारोह में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत, जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन जैसी चार प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का योगदान विश्व अर्थव्यवस्था में करीब 40 फीसदी के बराबरऔरऔर भी

थोड़ी-सी मुद्रा-स्फीति हमें भी दे दो यह कहते हैं दुनिया के कुछ देशों की केन्द्रीय बैंकों के प्रमुख हमारे डी. सुब्बाराव से। भारतीय रिर्ज़व बैंक के गवर्नर सुब्बाराव ने बताया कि हम मुद्रा-स्फीति घटाने के लिए परेशान हैं और कुछ देश मुद्रा-स्फीति बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। 25 जनवरी को की जाने वाली मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में मुद्रा-स्फीति को नियंत्रण में लाने व विकास-दर को बढ़ाने के लिए अनुरुप कदम उठाने पड़ेंगे।औरऔर भी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दावा है कि वैश्विक परिदृश्य की अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्तीय वर्ष में 8.5 फीसदी बढेगी, जबकि अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान सकल आर्थिक उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 9 से 10 फीसदी तक पहुंच सकती है। प्रधानमंत्री शनिवार को राजधानी दिल्ली में नौवें प्रवासी-भारतीय दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार की महत्वाकांक्षी सामाजिक विकास योजनाओं के लिएऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कुछ दिन पहले कहा था कि इस साल जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश के आर्थिक विकास दर अप्रैल-जून की तिमाही की विकास दर 8.8 फीसदी के काफी करीब रहेगी। दूसरे अर्थशास्त्री और विद्वान कल तक कह रहे थे कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में जिस तरह कमी आई है, उसे देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में बढ़त की यह दर 8 से 8.3 फीसदी ही रहेगी। लेकिन केंद्रीयऔरऔर भी