देश के मुख्य सांख्यिकीविद् टी सी ए अनंत के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें देश की आर्थिक विकास दर को प्रभावित कर सकती हैं और चालू वित्त वर्ष में यह 8.5 फीसदी रह सकती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मानसून सामान्य रहने की स्थिति में अगस्त-सितंबर तक सकल मुद्रास्फीति की दर आठ फीसदी के आंकड़े से नीचे आ जाएगी।
प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की के एक समारोह के दौरान अनंत ने कहा, ‘‘तेल की स्थिति चिंताजनक है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतें और बढ़ने की संभावना है। इसलिये आर्थिक वृद्धि पर असर डालने वाला यह एक मुख्य कारण हो सकता है।’’
चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक विकास दर के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल इसके 8.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। इसके अलावा यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम तेल की कीमतों को कैसे व्यवस्थित करते हैं।’’
सरकार के बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण और आम बजट में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर के 9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, रिजर्व बैंक ने अपनी 2011-12 की वाषिर्क मौद्रिक नीति में जीडीपी की इस विकास दर के 8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है और कहा है कि अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव बना रहेगा। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु भी हाल में कह चुके हैं कि आर्थिक विकास की दर 9 फीसदी से कम रहेगी।
अनंत ने कहा कि पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीकी देशों के साथ साथ जापान में आए भयंकर भूकंप और सुनामी व उसके बाद परमाणु बिजली घरों में रेडिएशन के लीक होने जैसे घटनाक्रमों से तेल मूल्यों पर असर पड़ेगा।