ऐसा मत समझिएगा कि खाद्य सुरक्षा बिल पास होने के बाद हम अंगुली पकड़ने के बाद पहुंचा पकड़ने लगे हैं। ये खाद्य सुरक्षा से भी ज्यादा वाजिब सवाल और मांग है जो खैरात नहीं है। खाद्य बिल भले ही हमे अहसास कराए कि सरकार हम पर अहसान कर रही है, बिना इस अहसास के साथ कि आज़ादी के 66 साल जिसमे 55 साल कांग्रेस का शासन था, कांग्रेस को आज भी लगता है कि 84 प्रतिशत नागरिकोंऔरऔर भी

नए साल के बजट में तमाम टैक्सों में घटबढ़ हो सकती है। टैक्स का आधार बढ़ाने की कोशिश भी हो सकती है। लेकिन एक बात तय है कि वित्त मंत्री पलनियप्पन चिदंबरम किसानों या कृषि आय पर कोई टैक्स नहीं लगाएंगे। वैसे, बीजेपी की तरफ से अगर यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री बने होते तो वे भी यह जोखिम नहीं उठाते। फिर भी टैक्स आधार बढ़ाने की बड़ी-बड़ी बातों से कोई भी वित्त मंत्री बाज़ नहीं आता। दिक्कतऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में तय लक्ष्य से भी अधिक कर-वसूली के लिए आयकर विभाग की पीठ थपथपाई और कहा कि 7.90 लाख करोड़ रुपए की अप्रत्याशित कर वसूली करके विभाग ने देश को वित्तीय मजबूती के रास्ते पर लाने में मदद दी है। सरकार ने 2010-11 में 7.90 लाख करोड़ रुपए का कर संग्रह किया जबकि 74,000 करोड़ रुपए का रिफंड जारी किया। वित्त मंत्री ने केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड :सीबीडीटी:औरऔर भी

खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अब स्वीकार कर लिया है कि पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार माल व सेवा कर (जीएसटी) को 1 अप्रैल 2011 से लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने बुधवार को मुंबई में इनकम टैक्स, कस्टम्स व सेंट्रल एक्साइज के चीफ कमिश्नरों और कमिश्नरों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “मैंने अपनी तरफ से जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक को संसद के मानसून सत्र में लाने की हरसंभव कोशिश की। आपऔरऔर भी

उदय प्रकाश की एक कहानी है राम सजीवन की प्रेमकथा। इसमें खांटी गांव के रहनेवाले किसान परिवार के राम सजीवन जब दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ने जाते हैं तो वहां कोई लड़की कानों में सोने का बड़ा-सा झुमका या गले में लॉकेट पहनकर चलती थी तो वे बोलते थे कि देखो, वह इतना बोरा गेहूं, सरसों या धान पहनकर चल रही है। ऐसा ही कुछ। मैंने वो कहानी पढ़ी नहीं है। लेकिन इतना जानताऔरऔर भी