शेयर बाजार किसी भी आस्ति वर्ग से ज्यादा रिटर्न देनेवाला माध्यम है। यहां निवेश करने के दो ही रास्ते हैं। एक, अपनी रिसर्च के दम पर सीधे शेयरों को चुनकर निवेश करना और दो, म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना। अगर आप अपनी रिसर्च नहीं कर सकते तो आपके लिए एकमात्र रास्ता म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों का है। वैसे, अपने स्तर पर रिसर्च मुश्किल नहीं है। हम इस कॉलम के जरिए यही साबित करने और सिखानेऔरऔर भी

कॉरपोरेट क्षेत्र में बहस छिड़ी है कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह देश के लिए वरदान हैं या अभिशाप। देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी, एचडीएफसी के प्रमुख दीपक पारेख जैसे दिग्गज कहते हैं कि डॉ. सिंह के रूप में हमें अब तक के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री मिले हैं। वे एकदम बेदाग राजनेता हैं। इसलिए देश के वरदान हैं। वहीं दूसरा पक्ष कहता है कि डॉ. सिंह भले ही स्वच्छतम छवि के नेता हों, लेकिन उन्होंने जिसऔरऔर भी

हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) का धंधा एकदम सीधा सरल है। पहले हमारे बाप-दादा रिटायर होने के बाद ही घर बना पाते थे। लेकिन आज 30-35 साल के नौकरीपेशा लोग भी मुंबई व दिल्ली जैसे शहर में अपना घर बना ले रहे हैं तो इसे सुगम बनाने और इस ख्वाहिश को बिजनेस म़ॉडल बनाने का श्रेय एचडीएफसी के संस्थापक हंसमुख ठाकुरदास पारेख को जाता है। 1977 में उन्होंने आम मध्य वर्ग के लोगों को हाउसिंग फाइनेंस देनेऔरऔर भी

कॉरपोरेट जगत की प्रमुख हस्तियों ने देश के कर्णधारों को एक और खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि बड़े स्तर का भ्रष्टाचार तो नया लोकपाल बिल सुलझा सकता है। लेकिन उस भ्रष्टाचार का क्या होगा, जिससे आम आदमी को रोज-ब-रोज के जीवन में झेलना पड़ता है। तीन पन्नों का यह खुला पत्र उद्योग जगत के 14 दिग्गजों की तरफ से लिखा गया है। इसे 3 अक्टूबर को भी भेजा गया था। लेकिनऔरऔर भी

कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जिनमें लंबे समय के निवेश को लेकर ज्यादा कुछ आगा-पीछा सोचने की जरूरत नहीं होती। बस यही देखना पड़ता है कि उन्हें सस्ते में पकड़ने का वक्त है कि नहीं। एचडीएफसी ऐसी ही कंपनी है। हाउसिंग फाइनेंस की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी कंपनी। हमारे यहां 30-32 साल के नए-नए नौकरी करनेवाले लोग भी जो लोन लेकर खटाक से घर के मालिक बन जा रहे हैं, वो पूरी सहूलियत और इस धंधेऔरऔर भी

हमने आईडीएफसी (इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी) की चर्चा इसी कॉलम में 31 मई 2010 को थी। तब 25 मई को 141.35 रुपए की तलहटी पकड़ने के बाद यह 28 मई को 154.15 रुपए तक पहुंचा था। हमने उस वक्त कहा था कि यह शेयर अगले कुछ महीनों में 180 रुपए तक जाने की सामर्थ्य रखता है। वाकई यह शेयर बढ़ते-बढ़ते 8 नवंबर को 218.20 रुपए तक जा पहुंचा। लेकिन अब फिर गिरते-गिरते 168.25 रुपए पर आ चुकाऔरऔर भी

देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी, सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) इसे बड़ा हाउसिंग लोन घोटाला मानती है। लेकिन वित्त मंत्रालय कहता है कि बैंकिंग रिश्वतखोरी का यह मामला व्यवस्थागत खतरा नहीं है। देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख भी कहते हैं कि यह बहुत पुरानी समस्या है। इसलिए इसमें कोई ‘सिस्टेमिक रिस्क’ नहीं है। लेकिन यह कहीं से भी सामान्य बात नहीं है कि एलआईसी, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस और सेंट्रल बैंक ऑफऔरऔर भी