अभी तक दूर हैं ऐसी आईडीएफसी से!

हमने आईडीएफसी (इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी) की चर्चा इसी कॉलम में 31 मई 2010 को थी। तब 25 मई को 141.35 रुपए की तलहटी पकड़ने के बाद यह 28 मई को 154.15 रुपए तक पहुंचा था। हमने उस वक्त कहा था कि यह शेयर अगले कुछ महीनों में 180 रुपए तक जाने की सामर्थ्य रखता है। वाकई यह शेयर बढ़ते-बढ़ते 8 नवंबर को 218.20 रुपए तक जा पहुंचा। लेकिन अब फिर गिरते-गिरते 168.25 रुपए पर आ चुका है।

इस उदाहरण से मैं एक अहम बात आपके सामने रखना चाहता हूं कि शेयर बाजार में लाभ कमाने के लिए खरीद से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है सही वक्त पर निकल जाना। यकीनन, हम लंबे समय के लिए निवेश करते हैं। लेकिन मान लीजिए, हमने 20-30 फीसदी रिटर्न का अपना लक्ष्य कम समय में ही हासिल कर लिया तो बिना और लालच किए हमें बेचकर मुनाफा कमा लेना चाहिए। नहीं तो हम बाजार का पूरा फायदा नहीं उठा पाते। अगर किसी ने 31 मई को 155 रुपए के भाव पर आईडीएफसी का शेयर खरीदा होता और 8 नवंबर के आसपास उसे 215 रुपए पर निकाल दिया होता तो उसे 38.7 फीसदी का रिटर्न मिल गया होता। छह महीने में इतना रिटर्न कम तो नहीं होता!

खैर, एक बार फिर आईडीएफसी (बीएसई – 532659, एनएसई – IDFC) में निवेश की सिफारिशें आ रही हैं। एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज ने इसे साल 2011 के 11 खास संभावनामय शेयरों में चुना है और इसके वाजिब आधार भी गिनाए हैं। लेकिन इससे पहले आईडीएफसी की कुछ खासियत जान लेते हैं। इसका गठन देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में सहयोग के लिए 1997 में राकेश मोहन समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया। इसका कोई प्रवर्तक नहीं है। जाहिर-सी बात है कि इस कंपनी में कभी भी प्रवर्तकों के किसी खेल की आशंका दूर-दूर तक नहीं है। दीपक पारेख इनके चेयरमैन हैं। निदेशक बोर्ड के बाकी 11 सदस्यों में एक से एक दिग्गज लोग शामिल हैं।

कंपनी की कुल 1460 करोड़ रुपए की इक्विटी में सबसे ज्यादा 17.90 फीसदी हिस्सेदारी भारत सरकार की है। 524 एफआईआई के पास इसके 51.32 फीसदी शेयर हैं। एलआईसी समेत 21 बीमा कंपनियां इसमें हिस्सेदार हैं। इसमें हिस्सा रखनेवाली म्यूचुअल फंड स्कीमों व बैंकों समेत वित्तीय संस्थाओं की कुल संख्या 139 है। 2848 कॉरपोरेट निकाय इसके शेयरधारक हैं। इसके व्यक्तिगत शेयरधारकों की संख्या 2,83,250 है जिसमें से 613 व्यक्तियों का निवेश एक लाख रुपए से ज्यादा है।

कंपनी प्रोजेक्ट फाइनेंस, इनवेस्टमेंट बैंकिंग, ब्रोकिंग, प्राइवेट इक्विटी व म्यूचुअल फंड जैसी तमाम वित्तीय सेवाओं में सक्रिय है। उसका बिजनेस मॉडल बेहद मजबूत नींव पर टिका है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 की पहली छमाही में उसके द्वारा दिए गए ऋण 58 फीसदी बढ़कर 34,397 करोड़ रुपए पर पहुंच गए हैं और उसकी बैलेंस शीट 45 फीसदी बढ़कर 46,423 करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। वैश्विक निवेशकों तक पहुंच को व्यापक बनाने और म्यूचुअल फंड के अंतरराष्ट्रीय वितरण तंत्र को मजबूत करने के लिए उसने नैटिक्सिस ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट (एनजीएएम) के साथ रणनीतिक साझेदारी की है।

आईडीएफसी देश में इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस के लिए ‘वन स्टॉप शॉप’ बन चुकी है। सरकार व निजी क्षेत्र के साथ उसके समान रूप से सुदृढ़ रिश्ते हैं। सितंबर 2010 की तिमाही में उसकी आय पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 19.3 फीसदी बढ़कर 1216.75 करोड़ और शुद्ध लाभ 15.9 फीसदी बढ़कर 338.40 करोड़ रुपए रहा है। उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) बराबर 92 फीसदी के आसपास चल रहा है। एसएमसी ग्लोबल की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार है कि 168.25 रुपए के मौजूदा भाव पर उसका शेयर 20.98 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है क्योंकि कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 8.02 रुपए है। यह शेयर आराम से 210 रुपए तक जा सकता है। यानी, आप इसमें किए गए निवेश पर साल भर में 25 फीसदी रिटर्न की उम्मीद रख सकते हैं। हां, यह शेयर थोड़ा-सा महंगा जरूर है, मगर अच्छी चीजें हमेशा सस्ती नहीं मिलतीं।

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