स्टैंडर्ड एंड पुअर्स, मूडीज और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों ने दुनिया भर में देशों से लेकर बैंकों तक को डाउनग्रेड करने का सिलसिला जारी रखा है तो हर तरफ निराशा ही निराश फैली गई है। इससे इन एजेंसियों को चाहे कुछ मिले या नहीं, लेकिन समूची दुनिया में निवेशकों को वित्तीय नुकसान जरूर हो रहा है। ध्यान दें कि ये वही रेटिंग एजेंसियां हैं जिन्हें 2007-08 में अमेरिका के सब-प्राइम संकट का भान तक नहीं हुआ थाऔरऔर भी

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने ब्रिटेन के दो सरकारी बैंकों समेत 12 वित्तीय संस्थानों और पुर्तगाल के नौ बैंकों की क्रेडिट रेटिंग कम कर दी है। मूडीज का कहना है कि ब्रिटेन के कुछ वित्तीय संस्थान अगर मुसीबत में फंसते हैं तो इसकी संभावना कम है कि सरकार उनकी मदद करेगी। जबकि पुर्तगाल के बैंकों के बारे में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी का कहना है कि वह इन बैंकों की ओर से सरकार को दिए गए भारी भरकमऔरऔर भी

अमेरिकी बाजार कल गिरे तो सही, लेकिन आखिरी 90 मिनट की ट्रेडिंग में फिर सुधर गए। अमेरिकी बाजार में ट्रेड करनेवाले कुछ फंडों का कहना है कि इस गिरावट की वजह यूरो संकट थी, न कि यह शिकायत कि 447 अरब डॉलर का पैकेज रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करने के लिए काफी नहीं है। यह पैकेज तो अभी तक महज घोषणा है और इसका असर वास्तविक खर्च के बाद ही महसूस किया जा सकता है। इसऔरऔर भी

यूरोप के केंद्रीय बैंक में अंदरूनी मतभेद और ग्रीस द्वारा करों में और कमी किए जाने की घोषणा की खबरों के बाद यूरो ज़ोन में कर्ज संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है। लेकिन इससे एशियाई बाजार में सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का रुख दर्ज किया गया। न्यूयॉर्क में कच्चे तेल (लाइट स्वीट क्रूड) का अक्टूबर में होने वाला मुख्य सौदा सोमवार 1.23 डॉलर की गिरावट के साथ 86.01 डॉलर प्रति बैरल परऔरऔर भी

यूरो संकट और इस हफ्ते शुक्रवार, 16 सितंबर को रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने की आशंका को लेकर हमारा बाजार ज्यादा ही बिदक गया। सेंसेक्स में 2.17 फीसदी और निफ्टी में 2.23 फीसदी की तीखी गिरावट दर्ज की गई। ऊपर से जुलाई 2011 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में महज 3.3 फीसदी की वृद्धि किसी का भी दिल बैठा सकती है। यह साफ-साफ अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने का संकेत है। इस सूरतेहाल में मुद्रास्फीति को संभालनेऔरऔर भी

रसोई गैस, केरोसिन और उर्वरक पर दी जानेवाली सब्सिडी तीन चरणों में सीधे लक्षित व्यक्ति के बैंक खाते में पहुंचा दी जाएगी। लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेंच है कि सब्सिडी पानेवाले व्यक्ति के पास बैंक खाता तो हो। इसलिए लोगों तक सीधे सब्सिडी पहुंचाने के लिए वित्तीय समावेश कार्यक्रम को तेज करना अपरिहार्य है। यह बात कही है सारे देशवासियों को अलग पहचान देने के काम में लगी संस्था यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के प्रमुखऔरऔर भी

मुद्रास्फीति बढ़कर 9.06 फीसदी हो गई। चीन तक ने ब्याज दरें 0.50 फीसदी बढ़ा दी हैं। अब तो बाजार के लोगों को सचमुच यकीन हो चला है कि रिजर्व बैंक 16 जून को ब्याज दरें 0.50 फीसदी बढ़ा देगा। इतनी बुरी खबरों के बावजूद निफ्टी 5520 तक जाने के बाद 5500 के ऊपर बंद हुआ है। यह क्या दर्शाता है? हमने पहले भी कहा था और हमें अब भी लगता है कि यही बाजार के सही मूल्यांकनऔरऔर भी

हम कोई सामान खरीदने जाते हैं, पूरी तहकीकात करते हैं। कई दुकानों पर पूछते हैं। रिश्तेदारों व पड़ोसियों तक से पूछ डालते हैं। लेकिन शेयरों में निवेश हम झोंक में करते हैं। टिप्स की तलाश में लगे रहते हैं। हमारी इसी मानसिकता का फायदा उठाने के लिए इन दिनों तमाम वेबसाइटों से लेकर एसएमएस तक से टिप्स भेजे जाने लगे हैं। इधर फंडामेंटल्स मजबूती की बात उठने लगी तो कुछ एसएमएस फंडामेंटल बताकर ही निवेश की सलाहऔरऔर भी

अमेरिकी के एक अखबार में छपे लेख में बताया गया है कि चांदी में सट्टेबाजी क्या आलम है। यहां तक कि सट्टेबाजों के कहने पर वहां के कमोडिटी एक्सचेंज ने मार्जिन कॉल जारी करने में देर कर दी। इसके बाद भी चांदी में गिरावट आई तो सही, लेकिन काफी देरी के बाद। भारत की बात करें तो यहां भी सट्टेबाजी सिर चढ़कर बोल रही है। इसमें कोई शक नहीं कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति की गंभीर अवस्थाऔरऔर भी

बाजार सुबह-सुबह ओवरसोल्ड हो गया क्योंकि कुछ ट्रेडरों व एफआईआई ने ब्याज दर में 50 आधार अंक (0.50 फीसदी) वृद्धि का अंदाज लगाकर शॉर्ट सौदे कर लिए। औरों को 25 आधार अंक बढ़ने की उम्मीद थी। जाहिर है शॉर्ट सेलर सही निकले तो उन्हें कवरिंग की जरूरत नहीं पड़ी। बाजार गिरता गया। वैसे भी, बाजार 20 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) के करीब पहुंच चुका है, हालांकि वो 200 दिनों के सामान्य मूविंग औसत (एसएमए) को तोड़करऔरऔर भी