अमेरिकी के एक अखबार में छपे लेख में बताया गया है कि चांदी में सट्टेबाजी क्या आलम है। यहां तक कि सट्टेबाजों के कहने पर वहां के कमोडिटी एक्सचेंज ने मार्जिन कॉल जारी करने में देर कर दी। इसके बाद भी चांदी में गिरावट आई तो सही, लेकिन काफी देरी के बाद। भारत की बात करें तो यहां भी सट्टेबाजी सिर चढ़कर बोल रही है। इसमें कोई शक नहीं कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति की गंभीर अवस्थाऔरऔर भी

कंपनियों के नतीजों का मौसम खत्म होने को है। अब तक तस्वीर यह बनी है कि जहां इनफोसिस और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी तमाम बड़े स्तर की कंपनियां बाजार की अपेक्षाओं को पूरा करने में नाकाम रही हैं, वहीं पोलारिस, एचसीएल टेक्नो व हिंदुस्तान जिंक जैसे मध्यम स्तर की कंपनियों ने उम्मीद के बेहतर नतीजे हासिल किए हैं। कुल मिलाकर कॉरपोरेट क्षेत्र का लाभार्जन बीते वित्त वर्ष 2010-11 में पहले से 20 फीसदी ज्यादा रहेगा। लेकिन चालू वित्तऔरऔर भी

भारत फोर्ज एक दशक पहले तक महज एक ऑटो कंपोनेंट कंपनी हुआ करती थी। लेकिन अब वह तेल व गैस, रेलवे, बिजली और एयरोस्पेस तक के साजोसामान व उपकरण बनाने लगी है। उसने हाल ही में बिजली क्षेत्र के अहम उपकरण बनाने की शुरुआत की है। धारे-धीरे वह बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी का स्वरूप अख्तियार करती जा रही है। यूं तो अब भी बड़ी कपनी है। कल्याणी समूह की अगुआ कंपनी है। वित्त वर्ष 2009-10 में उसने 1856.40औरऔर भी

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आठवीं बार ब्याज दरें (रेपो व रिवर्स दर) बढ़ा दी हैं। इसका सीधा असर बैंकों द्वारा दिए जा रहे ऑटो, होम और कॉरपोरेट लोन पर पड़ेगा। लेकिन बैंक फिलहाल इस महीने ब्याज दरों में कोई नई वृद्धि नहीं करने जा रहे हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) एम नरेंद्र का कहना है कि रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा किए जाने का तत्काल कोई असरऔरऔर भी

हर कोई कहे जा रहा था कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा देगा। फिर भी देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैन ओ पी भट्ट की तरह बाजार को भी लग रहा था कि शायद ऐसा न हो। इसी उम्मीद में बाजार थोड़ा गिरकर तो खुला, लेकिन फिर पूरी तरह सुधर गया, जबकि दुनिया के बाजार गिरे हुए थे। लेकिन 11 बजे के बाद बजार में हवा-सी चल गई कि ब्याज दरें बढ़नी हीऔरऔर भी

बैंकों के प्रमुखों का कहना है कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने के लिए अल्पकालिक दरों में जो 0.25 फीसदी की वृद्धि की है, उससे होम, ऑटो और कंपनी ऋण पर ब्याज दरों में तत्काल वृद्धि नहीं होगी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक एस सी कालिया ने कहा कि नीतिगत दर में वृद्धि ब्याज दरों में इजाफे का संकेत है लेकिन बैंक जल्दबाजी में दरों में कोई वृद्धि नहीं करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘ब्याजऔरऔर भी

बाजार में कल 337 अंक के तेज सुधार के बाद मंदड़ियों की तरफ से बिकवाली का आना लाजिमी था। फिर इनफोसिस के नतीजे भी चौंकानेवाले नहीं निकले। 30-32 के पी/ई अनुपात पर अगर आप इनफोसिस द्वारा बाजार को पीछे छोड़ देने की बात सोचते हैं तो यह भारत की दूसरे नबंर की आईटी कंपनी से वाकई कुछ ज्यादा ही अपेक्षा करना हो जाएगा। हालांकि निवेशकों का एक वर्ग इस स्टॉक को तब तक पसंद करता रहेगा जबऔरऔर भी

बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के स्टॉक्स में करेक्शन का आना अपरिहार्य था। हम इसकी आशंका बराबर काफी समय से जताते रहे थे। यह झटका लगा और तब लगा जब वित्त मंत्रालय ने कह दिया कि वे आर्थिक प्रोत्साहन वापस लेंगे। लेकिन यह बाजार का अंत नहीं है। अब सारा ध्यान ऑयल, टेलिकॉम, गैस, कंज्यूमर ड्यूरेबल और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के स्टॉक्स पर आ जाएगा। 80 नए स्टॉक्स में घोटाले की अफवाह सिटी बैंक की धोखाधड़ी से जोड़कर निकालीऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय ने आखिरकार आर्थिक प्रोत्साहन से कदम वापस खींचने का संकेत दे दिया है। यह बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के लिए नकारात्मक बात है। लेकिन पूरे बाजार के लिए यह अच्छी और सकारात्मक बात है क्योंकि इससे पता चलता है कि सरकार के अनुसार आर्थिक विकास की स्थिति इतनी मजबूत हो चुकी है कि प्रोत्साहन जारी रखने की जरूरत नहीं है। तात्कालिक राजनीतिक मुद्दा अलग तेलंगाना राज्य का है। लेकिन यह मुद्दा बेदम होता दिख रहाऔरऔर भी

लंबे समय की बात छोड़िए, आपको तो थोड़े समय के लिए भी बाजार की दशा-दिशा को लेकर फिक्र करने की जरूरत नहीं है। अगर हम वित्त वर्ष 2011-12 के अनुमानित लाभ को आधार बनाएं तो भारतीय बाजार अभी 16 के पी/ई अनुपात पर चल रहा है जो इक्विटी मूल्यांकन के वैश्विक मापदंड से काफी नीचे है। इसलिए उन लोगों को कहने दीजिए, जो कहते हैं कि भारतीय बाजार महंगा हो चला है और इसमें अब गिरावट आनीऔरऔर भी