मंदी देती है ट्रेडिंग का अच्छा मौका

बाजार में कल 337 अंक के तेज सुधार के बाद मंदड़ियों की तरफ से बिकवाली का आना लाजिमी था। फिर इनफोसिस के नतीजे भी चौंकानेवाले नहीं निकले। 30-32 के पी/ई अनुपात पर अगर आप इनफोसिस द्वारा बाजार को पीछे छोड़ देने की बात सोचते हैं तो यह भारत की दूसरे नबंर की आईटी कंपनी से वाकई कुछ ज्यादा ही अपेक्षा करना हो जाएगा। हालांकि निवेशकों का एक वर्ग इस स्टॉक को तब तक पसंद करता रहेगा जब तक इसमें कोई बड़ा डाउनग्रेड नहीं होता। इसलिए हर गिरावट इस स्टॉक में ट्रेडिंग का मौका देती है। लेकिन मेरे और छोटे निवेशकों के लिए इनफोसिस कभी भी सपनों का रिटर्न नहीं देगा। इसलिए इसे उन निवेशकों के लिए छोड़ दीजिए जो 15 से 20 फीसदी रिटर्न पाकर संतुष्ट हो जाते हैं।

आज उम्मीद के अनुरूप मंदड़िए हमलावर रहे और वे तब तक ऐसा ही रुख अपनाते रहेंगे, जब तक निफ्टी निर्णायक रूप से 6000 को पार नहीं कर जाता। इधर मंदड़ियों की तरफ से एक नई थ्योरी चलाई गई है जो मुझे लगता है कि मेरे आलोचकों के लिए शॉर्ट हो जाने में बड़ी मददगार साबित होगी। मंदड़ियों का कहना है कि सेंसेक्स अगले दो महीनों में 17,000 तक चला जाएगा, जबकि एम्बिट कैपिटल के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड मानते हैं कि यह 23,000 को छू लेगा। मंदड़ियों का तर्क है कि अमेरिका का आर्थिक विकास पटरी पर आ रहा है और हो सकता है कि यह 1.5 फीसदी से बढ़कर 3 फीसदी पर आ जाए। इसलिए एफआईआई भारत से बड़ा निवेश निकालकर अमेरिका ले जाएंगे। वैसे भी एफआईआई घोटालों, मुद्रास्फीति व औद्योगिक सुस्ती को पसंद नहीं करते और इन सबसे घिरे भारत से वे अपना धन क्यों फंसा कर रखना चाहेंगे?

लेकिन मंदड़ियों को अपनी जमीन पुख्ता करने के बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। अमेरिका पहले ही 1.3 लाख करोड़ डॉलर की रकम लिए पड़ा है जिसे कहीं लगाने का चांस नहीं मिल रहा। क्वांटिटेटिव ईजिंग या क्यूई-2 ने 600 अरब डॉलर और दे दिए हैं। इसके बाद क्यूई-3 में 500 अरब डॉलर निकलेंगे। इस तरह वहां एक लाख करोड़ डॉलर की रकम और इफरात हो जाएगी। इतनी सारी रकम अमेरिकी बाजारों के लिए पर्याप्त नहीं है और इसलिए एफआईआई भारत से 10-15 अरब डॉलर निकालकर अपनी मूलभूमि अमेरिका में ले जाएंगे! बड़ी जबरदस्त और विश्वसनीय थ्योरी लगती है। 2008 में जब हमारे यहां से 14 अरब डॉलर निकल गए थे तब बाजार 21,000 अंक से गिरकर 8000 अंक पर आ गया था। इस बार कम से कम 10 अरब डॉलर निकलने की बात हो रही है तो सेंसेक्स को निश्चित रूप से 10,000 पर आ जाना चाहिए। मुझे लगता है कि अगर मंदड़िए सेंसेक्स के महज 17,000 तक गिरने की सोच रहे हैं तो वे भारी गलती कर रहे हैं।

मैं आपके मन में डर भरने की कोशिश नहीं कर रहा क्योंकि आप तो पहले से ही भयंकर भय के शिकार हैं। मैं आपको बस वो बता रहा हूं, जिसकी चर्चा बाजार में चल रही है। आप पहले से मेरे विचारों को अच्छी तरह जानते हैं और मैं ऐसी थ्योरियों से परेशान नहीं होता क्योंकि मैं बहुत सुनकर-पककर इनका आदी हो चुका हूं। मैं तो लेहमान संकट के बाद इससे भी बदतर माहौल झेल चुका हूं। इसलिए एक चीज मैं पक्के तौर पर कहता हूं कि स्टॉक्स का मूल्यांकन देर-सबेर अपनी रंगत दिखाएगा, भले ही चाहे जो हो जाए।

हम पहले ही अपनी कवरेज से बैंकिंग और ऑटो सेक्टर को निकाल चुके हैं। इन दोनों की हालत अब खराब है। साथ ही हमारा कहना है कि आप बहुत ज्यादा पी/ई वाले स्टॉक्स से भी बचें। बड़े खिलाड़ी जान-बूझकर कम पी/ई वाले स्टॉक्स पर हथौड़ा चला रहे हैं। लेकिन समय के साथ वे ही इन्हें उठाएंगे। आपको यह बात कभी भूलनी नहीं चाहिए कि मंदड़ियों और तेजड़ियों के बीच बड़ा कारक भारत सरकार का है। यह भी ध्यान में रखिए कि मंदी का बाजार ट्रेडिंग के बेहतर मौके देता है हालांकि इसमें जोखिम भी बहोत रहता है।

आशा एक ऐसी भावना है जो आप में नए-नए सपने जगाती रहती है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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