गुजरात में भी विधायक काटते सेवा का मेवा, 5 साल में 231% बढ़ी संपत्ति
देश की राजनीति में सेवा भाव कब का खत्म हो चुका है। वो विशुद्ध रूप से धंधा बन चुकी है, वह भी जनधन की लूट का। इसे एक बार फिर साबित किया है गुजरात विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों ने। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की तरफ से सजाए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राज्य की नई विधानसभा में 99 विधायक ऐसे हैं जो 2007 में भी विधायक थे। इनकी औसत संपत्ति बीते पांच सालों में 2.20 करोड़औरऔर भी
बाजार 4% बढ़ा, लेकिन म्यूचुअल फंड 2% ही
फरवरी महीने में शेयर बाजार की गति को दिखानेवाला सूचकांक, निफ्टी 4 फीसदी बढ़ गया। लेकिन इस बढ़त से म्यूचुअल फंडों की आस्तियां (एयूएम) महज 2 फीसदी बढ़ी हैं। नोट करें कि यह म्यूचुअल फंड स्कीमों में आए निवेश का नहीं, बल्कि बाजार के बढ़ने से उनके निवेश में हुई बढ़त या मार्क टू मार्केट उपबल्धि को दर्शाता है। बाजार के बढ़ने की वजह फरवरी में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की तरफ से शेयरों में किया गयाऔरऔर भी
डाउनग्रेड, खलबली और छोटे ट्रेडर
किसी भी विदेशी ब्रोकिंग हाउस का नाम ले लो, उसे भारत को डाउनग्रेड करने में कोई हिचक नहीं होती। वे खटाखट आर्थिक विकास की संभावनाओं से लेकर बाजार तक को नीचे से नीचे गिराते जा रहे हैं। ताजा उदाहरण सीएलएएसए का है। इन ब्रोकिंग हाउसों ने भारत में निवेश को, यहां की आस्तियों को रिस्की ठहरा दिया है। वजह गिनाई है मुद्रा प्रबंधन की अक्षमता, नीतिगत फैसलों में ठहराव, राजकोषीय घाटे को संभालने में नाकामी और मुद्रास्फीतिऔरऔर भी
सूप नहीं, चलनी ये रेटिंग एजेंसियां
स्टैंडर्ड एंड पुअर्स, मूडीज और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों ने दुनिया भर में देशों से लेकर बैंकों तक को डाउनग्रेड करने का सिलसिला जारी रखा है तो हर तरफ निराशा ही निराश फैली गई है। इससे इन एजेंसियों को चाहे कुछ मिले या नहीं, लेकिन समूची दुनिया में निवेशकों को वित्तीय नुकसान जरूर हो रहा है। ध्यान दें कि ये वही रेटिंग एजेंसियां हैं जिन्हें 2007-08 में अमेरिका के सब-प्राइम संकट का भान तक नहीं हुआ थाऔरऔर भी
रिलायंस म्यूचुअल फंड का मुनाफा सबसे ज्यादा
अनिल अंबानी समूह से जुड़ा रिलायंस म्यूचुअल फंड बीते वित्त वर्ष 2010-11 में देश का सबसे ज्यादा मुनाफा कमानेवाला म्यूचुअल फंड बन गया है। अभी तक यह गौरव एचडीएफसी म्यूचुअल फंड को हासिल था। म्यूचुअल फंडों के शीर्ष संगठन एम्फी (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) के आंकड़ों के मुताबिक 2010-11 में रिलायंस म्यूचुअल फंड का शुद्ध लाभ 261 करोड़ रुपए रहा है, जबकि एचडीएफसी म्यूचुअल फंड का शुद्ध लाभ इससे कम 242 करोड़ रुपए दर्ज कियाऔरऔर भी
इंडियन ओवरसीज बैंक तलहटी पर
इक्विटी शेयर एकमात्र आस्ति है जिसका मूल्य मूलतः कंपनी द्वारा निरंतर बनाए जाते मूल्य को दर्शाते हुए बढ़ता जाता है। बाकी दूसरी आस्तियां या माध्यम या तो शेयर बाजार से ही कमाई करते हैं या ताश के पत्तों की तरह नोट को इस हाथ से उस हाथ तक पहुंचाते रहते हैं। इक्विटी पूंजी कमाती है तो शेयर का भाव बढ़ता है। इसी अनुपात को दर्शाता है मूल्य/अर्जन या पी/ई अनुपात। लेकिन जहां अर्जन शून्य है, वहां मूल्यऔरऔर भी
हर आस्ति पिटी, पर इक्विटी में जान
साल 2008 और 2009 में बाजार लेहमान संकट की भेंट चढ़ गया। अब 2011 पर यूरोप व अमेरिका का ऋण संकट मंडरा रहा है। अमेरिका की आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर 1 फीसदी कर दिया गया है। अमेरिका के इतिहास में यह भी पहली बार हुआ कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने शनिवार को उसकी रेटिंग एएए के सर्वोच्च स्तर से घटाकर एए+ कर दी और आगे एए भी कर सकती है। हालांकि अमेरिकी वित्त मंत्रालयऔरऔर भी
गेट्स और बफेट की दरियादिली का राज़
बिल गेट्स और वॉरेन बफेट इस समय दुनिया के सबसे बड़े दानवीर बने हुए हैं। जनसेवा और दान पर जगह-जगह भाषण देते फिरते हैं। लेकिन उनकी दानवीरता करुणा नहीं, बल्कि मजबूरी का नतीजा है। दोनों अमेरिकी नागरिक हैं और अमेरिकी कानून के मुताबिक मरने के बाद किसी व्यक्ति की संपत्ति या तो सरकार की हो जाती है या उसे उत्तराधिकार के लिए भारी-भरकम टैक्स भरना पड़ता है। इससे बचने के लिए वहां के अधिकांश अमीर अपनी संपत्तिऔरऔर भी