इंडियन ओवरसीज बैंक तलहटी पर

इक्विटी शेयर एकमात्र आस्ति है जिसका मूल्य मूलतः कंपनी द्वारा निरंतर बनाए जाते मूल्य को दर्शाते हुए बढ़ता जाता है। बाकी दूसरी आस्तियां या माध्यम या तो शेयर बाजार से ही कमाई करते हैं या ताश के पत्तों की तरह नोट को इस हाथ से उस हाथ तक पहुंचाते रहते हैं। इक्विटी पूंजी कमाती है तो शेयर का भाव बढ़ता है। इसी अनुपात को दर्शाता है मूल्य/अर्जन या पी/ई अनुपात। लेकिन जहां अर्जन शून्य है, वहां मूल्य कैसे निकालेंगे? सोने का यही हाल है। वो तो एकदम निठल्ला है। कुछ कमाता नहीं। फिर भी दाम दनादन बढ़ते जा रहे हैं। क्यों? सोचिए तो सही!

शेयर बाजार में निवेश कोई बिच्छू का मंत्र नहीं है कि ओझा-सोखा ही जान सकते हैं। यहां हमारे तथाकथित विशेषज्ञ व फंड मैनेजर भी वैसे ही तीर मारते हैं, जैसे हम-आप। इसलिए इस कला या विज्ञान को हम चाहें तो आसानी से समझ सकते हैं। बाकी जोखिम उठाने के लिए किसी पढ़ाई की जरूरत नहीं है। उसके लिए तो माद्दा चाहिए। जितना जोखिम, उतना रिटर्न। जिन बूड़ा तिन पाइयां गहरे पानी पैठि…

अच्छे शेयरों का छांटने का एक मोटा नियम है कि देखिए कौन-कौन से शेयर फिलहाल अपनी तलहटी पर पहुंचे हैं। अगर इसकी कोई ठोस वजह है तो पतित लोगों की तरह ऐसे गिरे हुए स्टॉक्स से भी दूर रहना चाहिए। लेकिन अगर इसकी कोई वजह नहीं दिख रही, कंपनी दुरुस्त है, कामकाज व मुनाफा बढ़ रहा है तो ऐसे गिरे हुए स्टॉक्स निवेश का शानदार मौका पेश कर रहे होते हैं क्योंकि इनकी गिरावट की वजह या तो ऑपरेटरों का खेल है या कोई इनको तवज्जो नहीं दे रहा होता है। हर दिन तलहटी या शीर्ष पर पहुंचे स्टॉक्स का ब्यौरा हमें आसानी से बीएसई की साइट पर मार्केट गैलेक्सी में मिल जाता है। बड़ी आकर्षक है बाजार की यह आकाशगंगा।

कल 52 हफ्ते की तलहटी पर पहुंचा ऐसा ही एक स्टॉक है इंडियन ओवरसीज बैंक। 1937 में बना चेन्नई में स्थाई ठौर वाला बैंक। पहले निजी था। लेकिन 1969 में राष्ट्रीयकरण के बाद से सरकारी बैंक है। सितंबर 2003 में इसका आईपीओ आया था जिसमें 24 रुपए पर इसके शेयर जारी किए गए थे। कल, 20 सितंबर को यह एकदम तलहटी पर पहुंचने के बाद भी बीएसई में 99.55 रुपए और एनएसई में 99.50 रुपए पर बंद हुआ है। इसमें एफ एंड ओ कारोबार भी होता है। कल इसके फ्यूचर्स का भाव 100.05 रुपए रहा है।

शेयर कल गिरकर 98.30 रुपए तक चला गया था जो 52 हफ्तों का इसका न्यूनतम स्तर है। सोचिए, इस स्तर पर भी 2003 में इसके शेयरों में निवेश करनेवालों की पूंजी आठ साल में चार गुनी हो चुकी है। इसका 52 हफ्ते का अधिकतम भाव 176.35 रुपए है जो इसने पिछले साल 5 नवंबर 2010 को हासिल किया था। ज्यादा विवरण में न जाकर मैं इतना बताना चाहता हूं कि यह शेयर अभी 5.71 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि एसबीआई का पी/ई अनुपात 12.44, पंजाब नेशनल बैंक का पी/ई अनुपात 6.94 और बैंक ऑफ बड़ौदा का पी/ई अनुपात 6.92 चल रहा है। खुद यह फरवरी 2010 के बाद से सबसे कम पी/ई अनुपात पर है। इसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू 131.96 रुपए है जो शेयर के बाजार भाव से 1.32 गुना है। इसलिए विवेकसम्मत राय यही बनती है कि इसमें खटाक से निवेश कर देना चाहिए।

जानते हैं इस बैंक का कुल धंधा कितने का है? जून 2011 तक यह 2,70,321 करोड़ रुपए का था, जिसमें से 1,51,173 करोड़ के डिपॉजिट थे और 1,19,148 करोड़ रुपए के वितरित ऋण या एडवांस। बैंक की 1400 से ज्यादा शाखाएं देश में और छह विदेश में हैं। बैंक पूंजी पर्याप्तता मानक से लेकर डूबत ऋणों के प्रावधान के मामले में एकदम चौकस है। इसका प्रोविजन कवरेज अनुपात 73.50 फीसदी का है जबकि नियम 70 फीसदी का है। इसका पूंजी पर्याप्तता अनुपात 13.38 फीसदी का है जबकि नियमतः न्यूनतम जरूरत 9 फीसदी की है।

बैंक के इतिहास-भूगोल की पड़ताल आप उसकी वेबसाइट से कर सकते हैं। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जून की पहली तिमाही में उसकी कुल आय 50.28 फीसदी बढ़कर 4331.77 करोड़ रुपए हो गई। हालांकि इस दौरान ब्याज पर अधिक खर्च और ज्यादा प्रावधान वगैरह के चलते उसका शुद्ध लाभ मात्र 2.56 फीसदी बढ़कर 205.58 करोड़ रुपए पर पहुंचा है। पिछले साल की जून तिमाही में बैंक को 82.17 करोड़ रुपए विशिष्ट मद में मिल गए थे। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में बैंक की कुल आय 13,326.57 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 1072.54 करोड़ रुपए था।

बैंक की 618.75 करोड़ रुपए की इक्विटी दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है। इसका 65.87 फीसदी हिस्सा भारत सरकार के पास है। एफआईआई के पास इसके 5.95 फीसदी और डीआईआई के पास 13.39 फीसदी शेयर हैं। दोनों ने ही इस साल मार्च से जून तिमाही के दौरान बैंक में अपनी शेयरधारिता थोड़ा घटाई है। वैसे, म्यूचुअल फंडों की 24 स्कीमों ने इस बैंक के शेयरों में निवेश कर रखा है। बैंक के कुल शेयरधारकों की संख्या 2,14,840 है जिसमें से 2,09,749 या 97.63 फीसदी एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं। लेकिन इनके पास बैंक के कुल 9.67 फीसदी इक्विटी शेयर ही हैं। दूसरी तरफ अकेले एलआईसी के पास बैंक के 9.78 फीसदी शेयर हैं। अंत में बस इतना कि इंडियन ओवरसीज बैंक में आपका निवेश पूरी तरह सुरक्षित है और लंबे समय में यह अच्छा रिटर्न भी देगा। कम से कम अपनी ही एफडी से तो हर हाल में ज्यादा।

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