हम जो जैसा है, उसे वैसा नहीं देख पाते, बल्कि अपनी सोच के हिसाब से उसे टेढ़ा-मेढ़ा बना देते हैं। कभी-कभी तो जो नहीं है, उसको भी देख लेते हैं। जब सही देखा नहीं तो फैसले भी सही नहीं ले पाते। लेकिन नाकाम होने पर किस्मत को कोसते हैं।और भीऔर भी