शेयर बाजार और क्रिकेट के मैच ज्यादातर हमेशा फिक्स होते हैं। हालांकि छोटी-मोटी अवधि में अनजाने कारकों के चलते बाजार अक्सर चौंकाता भी है। यह बात मनगढ़ंत नहीं, बल्कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। 2006 और 2007 में देश में मुद्रास्फीति की स्थिति इससे भी खराब थी। फिर भी 2007 में बाजार ने 21,300 का नया शिखर बनाया। इसलिए अगर आज विद्वान लोग मुद्रास्फीति और ब्याज दरें बढ़ने की चिंता को भारतीय इक्विटी बाजार की गिरावट कीऔरऔर भी

पिछले चार दिनों से बाजार में बराबर यह खबर उड़ रही थी कि सेबी ने रिलायंस पेट्रोलियम (आरपीएल) में एसएएसटी (सब्सटैंशियल एक्विजिशन ऑफ शेयर्स एंड टेकओवर) रेगुलेशन के उल्लंघन के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) पर 400 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोंक दिया है। आज एक प्रमुख बिजनेस चैनल ने भी यह ‘खबर’ फ्लैश कर दी। अंदरूनी व भेदिया कारोबार के माहिर खिलाड़ी निफ्टी और आरआईएल में पिछले हफ्ते से ही शॉर्ट चल रहे हैं। यही वजह हैऔरऔर भी

गुरु की जरूरत पहले भी थी, अब भी है, कल भी रहेगी। सच्चा गुरु उस पारसमणि की तरह है जिसका हाथ लगते ही पत्थर भी सोना बन जाता है। लेकिन आज तो गुरु कम, गुरुघंटाल ही ज्यादा मिलते हैं।और भीऔर भी

गुजरात के सूरत जिले में सदियों से की जा रही जरी की कढ़ाई को भौगोलिक संकेत (ज्योग्राफिक इंडिकेशन या जीआई) का तमगा हासिल हो गया है जिससे इसे विशेष संरक्षण मिल गया है। प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की (पश्चिमी क्षेत्र) के एक सदस्य ने कहा, ‘‘चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेत कार्यालय ने सूरत की जरी कढ़ाई को हाल ही में जीआई का दर्जा दिया है। इससे सूरत में जरी के काम से जुड़े डेढ़ लाख लोगों को अपने उत्पादोंऔरऔर भी

समय का अपना चक्र होता है। जो इसे पकड़ नहीं पाते, इसके हिसाब से चल नहीं पाते, वे जीवन की बहुत सारी खुशियों से महरूम रह जाते हैं। देर से सोकर उठनेवाले कभी भी सूर्योदय का आनंद नहीं उठा पाते।और भीऔर भी

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में लोगों के पास 18,000 टन सोना पड़ा है जो दुनिया में उपलब्ध सोने का कम से कम 11% है। इसका औसत निकालें तो हर भारतीय के पास करीब 15 ग्राम सोना है। भारतीयों के पास पड़े सोने की कीमत लगभग 800 अरब डॉलर निकलती है। साल 2009 में भारत में सोने की मांग 97,400 करोड़ रुपए की थी जो सारी दुनिया की मांग का 15% बैठती है। हमारी बचत दरऔरऔर भी

दुनिया के 20 प्रमुख देशों के समूह जी-20 की बैठक जब शुरू हो रही हो, अमेरिका व यूरोप समेत तमाम विकसित देशों की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई हों, प्रमुख मुद्राओं में युद्ध की स्थिति आ गई हो, तमाम केंद्रीय बैंक व बड़े निवेशक सुरक्षा के लिए सोने की तरफ भाग रहे हों, ठीक उस वक्त विश्व बैंक भी सोने की अहमियत बताने लगे तो किसी का भी चौंकना स्वाभाविक है। लेकिन विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट जॉयलिक नेऔरऔर भी

धनतेरस पर सोना महंगा होने के बावजूद लोगों ने पारंपरिक सोच के तहत सोना खरीदा है। लेकिन इस बार चांदी के सिक्कों की खरीद जमकर हुई है। इसकी बदौलत दिल्ली में चांदी के सिक्कों का भाव उछलकर 43,000 रुपए प्रति सौ सिक्के का हो गया। व्यापारियों के मुताबिक लोगबाग यूं तो हर साल धनतेरस से लेकर दीवाली तक चांदी के बर्तन, सिक्के व अन्य साजोसामान खरीदते हैं। लेकिन इस बार सोना महंगा होने से चांदी की तरफऔरऔर भी

हम सभी अर्जुन हैं और कृष्ण भी। सोते हैं तो अर्जुन होते हैं और जगते हैं तो कृष्ण। सोते वक्त भाव व भावनाएं बेलगाम भटकती हैं। जगने पर सारथी के डोर खींचते ही सब अपनी-अपनी जगह समा जाती हैं।और भीऔर भी

सोने पर चेतना गायब और जगने पर वापस! बीच में जाती कहां है? कहीं नहीं। मानव मस्तिष्क में अरबों न्यूरॉन हैं जिनके बीच खरबों तार है। वे बराबर बतकही करते हैं। हमारे सोने पर चुपके से बतियाते हैं।और भीऔर भी