बेस रेट तो लागू हो गया, लेकिन पुराने होम लोन के ब्याज का क्या होगा? नया होम लोन तो बैंक अपने बेस रेट के हिसाब से देंगे। जो ऋण नवीकरण के लिए आएंगे, उन पर भी बेस रेट की नई प्रणाली लागू होगी। जिन बैंकों ने शुरुआती सालों के लिए 8, 8.25 या 8.50 फीसदी ब्याज दर वाली विशेष स्कीमें पेश की थी, उन्हें और उनके ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं है। एसबीआई या एचडीएफसी की तरहऔरऔर भी

देश की कुल 6 लाख बसाहटों में से बमुश्किल 30,000 या महज 5 फीसदी में किसी वाणिज्यिक बैंक की शाखा है। तकरीबन 40 फीसदी भारतीयों के पास ही बैंक खाता है। यह अनुपात देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में तो और भी ज्यादा कम है। ऐसे लोगों की संख्या जिनके पास किसी न किसी किस्म का जीवन बीमा कवर है, केवल 10 फीसदी है। साधारण बीमा की बात करें तो यह सुविधा लेनेवालों का अनुपात एक से भीऔरऔर भी

इसमें कोई शक नहीं कि जब बाजार गिर रहा हो, तब आपको कुछ भी बताना बेकार है। वैसे भी, आप अपनी राय-विचार के लिए मीडिया व टीवी रिपोर्टों पर ही पूरी तरह निर्भर रहेंगे और कभी भी शेयर बाजार में निवेश नहीं करेंगे जबकि वह खुद बांहें पसारे आपको बुला रहा है, सस्ते भावों पर खरीद का मौका दे रहा है। इसलिए मैं तो आपसे कहूंगा कि इंतजार करो और देखते रहो। हां, जिन्हें मुझ पर भरोसाऔरऔर भी

देश की आबादी करीब 118 करोड़ हो चुकी है। लेकिन हमारे सभी बैंकों में कुल बचत खातों की संख्या केवल 15 करोड़ है। ऐसा तब है जबकि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा बैंकिंग तंत्र है जिसमें कुल करीब 79,000 शाखाएं व एटीएम वगैरह शामिल हैं। रिजर्व बैंक, नाबार्ड व राज्य सरकारों की तमाम कोशिशों के बाद 8.6 करोड़ घरों तक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के जरिए बैंकिंग सेवा को पहुंचाया गया है। देश भर में बचतऔरऔर भी

सिस्टम में तरलता की कमी का जरा-सा संकेत मिलते ही रिजर्व बैंक मैदान में उतर आया है। उसने तय किया है कि बैंक चल निधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत कभी भी रिजर्व बैंक से अपनी कुल जमा का 0.5 फीसदी हिस्सा उधार ले सकते हैं। साथ ही एलएएफ सुविधा बैंकों को अब दिन में एक के बजाय दो बार दी जाएगी। रिजर्व बैंक का ताजा फैसला शुक्रवार 28 मई, 2010 से लागू हो जाएगा। लेकिन उसनेऔरऔर भी

फरवरी 2010 तक देश भर में किसानों को 3.08 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया है। इस तरह सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए वित्त वर्ष 2009-10 में तय किए गए कर्ज वितरण के लक्ष्य का तकरीबन 95 फीसदी हिस्सा पूरा कर लिया है। कृषि मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी में बताया गया गया है कि पूरे वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य 3.25 लाख करोड़ रुपए था। अभी तक बांटे गएऔरऔर भी

भारतीय रिजर्व बैंक ने तय कर दिया है कि अब कटे-फटे, दाग-धब्बे या किसी भी तरीके से खराब हो चुके नोटों को दोबारा सर्कुलेशन में न आने देने की जिम्मेदारी बैंकों की होगी। उन्हें नोट छांटनेवाली ऐसी मशीनें लगानी होंगी जो तय कर सकें कि कोई नोट सही व फिट है या नहीं। ये मशीनें जाली नोट भी निकालकर बाहर कर देंगी। बैंक उऩ्हीं नोटों को दोबारा सर्कुलेशन में डालेंगे जो एकदम सही और फिट पाए जाएंगे।औरऔर भी

देश के सभी बैंक अब जन सेवा केंद्रों (कॉमन सर्विस सेंटर या सीएससी) को अपना बिजनेस करेंसपॉन्डेंट या प्रतिनिधि (बीसी) बना सकते हैं। इस साल 20 अप्रैल को पेश मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक ने कहा था कि मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत बैंक व्यक्तियों की कुछ चुनिंदा श्रेणियों को ही बीसी बना सकते हैं। इस दायरे को बढ़ाने के लिए प्रस्ताव है कि बैंकों को सीएससी चलानेवाले व्यक्तियों समेत किसी भी बीसी बनाने की इजाजत दे दीऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट भाषण के अंत में कहा है कि यह बजट आम आदमी का है। यह किसानों, कृषकों, उद्यमियों और निवेशकों का है। इसमें बाकी सब तो ठीक है, लेकिन किसान और कृषक का फर्क समझ में नहीं आया। असल में वित्त मंत्री ने अपने मूल अंग्रेजी भाषण में फार्मर और एग्रीकल्चरिस्ट शब्द का इस्तेमाल किया है। लेकिन वित्त मंत्रालय के अनुवादक बाबुओं ने शब्दकोष देखा होगा तो दोनों ही शब्दों काऔरऔर भी