बेस से पूछेगा फ्लोटिंग रेट – बता तेरी रज़ा क्या है

बेस रेट तो लागू हो गया, लेकिन पुराने होम लोन के ब्याज का क्या होगा? नया होम लोन तो बैंक अपने बेस रेट के हिसाब से देंगे। जो ऋण नवीकरण के लिए आएंगे, उन पर भी बेस रेट की नई प्रणाली लागू होगी। जिन बैंकों ने शुरुआती सालों के लिए 8, 8.25 या 8.50 फीसदी ब्याज दर वाली विशेष स्कीमें पेश की थी, उन्हें और उनके ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं है। एसबीआई या एचडीएफसी की तरह वे भी इस स्कीम को बढ़ा सकते हैं और नए ग्राहक खींच सकते हैं। लेकिन उनका क्या होगा जिन्होंने फ्लोटिंग रेट पर पहले होम लोन लिया था, जिस पर ब्याज दर सीधे-सीधे बैंक के बीपीएलआर से जुड़ी हुई थी। उनके होम लोन दस्तावेजों में बाकायदा दर्ज है कि उनकी ब्याज दर बीपीएलआर से कितनी फीसदी कम होगी। बीपीएलआर से 1% या 3% कम।

रिजर्व बैंक ने 9 अप्रैल 2009 को बेस रेट पर जारी अपने अंतिम दिशानिर्देश में इस बारे में इतना भर कहा है कि बीपीएलआर प्रणाली पर आधारित मौजूदा ऋण अपनी परिपक्वता तक जारी रह सकते हैं। अगर तय अनुबंध के खत्म होने से पहले कोई ग्राहक नई प्रणाली में आना चाहता है तो उसे आपस में तय की गई शर्तों पर यह मौका दिया जा सकता है। लेकिन बैंकों को इस स्विच-ओवर के लिए कोई फीस नहीं लेनी चाहिए। इस सर्कुलर में इसे यूं लिखा गया है, “Existing loans based on the BPLR system may run till their maturity. In case existing borrowers want to switch to the new system, before expiry of the existing contracts, an option may be given to them, on mutually agreed terms. Banks, however, should not charge any fee for such switch-over.”

इस सर्कुलर में may और should के अलावा तीसरे वाक्यांश mutually agreed terms पर ध्यान दिया जाए। इनका कानूनी मतलब यही है कि यह बैंक की मर्जी पर है कि वह फ्लोटिंग रेट वाले पुराने होम या अन्य उपभोक्ता लोन में अब क्या शर्तें रखता है। उसे फीस नहीं लेनी चाहिए। लेकिन ‘चाहिए’ का तो मतलब ही हुआ कि वह किसी न किसी रूप में पुराने लोन को बेस रेट से जोड़ने के लिए फीस ले सकता है। अभी तक बैंक पुराने होम में बीपीएलआर से ब्याज दर के अंतर को बदलने के लिए बकाया ऋण का 0.5 फीसदी से लेकर 2 फीसदी तक शुल्क मांगते रहे हैं। मुश्किल यह है कि बेस रेट लागू के हफ्ते भर बाद भी न तो इस नियम को लानेवाले रिजर्व बैंक और न ही इसे अपनानेवाले बैंकों ने खुलकर कुछ बताया हैं। बैंक पूछने पर यही कह देते हैं कि जैसे ही कोई फैसला होता है, वे आपको उसकी आधिकारिक सूचना दे देंगे।

असल में सूत्रों के मुताबिक बैंक अब भी इस कोशिश में लगे हैं कि होम लोन के ब्याज-निर्धारण को बेस रेट प्रणाली से बाहर रखा जाए। वे चाहते हैं कि रिजर्व बैंक इस बारे में कोई स्पष्टीकरण जारी कर दे। बैंकों का तर्क है कि उन्होंने 15 से 20 साल के लिए होम लोन दे रखे हैं जिनमें ब्याज की दर बदलने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर बैंक अपनी कोशिश में कामयाब हो गए तो उन मूल बातों में से एक बात ही खत्म हो जाएगी जिसके चलते बीपीएलआर की जगह बेस रेट लाने की पहल की गई थी।

आपको बता दें कि पिछले साल अगस्त में पुणे में आयोजित एक वर्कशॉप के दौरान रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक और बेस रेट पर बने कार्यदल के प्रमुख दीपक मोहंती ने इस स्तंभकार से अनौपारिक बातचीत में कहा था कि अभी होम लोन पर जिस तरह नए और पुराने ग्राहकों से बैंक अलग-अलग ब्याज ले रहे हैं, वह सिलसिला बेस रेट लागू होने के बाद खत्म हो जाएगा। यह बीपीएलआर प्रणाली की समस्या के उस पहलू से जुड़ा है जिसमें रिजर्व बैंक द्वारा किए गए मौद्रिक नीति संबंधी उपाय नीचे ग्राहक नहीं पहुंचते। बेस रेट का मुख्य मकसद यही है कि ऐसी समस्याओं को दूर किया जाए और मौद्रिक उपायों का व्यवहारिक असर कम से कम समय में हो।

लेकिन लगता नहीं कि पुराने होम लोन के मामले में यह समस्या हल हो पाई है। कुछ बैंकरों का कहना है कि पुराने होम लोन पीएलआर को बेंचमार्क बनाकर दिए गए हैं। इसलिए हो सकता है कि वे बेस रेट के साथ-साथ आगे इन ग्राहकों के लिए अलग से बीपीएलआर भी घोषित करते रहें। या, ये भी हो सकता है कि पहले जहां होम लोन पर ब्याज बीपीएलआर से ‘माइनस’ में रखी गई थी, अब उसे यथावत रखते हुए बेस रेट से ‘प्लस’ कर दिया जाए। इस तरह पुराने ग्राहकों के होम लोन की ब्याज दर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

एक दिक्कत और है कि रिजर्व बैंक ने केवल बैंकों से बेस रेट प्रणाली अपनाने को कहा है और इस अनिवार्यता से हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और एनबीएफसी मुक्त हैं। यह अलग बात है कि बैंकों से होड़ के चलते वे होम लोन या अन्य कंज्यूमर लोन पर बैंकों से ज्यादा ब्याज नहीं ले पाएंगी। बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों का यह भी कहना है कि होम लोन चूंकि सिक्योर्ड लोन हैं, इसलिए उन पर ब्याज की दर ज्यादा नहीं होगी। लेकिन बैंकों ने जिस तरह अपने बेस रेट 7.25 फीसदी से लेकर 8.5 फीसदी रखा है, उसमें होम लोन पर ब्याज पहले की तरह 9.5 फीसदी से 11.75 फीसदी तक ही रहेगी। बस, बैंक कान से इधर से पकड़ने के बजाय उधर से पकड़ने लगेंगे।

हमें एक बात और समझ लेनी चाहिए कि बैंकों के लिए धन की लागत नहीं बदली है, केवल बेंचमार्क बदला है। इसलिए वे अगर किसी लोन पर पहले 12 फीसदी या 9 फीसदी ब्याज लेते रहे हैं तो अब भी उतना ही लेंगे। इसलिए लोन की ईएमआई पर भी अपने आप फर्क नहीं पड़ेगा। किसी बैंक का बेस रेट 7.5 फीसदी या 8 फीसदी हो सकता है, लेकिन आपको दिए गए लोन के रिस्क के नाम पर वह ब्याज दर पहले जितनी ही रख सकता है। इसलिए बैंक बदलने का भी फिलहाल कोई फायदा नहीं नजर आता। ऐसे में पुराने होम लोन ग्राहकों के सामने यही रास्ता है कि वे अपने बैंकों को फोन करके या खुद जाकर मिलकर उनकी जान खा जाएं कि वे किन mutually agreed terms पर उनके लोन को नई बेस रेट प्रणाली के तहत लाएंगे।

बीपीएलआर की जगह बेस रेट आने से फर्क बस इतना पड़ा है कि पहले जहां बैंक अपनी मर्जी से बीपीएलआर की गणना करते थे, उसे 12 फीसदी से लेकर 15.75 फीसदी तक रखते थे, वहीं अब उन्हें बताना पड़ेगा कि उन्होंने बेस रेट की गणना कैसे की है? उनके पास जो धन है, जमा है उसकी लागत क्या है? उन्होंने ब्याज लेने के लिए इस पर न्यूनतम मार्जिन कितना रखा है? कहा जा रहा था कि बीपीएलआर प्रणाली में बड़ी कंपनियां 5-6 फीसदी ब्याज पर भी कर्ज ले लेती थीं, जबकि छोटी एसएमई इकाइयों और आम ग्राहकों को 14-16 फीसदी ब्याज देना पड़ता था। इस तरह आम ग्राहकों व एसएमएसई इकाइयों से बैंक बड़ी कंपनियों को सब्सिडाइज करते थे। यह सिलसिला इस रूप में रुक जाएगा कि एसएमई के ऋण शायद अब उतने महंगे न हों। लेकिन बड़ी कंपनियों को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वे बैंकों से सीधे ऋण न लेकर सीपी (कमर्शियल पेपर) जैसे ऋण प्रपत्र जारी कर देंगी, जिसको बैंक सब्सक्राइब करेंगे और उन्हें पहले की तरह 5-6 फीसदी या इससे भी कम ब्याज पर धन मिलता रहेगा।

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