उम्मीद है कि रुपया पिछले कुछ महीनों से चल रही गिरावट का सिलसिला तोड़कर अब स्थिर हो जाएगा। अगर ऐसा नहीं होता तो उसमें आई तेज हलचल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने को तैयार है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने गुरुवार को सिंगापुर में आयोजित एक समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा, “हम किसी भी तेज एकतरफा हलचल को रोकने के लिए मजबूत कदम उठाएंगे।” उन्होंनेऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सफाई दी है कि सरकार रुपए को गिरने से बचाने के लिए विदेशी मुद्रा की आवाजाही पर कोई नियंत्रण नहीं लगाने जा रही है। इससे पहले इस तरह की खबरें आई थीं कि रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव की अध्यक्षता में वित्तीय स्थायित्व विकास परिषद (एफएसडीसी) की गुरुवार, 8 दिसंबर को होनेवाली बैठक में भारतीय कंपनियों के विदेशी निवेश और बाहरी ऋणों की पूर्व अदायगी पर बंदिश लगाई जाऔरऔर भी

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव का कहना है कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद देने के लिए ब्याज दरें घटाने की जरूरत को समझता है। वे बुधवार को जयपुर में एक समारोह के दौरान बोल रहे थे। इसी समारोह में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने पहले कहा था कि अगर मुद्रास्फीति नीचे आती है तो केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर अपना रवैया बदल सकता है। गोकर्ण का कहना था कि आगेऔरऔर भी

भारतीय रुपया शुक्रवार को डॉलर के सापेक्ष कमजोर होकर 49.825 रुपए तक चला गया। लेकिन बाद में 49.50 रुपए पर आकर थम गया। रिजर्व बैंक की संदर्भ दर आज डॉलर के सापेक्ष 49.663 रुपए रही। जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक अगर बाजार में डॉलर नहीं बेचता तो रुपए की विनिमय दर कभी भी 50 रुपए के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर सकती है। लेकिन रिजर्व बैंक फिलहाल ऐसे किसी भी हस्तक्षेप के लिए तैयार नहींऔरऔर भी

प्याज, लहसुन और दूसरी सब्जियों के दाम बढने से खाद्य मुद्रास्फीति की दर तीन हफ्ते बाद फिर से दहाई अंक में पहुंच गई है। 11 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति ढाई फीसदी से भी अधिक उछलकर 12.13 फीसदी हो गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि प्याज की बढ़ती कीमतें खाद्य मुद्रास्फीति की साप्ताहिक दरों को प्रभावित कर रही हैं। वैसे, प्याज निर्यात पर प्रतिबंध और आयात पर सीमा शुल्क करने काऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी भले ही मानते हों कि देश में विदेशी पूंजी प्रवाह का बढ़ना चिंता की बात नहीं है। न ही वे मुद्रास्फीति के दबाव को लेकर चिंतित हैं। लेकिन रिजर्व बैंक इन दोनों ही मुद्दों को लेकर गंभीर है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने मंगलवार को मुंबई में प्राइवेट इक्विटी इंटरनेशनल इंडिया फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि विदेशी पूंजी का यूं बहते चले आना खतरे की आशंका पैदा करऔरऔर भी

लगता है पूरी सरकार यह समझाने में लग गई है कि यूरोप के ऋण संकट, खासकर ग्रीस के संकट का कोई खास असर भारत पर नहीं पड़ेगा। रविवार को सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा था कि अगर यूरोप में कई देशों के ऋण संकट को मौजूदा स्तर पर थाम लिया गया तो यह भारतीय पूंजी बाजार के लिए फायदेमंद होगा। आज वित्त सचिव अशोक चावला ने दिल्ली में बयान दिया कि ग्रीस केऔरऔर भी