मुद्रास्फीति ऐसा गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है कि इस पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और वित्त राज्यमंत्री नमो नारायण मीणा तक बड़ी विनम्रता से बोलते हैं। लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार इतने मुंह-फट हो गए हैं कि लगता ही नहीं कि उन्हें जनता या सरकार किसी की भी प्रतिक्रिया की कोई परवाह है। मंगलवार को पवार ने कहा कि सरकार फल और सब्जियों की कीमतों से कोई लेनादेना नहीं है और वहऔरऔर भी

खाने-पीने की चीजों के दामों में लगातार तेजी से परेशान प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं ने महंगाई को थामने के उपायों पर विचार-विमर्श के लिए आज, मंगलवार को राजधानी दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक की। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। इसलिए विचार-विमर्श का सिलसिला कल भी जारी रहेगा। सूत्रों के मुताबिक कोई नतीजा न निकलने की वजह कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार का अड़ियल रवैया रहा है। इसलिए संभव है कि सरकार अगले फेरबदल में पवार सेऔरऔर भी

महंगाई का असर लोग जब झेल चुके होते हैं, तब सरकार को पता चलता है और यह अगर ज्यादा हुई तो उसकी परेशानी बढ़ जाती है क्योंकि इससे मुद्रा से जुड़े सारे तार हिल जाते हैं, बैंकों व कॉल मनी की ब्याज दरों से लेकर सरकार की उधारी तक प्रभावित होती है और रिजर्व बैंक को फटाफट उपाय करने पड़ते हैं। ऊपर से सरकार को विपक्ष का राजनीतिक हमला अलग से सहना पड़ता है। इस समय यहीऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर दस हफ्तों के शिखर पर जा पहुंची है। 18 दिसंबर को खत्म सप्ताह में यह 14.44 फीसदी दर्ज की गई है। यह वृद्धि इसलिए भी भयंकर हो जाती है क्योंकि साल भर पहले खाद्य मुद्रास्फीति 21.29 फीसदी बढ़ी थी। इसलिए यह महज तकनीकी या सांख्यिकीय मामला नहीं है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को भी यह बात स्वीकार करनी पड़ी जब उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की ऊंची दर वास्तविक है और कम आधारऔरऔर भी

प्याज, लहसुन और दूसरी सब्जियों के दाम बढने से खाद्य मुद्रास्फीति की दर तीन हफ्ते बाद फिर से दहाई अंक में पहुंच गई है। 11 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति ढाई फीसदी से भी अधिक उछलकर 12.13 फीसदी हो गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि प्याज की बढ़ती कीमतें खाद्य मुद्रास्फीति की साप्ताहिक दरों को प्रभावित कर रही हैं। वैसे, प्याज निर्यात पर प्रतिबंध और आयात पर सीमा शुल्क करने काऔरऔर भी

उत्पादन बढ़ने और खरीफ फसल की आवक से सब्जियों, गेहूं व दालों के दाम में गिरावट से 20 नवंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर घटकर चार माह के निचले स्तर 8.60 फीसदी पर आ गई है। इससे पिछले सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति 10.15 प्रतिशत पर थी। मानसून का मौसम समाप्त होने के साथ ही बाजार में आवश्यक खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार हुआ है। यह लगातार सातवां सप्ताह है जब खाद्य मुद्रास्फीति की दरऔरऔर भी

आलू, प्याज और दूसरी सब्जियों की आपूर्ति में सुधार से 23 अक्तूबर को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर करीब फीसदी नीचे खिसककर 12.85 फीसदी रह गई। यह लगातार तीसरा सप्ताह है जब खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख रहा है। एक सप्ताह पहले यह 13.75 फीसदी दर्ज की गई थी। बुधवार को जारी सरकारी आंकडों के अनुसार सालाना आधार पर आलू के दाम 51.22 फीसदी तक नीचे आ गए जबकि सब्जियोंऔरऔर भी

खाने पीने की वस्तुओं की महंगाई में उतार-चढाव का दौर जारी है। फल, सब्जियों और कुछेक दालों के दाम बढ़ने से 21 अगस्त को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति एक सप्ताह पहले की तुलना में 81 आधार अंक (0.81 फीसदी) बढकर 10.86 फीसदी हो गई। सात अगस्त से लगातार दो हफ्ते रही गिरावट के बाद खाद्य मुद्रास्फीति में एक बार फिर मजबूती का रुख बना है। देश के विभिन्न भागों में बारिश औरऔरऔर भी

सब्जियों के थोक भाव में कमी के चलते 10 जुलाई को खत्म सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 12.47 फीसदी रही है। यह एक सप्ताह पहले से 0.34 फीसदी कम है। सब्जियों में विशेष गिरावट आलू और प्याज के दामों में आई है। आलू साल भर पहले की तुलना में 45 फीसदी से ज्यादा और प्याज लगभग 8 फीसदी सस्ती हुई है। कुल मिलाकर सब्जियों के दाम साल भर पहले की तुलना में 9.92 फीसदी गिरे हैं।औरऔर भी