महंगाई के कसते फंदे से सरकार की सांस फूली, वित्त मंत्री बोले – देखेंगे

खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर दस हफ्तों के शिखर पर जा पहुंची है। 18 दिसंबर को खत्म सप्ताह में यह 14.44 फीसदी दर्ज की गई है। यह वृद्धि इसलिए भी भयंकर हो जाती है क्योंकि साल भर पहले खाद्य मुद्रास्फीति 21.29 फीसदी बढ़ी थी। इसलिए यह महज तकनीकी या सांख्यिकीय मामला नहीं है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को भी यह बात स्वीकार करनी पड़ी जब उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की ऊंची दर वास्तविक है और कम आधार पर गणना (बेस इफेक्ट) का नतीजा नहीं है।

वित्त मंत्री ने राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि हम इस समस्या पर गौर कर रहे हैं। जहां तक प्याज का ताल्लुक है तो हम इसे संभालने के उपाय कर चुके हैं। लेकिन दूध, फल, सब्जियों और कुछेक जिंसों ने मुद्रास्फीति को बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा, “यह चिंता की बात है। पहले हम सोच रहे थे कि यह बेस इफेक्ट की वजह से है। लेकिन असल में यह महज बेस इफेक्ट का मामला नहीं है। कुछ खाद्य वस्तुओं के दाम में वास्तविक वृद्धि हुई है।” वित्त मंत्री ने इसके मद्देनजर मार्च 2011 में इस वित्त वर्ष के अंत तक कुल मुद्रास्फीति का अनुमान 6.5 फीसदी कर दिया। रिजर्व बैंक का पिछला लक्ष्य 5.5 फीसदी का है।

गुरुवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार लगातार पांच हफ्ते से बढ़ते-बढ़ते खाद्य मुद्रास्फीति 18 दिसंबर को खत्म हफ्ते में 14.44 फीसदी हो गई है। इसे खास तौर पर फल व सब्जियों, दूध और अंडा, मांस, मछली की महंगाई ने बढ़ाया है। वित्त मंत्री का कहना था, “हम पूरे दिसंबर माह के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं। साप्ताहिक उतार-चढ़ाव हो रहे हैं। देखना है कि यह सिलसिला आगामी हफ्ते में भी जारी रहता है या नहीं।” बता दें कि कुल मुद्रास्फीति में खाद्य वस्तुओं का योगदान 14 फीसदी है।

वित्त मंत्री ने खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर चिंता दिखाने के बावजूद उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष के अंत में थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 6.5 फीसदी के आसपास रहेगी। इससे पहले रिजर्व बैंक इसके लिए 5.5 फीसदी का अनुमान व्यक्त कर चुका है। यहां तक कि इसी महीने के शुरू में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मार्च 2011 तक मुद्रास्फीति के 5.5 फीसदी पर आ जाने की बात कही थी।

गौरतलब है कि मुद्रास्फीति का आंकड़ा आम आदमी से लेकर निवेशक के लिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि उसे अपनी बचत इस तरह लगानी होती है ताकि उस पर मुद्रास्फीति की दर से ज्यादा रिटर्न मिले। दुर्भाग्य से देश में अभी तक ऐसा कोई खास बांड या म्यूचुअल फंड स्कीम नहीं है जो निवेशक को सीधे-सीधे मुद्रास्फीति को बेअसर करने की सुविधा देती हो।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 18 दिसंबर को खत्म हफ्ते में प्याज 39.66 फीसदी, आम सब्जियां 29.26 फीसदी, फल 21.97 फीसदी, दूध 17.95 फीसदी और अंडा व मांस-मछली 20.34 फीसदी महंगे हुए हैं। ध्यान देने की बात है कि इन वस्तुओं के थोक मूल्य में इतनी बढ़त हुई है। रिटेल उपभोक्ता या ग्राहक के स्तर पर इनके महंगे होने की दर इससे कहीं ज्यादा है। आम आदमी पर असर डालने वाला तथ्य यह भी है कि आलोच्य सप्ताह में साल भर पहले की तुलना में पेट्रोल 25.06 फीसदी, रसोई गैस 14.99 फीसदी और डीजल 14.71 फीसदी महंगा हुआ है।

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