हर किसी को पता था कि अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा दक्षिण कोरिया के साथ किसी मुक्त व्यापार समझौते पर दस्तखत नहीं करने जा रहे हैं। लेकिन एफआईआई ने एक तरफ से 200 करोड़ डॉलर के शेयर बेच डाले और कोरिया का बाजार 3 फीसदी लुढ़क गया। हो सकता है कि बाजार को अंदेशा रहा हो कि बीते सप्ताहांत सोल में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल समाप्ति के बाद कोरिया ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की वृद्धि करऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी भले ही मानते हों कि देश में विदेशी पूंजी प्रवाह का बढ़ना चिंता की बात नहीं है। न ही वे मुद्रास्फीति के दबाव को लेकर चिंतित हैं। लेकिन रिजर्व बैंक इन दोनों ही मुद्दों को लेकर गंभीर है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने मंगलवार को मुंबई में प्राइवेट इक्विटी इंटरनेशनल इंडिया फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि विदेशी पूंजी का यूं बहते चले आना खतरे की आशंका पैदा करऔरऔर भी

देश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का आना जारी है। इस साल जनवरी से अब तक भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) 46,196.83 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश कर चुके हैं। सोमवार को ही उन्होंने शेयर बाजार में 1264.11 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया, जबकि घरेलू निवेशक संस्थाएं तेजी के इस माहौल में बेचकर मुनाफा कमा रही है और उनकी शुद्ध बिक्री 797.83 करोड़ रुपए की रही। विदेशी निवेश के आने से रुपया भी मजबूतऔरऔर भी