इंड-स्विफ्ट लिमिटेड और इंड-स्विफ्ट लैबोरेटरीज दोनों ही एक समूह से वास्ता रखती हैं। चंडीगढ़ इनका मुख्यालय है। दवाएं बनाती हैं। लेकिन अलग-अलग लिस्टेड हैं। इंड-स्विफ्ट 1986 में बनी तो इंड-स्विफ्ट लैब्स 1995 में। धंधा दोनों का दुरुस्त चल रहा है। इंड-स्विफ्ट लिमिटेड ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 894.16 करोड़ रुपए की आय पर 43.45 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। वहीं इंड-स्विफ्ट लैब्स ने इस दौरान 1031.21 करोड़ रुपए की आय पर 87.62 करोड़ रुपएऔरऔर भी

यह खबर का ही प्रताप है कि कल जब बाजार एकदम फ्लैट रहा, तब भी अतुल ऑटो का शेयर 6.45 फीसदी बढ़कर बंद हुआ। हालांकि दिन में यह 7.91 फीसदी तक बढ़कर 133.05 रुपए पर पहुंच गया था। लेकिन बंद हुआ 131.25 रुपए पर। यह भी अजब संयोग है कि ठीक साल भर पहले आज ही के दिन 14 जून 2010 को अतुल ऑटो का शेयर अपने न्यूनतम स्तर 70.05 रुपए पर था। मान लें कि किसीऔरऔर भी

केंद्र सरकार ने अपनी पूरी पूंजी निगल चुकी कंपनी स्कूटर्स इंडिया को आखिरकार निजी हाथों में सौंपने का निर्णय ले लिया है। गुरुवार को कैबिनेट ने तय किया कि स्कूटर्स इंडिया में सरकार अपनी सारी 95.38 फीसदी बेच देगी। बाकी बची 4.62 फीसदी इक्विटी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं व कॉरपोरेट निकायों के पास पड़ी रहेगी। बता दें कि स्कूटर्स इंडिया लखनऊ की कंपनी है और यह विक्रम नाम के थ्री-ह्वीलर बनाती रही है जो उत्तर भारत में काफीऔरऔर भी

स्कूटर्स इंडिया भारत सरकार की बीमार कंपनी है। केवल बीएसई (कोड – 505141) में लिस्टेड है। कभी लैम्ब्रेटा व विजय सुपर मॉडल के स्कूटर बनाती थी। अब थ्री ह्वीलर और उसके इंजिन व पार्ट-पुर्जे बनाती है। निजी क्षेत्र की किसी कंपनी को बेचने या उसके साथ संयुक्त उद्यम बनाने से ही इसका उद्धार हो सकता है। ऊंचे से ऊंचे स्तर से ऐसी बिक्री या गठबंधन का संकेत देकर इसके शेयर को उठाने की कोशिशें हो चुकी हैं।औरऔर भी