एक तरफ लगभग आम राय बन चुकी है कि मुद्रास्फीति को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की पहली मध्य-तिमाही समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों को चौथाई फीसदी बढ़ा सकता है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार के नए कैबिनेट सचिव अजित कुमार सेठ मुद्रास्फीति को कोई खतरा नहीं मानते। उनका कहना है कि मुद्रास्फीति को लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं हैं। सरकार का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि नवीनतम आंकड़ोंऔरऔर भी

बाजार बड़ी कोशिश करके 5499.35 तक चला तो गया। लेकिन 5480 का स्तर टूटते ही वह खुद को संभाल नहीं सका और निफ्टी करीब एक फीसदी की गिरावट के साथ 5447.50 पर पहुंच गया। बाजार के इस तरह धड़ाम हो जाने की वजह सिर्फ इत्ती-सी थी कि कुछ फंड हाउसों ने आशंका जता दी कि कल ब्याज दरों में 50 आधार अंक (0.50 फीसदी) की वृद्धि हो सकती है। मेरा मानना है कि या तो ब्याज दरऔरऔर भी

मुद्रास्फीति बढ़कर 9.06 फीसदी हो गई। चीन तक ने ब्याज दरें 0.50 फीसदी बढ़ा दी हैं। अब तो बाजार के लोगों को सचमुच यकीन हो चला है कि रिजर्व बैंक 16 जून को ब्याज दरें 0.50 फीसदी बढ़ा देगा। इतनी बुरी खबरों के बावजूद निफ्टी 5520 तक जाने के बाद 5500 के ऊपर बंद हुआ है। यह क्या दर्शाता है? हमने पहले भी कहा था और हमें अब भी लगता है कि यही बाजार के सही मूल्यांकनऔरऔर भी

हमारे नीति-नियामक कितने मतिअंध हैं, इसका प्रमाण पेश कर दिया मंगलवार को जारी मई माह की मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने। तीन दिन पहले ही वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु कह रहे थे कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मई में 8.6 फीसदी रह सकती है जो अप्रैल माह के 8.66 फीसदी से कम होगी। लेकिन वास्तव में यह आंकड़ा 9.06 फीसदी का निकला है। सवाल उठता है कि क्या इतने खासऔरऔर भी

बाजार का विश्वास पहले से ही डिगा हुआ था। ऊपर से निफ्टी 5480 के प्रतिरोध स्तर से भी नीचे चला गया। यह इस बात का साफ संकेत है कि निफ्टी में आगे भी कमजोरी बनी रहेगी। हालांकि बाजार में भागीदारी की जो स्थिति है, उसे देखते हुए इसके बढ़ने की भी इतनी ही ज्यादा गुंजाइश है। आज भी दोपहर बारह बजे के बाद यह कोशिश नजर आई। लेकिन छोटी-सी रेंज में थोड़े से वोल्यूम के साथ बाजारऔरऔर भी

शेयर बाजार की निगाह इस हफ्ते गुरुवार 16 जून को पेश होनेवाली रिजर्व बैंक मध्य तिमाही समीक्षा पर टिकी रहेगी। लेकिन इससे पहले दो दिन भी काफी अहम हैं। इसलिए हफ्ते के शुरू में कारोबार फीका रह सकता है। निवेशकों को मई के मुद्रास्फीति के आंकड़ों का भी इंतजार होगा जो मंगलवार, 14 जून को जारी किया जाएगा। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का अनुमान है कि मई में मुद्रास्फीति की दर 8.6 फीसदीऔरऔर भी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। उनका मानना है कि सेवा क्षेत्र और उद्योगों के विस्तार से यह आर्थिक वृद्धि दर हासिल हो सकती है, हालांकि कृषि क्षेत्र का योगदान घट सकता है। बता दें कि इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने 9 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया। लेकिन रिजर्वऔरऔर भी

फल, अनाज और प्रोटीन आधारित खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से 14 मई को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.55 फीसदी पर पहुंच गई। विशेषज्ञों ने आगाह किया कि हाल ही में पेट्रोल के दामों में की गई बढ़ोतरी से खाद्य वस्तुओं की कीमतें और बढ़ सकती है। खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी के साथ ही विनिर्मित वस्तुओं के दाम बढ़ने से रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अगले महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा मेंऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने तय किया कि बैंक पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तारीख 31 मार्च को अपनी नेटवर्थ के 10 फीसदी से ज्यादा रकम म्यूचुअल फंडों की लिक्विड स्कीमों में निवेश नहीं कर सकते। मौद्रिक नीति में इस कदम की घोषणा करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि इस कदम से बैंकों व म्यूचुअल फंडों के बीच चल रहे सर्कुलर कारोबार को तोड़ने की कोशिश की गई है। बैंक म्यूचुअल फंडों की ऋण आधारितऔरऔर भी