फल, अनाज और प्रोटीन आधारित खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से 14 मई को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.55 फीसदी पर पहुंच गई। विशेषज्ञों ने आगाह किया कि हाल ही में पेट्रोल के दामों में की गई बढ़ोतरी से खाद्य वस्तुओं की कीमतें और बढ़ सकती है।
खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी के साथ ही विनिर्मित वस्तुओं के दाम बढ़ने से रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अगले महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा में और कदम उठा सकता है।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति में इससे पिछले तीन सप्ताहों में लगातार गिरावट का रुख दर्ज किया गया था। लेकिन समीक्षाधीन सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति इससे पिछले सप्ताह के 7.47 फीसदी के मुकाबले 1.08 प्रतिशत अधिक है।
क्रिसिल के प्रधान अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा, ‘‘गैर-खाद्य वस्तुओं के वर्ग पर पहले ही दबाव है। आगे चलकर जैसे ही खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आती है, ईंधन के मूल्यों में तेजी इसे हवा दे सकती है।’’
14 मई को समाप्त हुए सप्ताह में साल दर साल आधार पर अनाज 5.03 फीसदी और प्याज 8.32 फीसदी महंगा हुआ। वहीं फल के दामों में 32.37 फीसदी, दूध में 5.53 फीसदी और अंडा, मीट व मछली के दाम में 8.26 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस दौरान हालांकि, सब्जी के दाम में 1.46 फीसदी और दालों के दाम में 9.49 फीसदी की गिरावट आई। वहीं गेहूं 0.30 फीसदी सस्ता हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में चावल भी 2.63 फीसदी महंगा हुआ, जबकि आलू की कीमत में 0.17 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। बता दें कि साल 2010 में ज्यादातर समय खाद्य मुद्रास्फीति दहाई अंक में रही और मार्च, 2011 से इसमें नरमी आनी शुरू हुई।