कहां तो विश्लेषक मानकर चल रहे थे कि मई में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 16 फीसदी बढ़ेगा और कहां असल में यह 11.5 फीसदी ही बढ़ा है। यह पिछले सात महीनों का सबसे निचला स्तर है। लेकिन इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वित्त सचिव अशोक चावला का कहना है कि किसी को भी यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि औद्योगिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर लंबे समय तक असामान्य दरों पर बढ़ता रहेगा। इसके सामने क्षमता की सीमाएं हैं।औरऔर भी

बढ़ती मुद्रास्फीति ने आखिरकार रिजर्व बैंक को बेचैन कर ही दिया और उसने आज, शुक्रवार को ब्याज दरें बढ़ाकर मांग को घटाने का उपाय कर डाला। रिजर्व बैंक ने तत्काल प्रभाव से रेपो दर (रिजर्व बैंक से सरकारी प्रतिभूतियों के एवज में रकम उधार लेने की ब्याज दर) 5.25 फीसदी से बढ़ाकर 5.50 फीसदी और रिवर्स रेपो दर (रिजर्व बैंक के पास धन जमा कराने पर बैंकों को मिलनेवाली ब्याज दर) 3.75 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदीऔरऔर भी

एचडीएफसी बैंक ने बेस रेट के मामले में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) को भी होड़ देने की ठान ली है। उसने अपना बेस रेट 7.25 फीसदी तय किया है, जबकि एसबीआई ने मंगलवार को घोषित किया था कि इस तिमाही के लिए वह अपना बेस रेट 7.50 फीसदी रखेगा। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने भी अपना बेस रेट एसबीआई के बराबर 7.50 फीसदी रखा है। बेस रेट वहऔरऔर भी

आखिरकार रोलओवर जाते-जाते थोड़ी तकलीफ दे ही गया। हालांकि निफ्टी खुद को 5300 के स्तर पर टिकाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसमें दम नहीं दिख रहा। वैसे तो हमने कल ही शॉर्ट कॉल (बेचने की सलाह) हटा दी थी, लेकिन निफ्टी के 5140 पर जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसी के मद्देनजर हमने कुछ ऐसी लांग कॉल (खरीदने की सलाह) दी हैं जिन्हें सबसे ज्यादा रक्षात्मक माना जाता है। जोऔरऔर भी

कल डाउ एस एंड पी ने वित्त वर्ष 2010-11 में आय का अनुमान 30 फीसदी बढ़ा दिया जो साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि अमेरिकी बाजार में तेजी का दौर शुरू हो चुका है। यूरोप से तो विश्व अर्थव्यवस्था को कोई फर्क पड़नेवाला नहीं। भारत ने शानदार विकास के आंकड़े पेश कर दिए हैं। बड़े लोगों को ब्याज दर बढ़ने की आशंका सता रही है, जबकि यूरोप में क्या होगा, इससे हम परेशान होऔरऔर भी

महंगाई हकीकत है। मुद्रास्फीति आंकड़ा है। औसत है। और, औसत अक्सर कुनबा डुबा दिया करता है। खैर वो किस्सा है। हम जानते हैं कि कोई चीज महंगी तब होती है जब उसकी मांग सप्लाई से ज्यादा हो जाती है। कई साल पहले जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा था कि दुनिया में अनाज की कीमतें इसलिए बढ़ी हैं क्योंकि चीन और भारत में अब भूखे-नंगे लोगों के पास खरीदने की ताकत आ गई है। ऐसी ही बात हालऔरऔर भी