शेयरों के उतार-चढ़ाव को थामने के लिए पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने उन्हें ट्रेड फॉर ट्रेड (टीएफटी) सेगमेंट में डालने का जो फैसला किया है, उससे निवेशकों का नहीं, बल्कि बाजार के उस्ताद खिलाड़ियों या ऑपरेटरों का ही भला होगा। सेबी ने आम निवेशकों से जुड़े इतने अहम मसले पर गौर करते हुए बहुत सामान्य बातों का भी ध्यान नहीं रखा है। यह कहना है शेयर बाजार से जुड़ी एक महत्वपूर्ण ब्रोकर फर्म के प्रमुख का।औरऔर भी

बीईएमएल सरकार की मिनी-रत्न कंपनी है। रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। पहले इसका नाम भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड हुआ करता था। ए ग्रुप की कंपनी है। इधर चर्चा है कि उसे बड़े ऑर्डर मिलनेवाले हैं और सरकार अपनी थोड़ी इक्विटी हिस्सेदारी बेच भी सकती है। हालांकि कंपनी में सरकार की वर्तमान हिस्सेदारी 54.03 फीसदी है। इसलिए वह बहुत बेचेगी तो 3 फीसदी इक्विटी ही बेच सकती है क्योंकि इसमें 51 फीसदी से कम सरकारी हिस्सेदारीऔरऔर भी

जन्माष्टमी पर ध्यान बालकृष्ण पर न जाता तो आश्चर्य होता। सो, पहले से ज्यादा लोगों ने बालकृष्ण इंडस्ट्रीज के शेयरों की खरीद की और यह शेयर बीएसई में (कोड – 502355) 6.27 फीसदी बढ़कर 710.60 रुपए और एनएसई में (कोड – BALKRISIND) 6.35 फीसदी बढ़कर 713.90 रुपए पर बंद हुआ। ठहरे हुए बाजार में किसी भी शेयर का एक दिन में 6 फीसदी से ज्यादा बढ़ जाना मायने रखता है। लेकिन बालकृष्ण इंडस्ट्रीज पर ध्यान दें तोऔरऔर भी

हम साबित करने बैठे हैं कि बाजार के लिए हिन्डेनबर्ग या कोई दूसरा अपशगुन कभी कोई मायने नहीं रखता। न ही चार्टों के आधार पर की गई टेक्निकल एनालिसिस, खरीद-बिक्री की सलाह, ज्योतिष के नुस्खे और वैल्यूएशन के बारे में मंदी के आख्यान कोई काम आते हैं। आप खुद ही देखिए कि होंडा के अलग होने की खबर आ जाने के बाद भी सफेदपोश एनालिस्ट हीरो होंडा को मूल्यवान स्टॉक बताकर खरीदने की सलाह दिए जा रहेऔरऔर भी

बेस्ट एंड क्रॉम्प्टन इंजीनिरिंग में जोखिम बहुत है तो रिटर्न भी बहुत मिल सकता है। कल इसका शेयर बीएसई (कोड – 500046) में 2.36 फीसदी बढ़कर 17.35 रुपए और एनएसई (कोड – BECREL) में 2.94 फीसदी बढ़कर 17.50 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी मुश्किलों से उबरने के दौर में है और अंदाजा है कि इसका स्टॉक दस-बारह महीनों में 45 रुपए तक जा सकता है। यानी 150 फीसदी से ज्यादा रिटर्न के साथ शेयर अब केऔरऔर भी

तलहटी पर खरीदने का अपना सुख होता है। हां, इस सुख में थोड़ा दुख तब हो जाता है जब शेयर अगले दिन या उसके अगले-अगले दिन नई तलहटी पकड़ लेता है। ऐसे में रणनीति थोड़ी-थोड़ी खरीद की होनी चाहिए। जितना गिरता जाए शेयर, हम खरीदते जाएं और इस तरह अपनी औसत लागत कम करते जाएं। आप बीएसई या एनएसई में शाम तो देख लीजिए कि कौन-सा शेयर न्यूनतम स्तर पर पहुंचा है। उसके बाद देखिए कि कंपनीऔरऔर भी

शेयर बाजार की चाल को देखकर जब बड़े-बड़े विद्वान भी खुद को असहाय महसूस करने लगते हैं तो कुछ दिनों या महीनों से इसे साधने की कोशिश में लगे हम-आप अगर ऐसी भावना के शिकार होते हैं तो इसमें परेशान होने की बात नहीं है। असल में शेयरो में निवेश जहां विज्ञान है, वहीं यह एक कला भी है जो अभ्यास से आती है। इसलिए मुझे तो लगता है कि तुरंत कूद पड़ने के बजाय हमें थोड़ी-सीऔरऔर भी

किसी अच्छी चीज की सप्लाई बंधी-बंधाई हो और लोग-बाग उसे खरीदने लगें तो उसके भाव बढ़ जाते हैं। यह बहुत मोटा-सा, लेकिन सीधा-सच्चा नियम है। लेकिन जब खरीदने के काम में निहित स्वार्थ वाले खिलाड़ी लगे हों और लोगबाग उधर झांक भी नहीं रहे हों तो यह नियम कतई नहीं चलता। हमारे शेयर बाजार में यही हो रहा है। इसका एक छोटा-सा उदाहरण बताता हूं। गुरुवार को कोलकाता से बाजार के एक उस्ताद का एसएमएस 12 बजकरऔरऔर भी

एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के वी के शर्मा जी कहते हैं कि आइम्को इलेकॉन (इंडिया) लिमिटेड लंबे निवेश के लिए अच्छी कंपनी है। उन्होंने 19 अगस्त को जब यह शेयर खरीदने की सिफारिश की थी, तब इसका बंद भाव 310.55 रुपए था। उसके बाद से लगातार गिरते-गिरते यह 25 अगस्त को 296 रुपए पर पहुंच गया। कल 26 अगस्त को जाकर यह बीएसई (कोड – 523708) में 20 पैसे बढ़कर 296.20 रुपए पर बंद हुआ है तो एनएसई (कोडऔरऔर भी

ज़ाइकॉम इलेक्ट्रॉनिक सिक्यूरिटी सिस्टम्स के नाम और ब्रांड से शायद आप परिचित ही होंगे। घरों से लेकर दफ्तरों और सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी व दूसरे जो तमाम इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा सिस्टम आप देखते हैं, बहुत मुमकिन है कि वे ज़ाइकॉम के हों। यह इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा उपकरण मुहैया करानेवाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी पहले चीन से सारा माल आयात करके भारत में बेचती थी। लेकिन इस साल मई से उसने हिमाचल प्रदेश के परवानू में अपनीऔरऔर भी