इंटरनेट के दौर ने छीनी चिट्ठियों की आत्मीयता
2011-06-30
इंटरनेट के इस दौर ने जहां डाक पर लोगों की निर्भरता कम की है, वहीं डाक कर्मियों को शिकायत है कि अब उन्हें काम करने में न तो लोगों से पहले जैसी आत्मीयता मिलती है और न ही किसी तरह का आनंद। सब कुछ यंत्रवत हो गया है। पिछले 21 साल से डाक बांटने वाले पोस्टमैन रघुनंदन गुप्ता ने बताया ‘‘पहले की बात और थी। लोगों को अपनी चिट्ठी का इंतजार रहता था। हम डाक लेकर जातेऔरऔर भी