कैसी नैतिकता!
कानून ही लंबे समय में व्यापक सामाजिक स्वीकृति पाने के बाद नैतिकता बन जाते हैं। फिर भी नैतिकता सर्वकालिक नहीं होती। किसी नैतिक मानदंड के सही होने का एक ही पैमाना है कि वह व्यापक समाज के वर्तमान व भावी हित में है या नहीं।और भीऔर भी
95% अर्थव्यवस्था, वास्ता 1.5% का
महीने के शुरू में एनालिस्ट समुदाय में भारी कयासबाजी चल रही थी कि दिसंबर का महीना ऐतिहासिक रूप से तेजी लेकर आता है और इस बार 4 से 10 फीसदी तेजी आ सकती है। लेकिन महीना खत्म होने को है और अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। आज समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने भी एक कयास भरी रिपोर्ट चलाई है कि जनवरी ऐतिहासिक रूप से बाजार के धसकने का महीना है और इस बार सेंसेक्स 10औरऔर भी
समय से कोई होड़ नहीं
समय तो यंत्रवत चलता है। हमने ही उसे नैनो सेकंड से लेकर साल तक के पैमाने में कसा है। अपने जीवन को हम जन्मदिन के चक्र में कसते हैं। लेकिन यह हमारा अपना चक्र है। समय से हमारी कोई होड़ नहीं।और भीऔर भी
रचना का यथार्थ
उसे प्रकृति कहिए या भगवान, उसकी बनाई हर चीज अपूर्ण होती है, आदर्श नहीं। आदर्श तो इंसान ने अपनी प्रेरणा के लिए बनाए हैं। इसलिए इंसान की किसी भी रचना को यथार्थ का पैमाना मानना सही नहीं।और भीऔर भी