पेड़ों से क्या गिला!
जमीन में जम चुके पेड़ से क्या गिला कि उसने न हाल पूछा, न बाहें फैलाकर स्वागत किया या न ही हाथ बढ़ाकर पास बुलाया। बेगानेपन की शिकायत तो चिड़िया से होनी चाहिए जो इस पेड़ से उस पेड़, इस टहनी से उस टहनी तक फुदकती रहती है।और भीऔर भी
ताकि न बने स्थावर
स्थिरता स्वभाव से चलायमान इंसान को स्थावर बना देती है। वहीं, समस्याएं इंसान को चलने पर मजबूर कर देती हैं। मगर, समस्याओं के दौर में इंसान को मामूली समस्या भी विकराल लगती है। लेकिन यही समस्याएं तो उसे पेड़ बनकर पड़े रहने से बचाती हैं।और भीऔर भी
कुम्हलाई कोंपल
कहीं एक तारा टूटकर डूब गया। देखा आपने? कहीं एक कोंपल पेड़ की अकाल मौत से कुम्हला कर सूख गई। देखा आपने? आपके अंदर का इंसान निर्वासित हो गया। अजीब हैं! कुछ भी क्यों नहीं देखते आप?और भीऔर भी
क्षैतिज या लंबवत
बढ़ने के दो ही तरीके हैं क्षैतिज या लंबवत। दूब जमीन को पकड़ क्षैतिज रूप से फैलती जाती है। वहीं पेड़ बढ़ने के लिए जमीन में लंबवत धंसता चला जाता है। दूब अपने लिए जीती है। पेड़ सबके काम आते हैं।और भीऔर भी
5300 तक गया तो 8000 भी दूर नहीं
मैं नहीं जानता कि एफआईआई के तौर-तरीकों, उनके बर्ताव और बाजार की गति पर मैं हँसूं कि रोऊं? पिछले सेटलमेंट तक शोर था कि निफ्टी 5000 का स्तर तोड़कर नीचे चला जाएगा। बेचारे ट्रेडरों ने 5000 के पुट ऑप्शन खरीद डाले। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि एक प्रमुख विदेशी ब्रोकिंग हाउस ने अखबारों के जरिए सार्वजनिक तौर पर राय रखी थी कि पहले तीन महीने बाजार गिरेगा और उसके बाद 20 फीसदी बढ़ेगा। इस तरह के बयानऔरऔर भी
छल का जन्म
निष्काम कर्म जैसा कुछ नहीं होता। हर काम के पीछे किसी न किसी फल की कामना होती है। काम में छल तब पैदा होता है जब पेड़ लगाने का मकसद फल नहीं, कुछ और होता है। यह समाज की देन है।और भीऔर भी