जो लोग जीवन को रंगमंच कहते हैं वे या तो खुद भ्रम में हैं या झूठ बोलते हैं। जीवन तो युद्ध क्षेत्र है और हम सभी योद्धा। यहां सिर्फ प्रतिभा ही काफी नहीं। युद्ध कौशल के लिए निरंतर अभ्यास व अनुशासन जरूरी है।और भीऔर भी

डरपोक और कायर होना जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है। ये फितरत हमसे बहुत सारी खुशियां छीन लेती है। बाप-दादा से मिली दौलत तक सीमित रह जाते हैं हम। शास्त्रों तक में कहा गया है वीर भोग्या वसुंधरा।और भीऔर भी

जब तक जगे रहे, ज़िंदा रहे। सो गए तो मर गए। फिर जगे तो नया जीवन। ज़िदगी को यूं जागने-सोने के चक्र में बांटना अच्छा लगता है। लेकिन हो कहां पाता है क्योंकि कोशिकाओं तक की अपनी यादें होती हैं।और भीऔर भी

जब तक जीवित हैं, शरीर कभी ऑफ नहीं लेता, दिल दिमाग कभी ऑफ नहीं लेता। लेकिन हम हमेशा ऑफ के चक्कर में पड़े रहते हैं। मन काम से भागता है। यह काम जीवन की सहज धारा क्यों नहीं बन सकता?और भीऔर भी

हम यूं तो जीते हैं जानवरों की ही ज़िंदगी। उन्हीं प्रवृत्तियों के चलते दुनिया में आगे बढ़ते हैं। बस, इतना है कि समाज ने कुछ कपड़े-लत्ते पहना रखे हैं। धर्म और नैतिकता ने भ्रम पाले रखने के कुछ बहाने दे रखे हैं।और भीऔर भी

निर्वाण कहीं और नहीं, इसी दुनिया, इसी जीवन में मिलता है। यह सम्यक सोच, संतुलित चिंतन और मन की शांति की अवस्था है। दूसरों का कहा-सुना काम आता है, लेकिन सफर हमारा अकेले का ही होता है।और भीऔर भी

जीवन की राहों पर अनिश्चितता है, अराजकता नहीं। शिक्षा व संस्कार हमें इन राहों पर चलने का ड्राइविंग लाइसेंस दिलाते हैं। हमारा आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। बाकी, अनिश्चितता का थ्रिल हमारा उत्साह बरकरार रखता है।और भीऔर भी