यह डर और अंधकार का दौर है। यहां बिंदास वही रह सकता है जो सारा कुछ नहीं तो बहुत कुछ जानता है या भयंकर मूर्ख है। जब हर तरफ बीमारी, असहिष्णुता, भ्रष्टाचार, हिंसा और अन्याय का बोलबाला है तो कोई सहज जीवन कैसे जी सकता है? हर ऊपरी परत निचली परत को अंधेरे में रखती है। सुखद यह है कि लोग अब अज्ञान की इस चादर को चिंदी-चिंदी करने लगे हैं। खैर! बनाते हैं आज की ट्रेडिंगऔरऔर भी

लोकतंत्र में कोई भी नीति संबंधी मानक आमजन के लिए अप्रासंगिक नहीं होना चाहिए। अगर वो अप्रसांगिक है तो तय मानिए कि उस लोकतंत्र से लोगों को सायास बाहर रखा गया है। मुद्रास्फीति के कल आए आंकड़े ने यही साबित किया है। सरकार, वित्त मंत्री, उसके संत्री तक चहक रहे हैं कि मार्च में मुद्रास्फीति घटकर 6% से नीचे आ गई है। हम-आप पूछ रहे हैं कि अच्छा! घट गई? कब कैसे? शेयर बाज़ार ने ऐसा नहींऔरऔर भी

जबरदस्त शोर है। अखबारों में, नेट पर, चैनलों पर, समूचे मीडिया में। राजनीति में, समाज में। यहां तक कि मन में। इस शोर के बीच सच को पकड़ना है। जैसे, भारत-यूरोप व्यापार वार्ता में यूरोप चाहता है कि भारत वाइन व कारों का आयात सस्ता कर दे। भारत चाहता है कि यूरोप भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए रास्ता सुगम कर दे। हम भोग में डूबें और अपनी प्रतिभाएं उन्हें दे दें! ये कैसा व्यापार!! देखते हैं आज काऔरऔर भी

शेयरों के भाव किस हद तक ग्लोबल और किस हद तक लोकल कारकों से प्रभावित होते है, इसका तो ठीकठाक कोई पैमाना नहीं है, लेकिन इतना तय है कि आज के जमाने में कंपनियों के धंधे पर दोनों कारकों का भरपूर असर पड़ता है। इसीलिए शायद अंग्रेजी के इन दोनों शब्दों को मिलाकर नया शब्द ‘ग्लोकल’ चला दिया गया है। ये ग्लोकल असर कैसे कंपनी को कस लेते हैं, इसका एक उदाहरण है भारत की सबसे बड़ीऔरऔर भी

एमएससीआई (मॉरगन स्टैनले कैपिटल इंटरनेशनल) सूचकांक को बदला जा रहा है। इसमें उभरते बाजारों का वजन बढ़ाया जाएगा। इससे भारतीय बाजार में एफआईआई की खरीद 13 करोड़ डॉलर बढ़ सकती है। लेकिन बाजार के लिए 13 करोड़ डॉलर कोई मायने नहीं रखता। साथ ही इस एमएससीआई के भारत सूचकांक में छह नई कंपनियों – टाइटन इंडस्ट्रीज, डाबर इंडिया, श्रीराम ट्रांसपोर्ट, मुंद्रा पोर्ट, बैंक ऑफ इंडिया और एशियन पेंट्स को शामिल किया गया है। बाजार में आम गिरावटऔरऔर भी

रोल्टा इंडिया (बीएसई कोड – 500366, एनएसई कोड – ROLTA) में कुछ खेल चल रहा है। जहां उसमें औसत कारोबार 2.66 लाख शेयरों का रहता था, वहीं कल बीएसई में उसके 14.51 लाख शेयरों की ट्रेडिंग हुई। हालांकि इसमें से 3.85 लाख (26.56 फीसदी) शेयर ही डिलीवरी के लिए थे यानी 83.46 फीसदी सौदे दिन के दिन में ही काट लिए गए। एनएसई में भी कल इसके 43.91 लाख शेयरों के सौदे हुए हैं जबकि एक दिनऔरऔर भी

बाजार का बहुत तेजी से बढ़ना अच्छा नहीं है तो पंटर भाईलोग शॉर्ट सेलिंग करने लगे। पहले कहा जा रहा था कि बहुत धीमा होना बाजार के लिए बहुत बुरा है और इसलिए शॉर्ट सेलिंग हो रही है। अरे भाई मेरे! आप लोग बाजार को कब समझेंगे? निफ्टी 5800 पर है और सारे के सारे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) सेंसेक्स में शामिल स्टॉक खरीदने में जुटे हैं क्योंकि ऐसा करना उनकी मजबूरी है। मैं तो कहूंगा किऔरऔर भी

कावेरी सीड कंपनी लिमिटेड (बीएसई कोड – 532899, एनएसई कोड – KSCL) आंध्र प्रदेश की कंपनी है। उसका बीज तो 1978 में पड़ गया था। लेकिन पब्लिक लिमिटेड कंपनी वह चार साल पहले 2006 में ही बनी। उसे हाल ही में फोर्ब्स पत्रिका ने एक अरब डॉलर से कम कारोबार की श्रेणी में एशिया की सर्वश्रेष्ठ 200 कंपनियों की सूची में शामिल किया है। वैसे, इस सूची में भारत की 25 कंपनियां शामिल हैं। कंपनी के ग्राहकऔरऔर भी