सरकार ने डीम्ड निर्यात नीति के दुरुपयोग को रोकने और इसमें जरुरी सुधार के लिए सभी संबद्ध पक्षों से सुझाव मांगे हैं। सरकार को इस नीति के दुरूपयोग की रिपोर्टें बराबर मिल रही हैं, विशेषकर ऊर्जा क्षेत्र में।
डीम्ड निर्यात ऐसा कारोबार है जिसमें वस्तुओं को देश से बाहर नहीं भेजा जाता है, बल्कि इसका इस्तेमाल देश में ही होता है। इस प्रकार के सौदों के लिए भुगतान भी किसी भी मुद्रा में किया जा सकता है। इन सौदों को एक प्रकार से निर्यात के समान ही मान लिया जाता है।
28 जून तक इस नीति के संबंध में संबद्ध पक्ष अपने सुझाव और विचार भेज सकते हैं। मौजूदा डीम्ड निर्यात नीति में स्पष्टता का अभाव है। इसके लिए सरकार ने पिछले माह नीति में आवश्यक सुधार हेतु एक समिति का गठन किया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा, ‘‘समिति की पिछले हफ्ते हुई बैठक में एक बार फिर संबद्ध पक्षों से उनके सुझाव के लिए एक और मौका दिए जाने का फैसला किया गया।’’ समिति के अध्यक्ष विदेश व्यापार महानिदेशक अनूप पुजारी है और सदस्य के तौर पर योजना अयोग, रिजर्व बैंक और आर्थिक विभाग के लोगों को शामिल किया गया है। समिति वाणिज्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट अगस्त में सौंप देगी।