डॉ. दुव्वरि सुब्बाराव अब 2013 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर बने रहेंगे। उनका तीन साल का मौजूदा कार्यकाल अगले महीने 5 सितंबर को पूरा हो रहा था। कहा जा रहा था कि उनकी जगह किसी और को लाया जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को सारी उहापोह को दूर करते हुए डॉ. सुब्बाराव का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया। मजे की बात यह है कि ये फैसला डॉ. सुब्बाराव के जन्मदिन 11 अगस्त से दो दिन पहले किया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया, “प्रधानमंत्री ने डी. सुब्बाराव का सेवाकाल बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्हें दो साल का सेवा विस्तार दिया गया है।” सुब्बाराव अब 4 सितंबर 2013 तक देश में बैंकों के शीर्ष बैंक और सरकार के ऋण प्रबंधक, रिजर्व बैंक के प्रमुख की भूमिका निभाते रहेंगे। बता दें कि आईएएस अधिकारी और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों में शुमार 61 वर्षीय सुब्बाराव को सितंबर, 2008 में तीन साल के लिए केंद्रीय बैंक का 22वां गवर्नर नियुक्त किया गया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि सुब्बाराव को सेवा विस्तार की घोषणा उनके जन्मदिन से दो दिन पहले की गई है।
सुब्बाराव का सेवा विस्तार इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इस समय सरकार और रिजर्व बैंक के सामने अमेरिका की रेटिंग घटाने पैदा हुई चुनौतियों से निपटने का संकट है। सुब्बाराव 2008 से रिजर्व बैंक के मुखिया हैं और उन्हें देश को आर्थिक संकट के दौर से बाहर निकालने का श्रेय जाता है। महंगाई पर अंकुश के लिए मौद्रिक नीति को कड़ा करने का श्रेय भी सुब्बाराव को जाता है। रिजर्व बैंक के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने का श्रेय भी उन्हें जाता है।
उनकी अगुवाई में ही रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की समीक्षा की अवधि को हर तिमाही से बढ़ाकर सालाना आठ बार किया है। 1990 के दशक में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे और उस समय सुब्बाराव ने वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में काम किया था। गवर्नर पद पर अपनी नियुक्ति से पहले वह वित्त सचिव थे। इस बार उनकी जगह वित्त मंत्रालय के मुख्य सलाहकार कौशिक बसु, आईएमएफ के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री रघुरान राजन और वित्त मंत्रालय के पूर्व सलाहकार अशोक लाहिरी को लाने की चर्चाएं चली थीं। लेकिन अंतिम फैसला उनके पक्ष में हुआ।