बढ़ रहे सब खास, लेकिन आम का क्या!

जीडीपी बढ़ रहा है, टैक्स संग्रह बढ़ रहा है, शेयर बाज़ार बढ़ता जा रहा है। लेकिन औसत भारतीय की समृद्धि कितनी बढ़ रही है? खुद सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में हमारी प्रति व्यक्ति आय या शुद्ध राष्ट्रीय आय ₹72,805 हुआ करती थी। यह वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक ₹1,06,744 तक पहुंची है। इसकी सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) मात्र 3.90% निकलती है। इसमें भी मुद्रास्फीति बराबर कम आंकी जाती है तो असल वृद्धि और भी कम होगी। आमजन से जुड़ी शिक्षा, स्वास्थ्य, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, प्रदूषण व न्याय व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आया है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि लोग अमीर बनेंगे तो वे दूसरों को भी अमीर बनाते जाएंगे। लेकिन यह ज़मीनी सच्चाई नहीं है। 1.25 लाख स्टार्ट-अप बन गए, विदेश यात्राएं बढ़ गईं, ज्यादा विमान खरीदे जा रहे हैं। लेकिन 81.35 करोड़ लोग तो अब भी प्रतिमाह पांच किलो मुफ्त सरकारी राशन पर ज़िंदा हैं। रीयल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म, नाइट फ्रैंक के अध्ययन के मुताबिक देश के शीर्ष आठ शहरों में बम-बम करता हाउसिंग बाज़ार साल 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 20% योगदान दे सकता है जिससे 10 करोड़ मजदूरों को नया रोज़गार मिलेगा। पिछले दो साल में निफ्टी रीयल एस्टेट सूचकांक 200% बढ़ चुका है। लेकिन कंस्ट्रक्शन मजदूर को क्या इसका फायदा मिला? अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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